Monday 30th of June 2025

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के 11वें दीक्षांत समारोह को राष्ट्रपति ने किया संबोधित

Reported by: Gyanendra Kumar Shukla, Editor, PTC News UP  |  Edited by: Mohd. Zuber Khan  |  June 30th 2025 06:10 PM  |  Updated: June 30th 2025 06:10 PM

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के 11वें दीक्षांत समारोह को राष्ट्रपति ने किया संबोधित

बरेली : महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि मैं जिस परिवेश से आती हूं, वह सहज रूप से प्रकृति के निकट है। उन्होंने विद्यार्थियों से संवाद करते हुए कहा कि चिकित्सक या शोधकर्ता के रूप में कार्य करें तो मन में बेजुबान पशुओं के कल्याण की भावना हो। पशु व मानव का रिश्ता परिवार का है। अभी हम आधुनिक जीवनशैली की जिंदगी जी रहे हैं, लेकिन जब छोटे थे तो टेक्नोलॉजी का साधन नहीं था तब पशु ही हमारे साधन थे। पशु के बिना किसान आगे नहीं बढ़ सकते थे। पशु हमारे जीवन का धन हैं। उनके बिना हम जिंदगी के बारे में सोच नहीं सकते थे। यह धरती व मानव जाति इससे खुशहाल होती थी। हमारी संस्कृति सभी जीव-जंतुओं में ईश्वर की उपस्थिति को देखती है। 

राष्ट्रपति ने भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के 11वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। उन्होंने विद्यार्थियों को उपाधि व मेडल भी प्रदान किया। 

संस्थान ने हासिल कीं कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां 

राष्ट्रपति ने कहा कि 1889 में स्थापित इस संस्थान ने 135 वर्ष की यात्रा में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। राष्ट्रपति ने वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध कार्यों और इस संस्थान के नाम दर्ज अनेक पेटेंट्स, डिजाइन, कॉपीराइट्स की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि 'प्रिवेंशन इज बेटर देन क्योर' कहावत पशुओं के स्वास्थ्य के लिए भी पूरी तरह से लागू होती है। बीमारियों के रोकथाम में टीकाकरण की अहम भूमिका है। इस संस्थान के लिए गर्व का विषय़ है कि राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम में अनेक टीके यहीं पर विकसित किए गए। 

आदर्श प्रस्तुत करें संस्थान

राष्ट्रपति ने कहा कि गिद्धों के विलुप्त प्राय होने के पीछे पशु चिकित्सा में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक दवाओं की भी भूमिका है। ऐसी दवाओं पर प्रतिबंध लगाना गिद्धों के संरक्षण की दिशा में सराहनीय कदम है। वैज्ञानिकों के इस दिशा में कदम उठाने पर राष्ट्रपति ने बधाई दी। कई प्रजातियां या तो विलुप्त हो गईं या विलुप्त होने के कगार पर हैं। इन प्रजातियों का संरक्षण पर्यावरण संतुलन के लिए बहुत आवश्यक हैं। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान जैसे संस्थान जैव विविधता को बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाते हुए आदर्श प्रस्तुत करें। 

पशु चिकित्सा के क्षेत्र में भी आगे आ रहीं बेटियां 

राष्ट्रपति ने उपाधि व पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में छात्राओं की बड़ी संख्या देखकर गर्व हो रहा है कि बेटियां अन्य क्षेत्र की तरह पशु चिकित्सा के क्षेत्र में भी आगे आ रही हैं, यह शुभ संकेत है। राष्ट्रपति ने कैटल शेड की चर्चा करते हुए कहा कि मां, बहन गायों की सेवा करती थीं। गायों व पशुओं से माता-बहनों का जुड़ाव अधिक है। इस क्षेत्र में बेटियों का जुड़ाव देखकर बहुत अच्छा लगा। 

सत्य गुण से होती है ज्ञान की प्राप्ति  

राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से कहा कि करियर के रूप में आपने निरीह व बेजुबान पशुओं की चिकित्सा व कल्याण के क्षेत्र को चुना है। इसमें सर्वे भवन्तु सुखिनः... की भारतीय सोच का भी योगदान रहा है। राष्ट्रपति ने संस्थान का ध्येय वाक्य सुनाकर उसके भावार्थ की चर्चा की कि सत्य गुण से ज्ञान की प्राप्ति होती है। विश्वास है कि इसी भावना के साथ आपने शिक्षा प्राप्त की होगी और भविष्य में भी इसी मूल भावना के साथ कार्य करते होंगे। जब भी आपके सामने दुविधा का क्षण हो तब उन बेजुबान पशुओं के बारे में सोचिए, जिनके कल्याण के लिए आपने शिक्षा ग्रहण की है। आपको सही मार्ग जरूर दिखाई देगा। 

उद्यमिता व स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए संस्थान में है पशु विज्ञान इनक्यूबेटर

राष्ट्रपति ने कहा कि पशु विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में उद्यमिता व स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए इस संस्थान में पशु विज्ञान इनक्यूबेटर कार्यरत है। इस सुविधा का लाभ लेते हुए उद्यम स्थापित करने चाहिए। इससे न केवल जरूरतमंदों को रोजगार दे पाएंगे, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी योगदान कर पाएंगे। विश्व भर के प्रतिष्ठित संस्थानों, उद्यमों, सेवारत पूर्व विद्यार्थी भी इसमें मार्गदर्शन कर सकते हैं। 

मानव, जानवर, वनस्पति व पर्यावरण एक-दूसरे पर हैं आश्रित 

राष्ट्रपति ने कहा कि वन हेल्थ की अवधारणा महत्व प्राप्त कर रही है। माना जाता है कि मानव, घरेलू तथा जंगली जानवर, वनस्पति व व्यापक पर्यावरण एक-दूसरे पर आश्रित हैं। हमें अपनी परंपरा व इस अवधारणा का अनुसरण करते हुए पशु कल्याण के लिए प्रयास करना चााहिए। प्रमुख पशु संस्थान के रूप में इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट जेनेटिक बीमारियों के नियंत्रण व रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। ईश्वर ने मनुष्य को जो सोचने-समझने की शक्ति दी है। उसका उपयोग जीव-जंतुओं के कल्याण के लिए किया जाना चाहिए।  

कोरोना ने किया आगाह, उपभोग आधारित संस्कृति पहुंचा सकती है अकल्पनीय क्षति

राष्ट्रपति ने कहाकि कोरोना महामारी ने आगाह किया है कि उपभोग आधारित संस्कृति मानव, जीव-जंतुओं व पर्यावरण को अकल्पनीय क्षति पहुंचा सकती है। उन्होंने पशु कल्याण के लिए पशु आरोग्य मेलों के आयोजन पर जोर दिया। इनके तहत गांव-गांव में कैंप लगाकर पशुओं की चिकित्सा के साथ ही समाज भी स्वस्थ रहेगा। 

पशु संपदा का संरक्षण व विकास हमारा कर्तव्य 

राष्ट्रपति ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज गांव-गांव में घरेलू पशु नहीं दिख रहे हैं। यह पशु खेती में सहयोग करते हैं। आज टेक्नोलॉजी तो आयी, लेकिन जमीन में खेती के साथी केंचुआ आदि समाप्त हो रहे हैं। इससे जमीन बंजर हो रही है। जमीन उर्वरता के लिए किसानों, वैज्ञानिकों, चिकित्सकों व आमजन को सोचना चाहिए। पशु संपदा का संरक्षण व विकास हमारा कर्तव्य होना चाहिए। 

टेक्नोलॉजी के प्रयोग से लाए जा सकते हैं क्रांतिकारी बदलाव

राष्ट्रपति ने कहा कि टेक्नोलॉजी अन्य क्षेत्र की तरह पशु चिकित्सा और देखभाल में भी क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की क्षमता रखती है। टेक्नोलॉजी के प्रयोग से देश भर के पशु चिकित्सा को सशक्त बनाया जा सकता है। जीनोम एडिटिंग, एम्ब्रियो ट्रांसफर टेक्नोलॉजी, एआई, बिग डेटा एनालिटिक्स जैसे टेक्नोलॉजी के प्रयोग से इस क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाए जा सकते हैं। आधुनिकतम टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके आईवीआरआई जैसे संस्थानों को पशु रोगों के निदान व पोषण उपलब्ध कराने के लिए स्वदेशी व सस्ते उपाय ढूंढने चाहिए। साथ ही उन दवाओं के विकल्प भी तलाशने चाहिए, जिनके साइड इफेक्ट्स न केवल पशुओं, बल्कि मनुष्यों व पर्यावरण को भी प्रभावित करते रहे हैं। 

समारोह में उप्र की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी आदि मौजूद रहे।

Latest News

PTC NETWORK
© 2025 PTC News Uttar Pradesh. All Rights Reserved.
Powered by PTC Network