Sunday 19th of January 2025

महाविकास अघाड़ी-सपा ने झटका दामन

Reported by: Gyanendra Kumar Shukla  |  Edited by: Md Saif  |  December 09th 2024 05:56 PM  |  Updated: December 09th 2024 05:56 PM

महाविकास अघाड़ी-सपा ने झटका दामन

ब्यूरो: हर चुनावी नतीजा कुछ साईड इफेक्ट्स भी लेकर आता है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर आए जनादेश के बाद सियासी उथल पुथल के दौर नजर आ रहे हैं। करारी हार के सदमे से गुजर रहे विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी   को एक और झटका लगा है। समाजवादी पार्टी ने  अघाड़ी   से नाता तोड़ने का फैसला किया है। उद्घव ठाकरे गुट द्वारा हिंदुत्व की ओर वापसी के संकेत से आहत होकर ये फैसला लिए जाने की दलील देते हुए सपा के महाराष्ट्र प्रमुख अबू आजमी ने अपने इस ऐलान पर जल्द औपचारिक मुहर लगाए जाने की बात कही.

  

उद्धव ठाकरे गुट के नेता के बाबरी विध्वंस के समर्थन में विज्ञापन देने के मुद्दे से सपा भड़की

समाजवादी पार्टी की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख अबु आसिम आजमी ने एमवीए से हटने के फैसले के पीछे दलील दी कि शिवसेना (यूबीटी) के नेता मिलिंद नार्वेकर की तरफ से अखबारों में एक विज्ञापन दिया गया था, जिसमें बाबरी मस्जिद के विध्वंस में शामिल लोगों को बधाई दी गई थी। उनके (उद्धव ठाकरे के) करीबियों ने इसे एक्स पर भी पोस्ट किया और मस्जिद के गिराए जाने का स्वागत किया। आजमी ने कहा, "इसलिए हम महा विकास आघाडी छोड़ रहे हैं। मैं सपा प्रमुख अखिलेश यादव से बात कर रहा हूं”। आजमी ने कहा है कि उन्हें विश्वास है कि सपा सुप्रीमो 'महाविकास अघाड़ी' से अलग होने के उनके फैसले से सहमत होंगे, जैसे ही उनकी मंजूरी मिलेगी वो अलग होने का औपचारिक एलान कर देंगे।

 

सपा के अघाड़ी से अलगाव को लेकर सियासी दलों ने अपने अपने तरीके से  दी प्रतिक्रिया

रविवार को सोलापुर के मारकडवाडी गांव में ईवीएम के विरोध में हुए प्रदर्शन में शामिल होने पहुंचे थे एनसीपी नेता शरद पवार। जो बाबरी मस्जिद को गिराने वालों की प्रशंसा के बाबत शिवसेना नेता के विज्ञापन के मुद्दे पर सवाल को तो टाल गए। पर उन्होंने अबू आजमी के महाविकास  अघाड़ी  से अलग होने के मुद्दे पर कहा कि अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा का केंद्रीय नेतृत्व इस बात पर दृढ़ है कि विपक्ष की एकता जरूरी है। वहीं, शिवसेना नेता मनीषा कायंदे ने अपने बयान में कहा, "मुझे आश्चर्य है कि अबू आजमी को यह बातें इतनी देर से समझ में आई। महाराष्ट्र में 'एमवीए' की बुरी हार के बाद वह इस प्रकार की बातें करने लगते हैं। अगर 'एमवीए' की जीत होती तो क्या वह ऐसी बातें करते? ऐसे में कहीं ना कहीं दाल में कुछ काला है और उनकी ये कोई नई चाल है। वह यूबीटी के नाम से रो रहे हैं, जिसका कोई दूसरा मतलब भी निकल सकता है।"

 

महाविकास अघाड़ी से अलगाव का फैसला सपा खेमे में लंबे वक्त से धधक रही नाराजगी का नतीजा

सपा नेता अबू आसिम आजमी उद्धव ठाकरे गुट के फिर से हिंदुत्व की ओर झुकने से आक्रोशित होकर  अघाड़ी   से हटने की वजह बता रहे हों पर जानकार मानते हैं कि अखिलेश यादव की पार्टी का मन में तभी से खटास पनपने लगी थी जब चुनाव के दौरान सपा के साथ सीट बंटवारे को लेकर महाविकास  अघाड़ी   ने बेरूखी जता दी थी। यहां तक कि आघाडी के तीनों मुख्य घटक दलों कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) एवं राकांपा (शरद पवार) की जब भी बैठक होती थी तब में छोटे दलों को आमंत्रित नहीं किया जाता था। सपा को भी बैठकों से यूं नजरअंदाज करना नहीं भाता था। पर सपाई खेमे का आकलन था कि एमवीए सत्ता में आ जाएगा तो ऐसी स्थिति में उससे अलग होना नुकसान का सौदा होगा। पर सरकार बनाने की  अघाड़ी   की संभावनाएं ध्वस्त हुईं तो सपा की भी रिश्ते जारी रखने की मंशा धराशायी हो गईं।

 

मुंबई में भव्य आयोजन के जरिए शक्ति प्रदर्शन करने का दांव चला था सपा ने

लोकसभा चुनाव में यूपी की 80 में से 37 सीटें जीतने वाली समाजवादी पार्टी की ओर से जुलाई में मुंबई में एक बड़ा आयोजित किया गया। अबू आजमी द्वारा तय किए गए इस भ्रमण और स्वागत समारोह में यूपी के नवनिर्वाचित 35 सपा सांसदों ने हिस्सा लिया। देश की आर्थिक राजधानी में आयोजित इस आयोजन को सपाई खेमे की ओर से शक्ति प्रदर्शन के बावत “मेगा शो” करार दिया गया। माना गया कि अबू आजमी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिहाज से सियासी दांव चला। क्योंकि लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन का हिस्सा सपा को नहीं बनाया गया था। सियासी जानकारों का आकलन था कि यूपी के सांसदों को मुंबई बुलाने के पीछे विपक्षी गठबंधन में सम्मानजनक स्थान दिए जाने के लिए दबाव बनाने के लिए अबू आजमी ने ये रणनीति अपनाई थी।

   

मुंबई में बसे यूपी के लोगों खासतौर से मुस्लिम वोटरों में अपनी पैठ मजबूत मानती रही है सपा

पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर, प्रयागराज, सिद्धार्थनगर और कौशांबी जिलों के मूल निवासियों की बड़ी आबादी रोजी रोटी की तलाश में मुंबई, ठाड़े, औरंगाबाद और मालेगांव में बस चुकी है। मुंबई की मानकोर शिवाजी नगर, भायखला, वर्सोवा और ठाड़े की भिवंडी ईस्ट और वेस्ट सीटों पर यूपी के लोगों की बड़ी आबादी बसी हुई है। इनमे से मुस्लिम बिरादरी की बहुतायत है। इसी आबादी के सहारे यूपी का क्षेत्रीय दल समाजवादी पार्टी अपनी दस्तक देती रही है। इस बार के विधानसभा चुनाव में भी सपा को यहां से दो सीटें हासिल हुई थीं। मानखुर्द शिवाजी नगर से से सपा के अबू आजमी ने 83,588 वोट हासिल कर एनसीपी के नवाब मलिक को शिकस्त दे दी। वहीं भिवंडी ईस्ट सीट से सपा के रईस शेख ने 52,015 वोटों के बड़े मार्जिन से जीत दर्ज की।

   

अपने अस्तित्व में आने के बाद से ही महाराष्ट्र में आमद दर्ज कर दी थी सपा ने

4 अक्टूबर, 1992 को समाजवादी पार्टी का गठन मुलायम सिंह यादव ने किया था। जो नब्बे के दशक के राम जन्मभूमि आंदोलन के दौर में मुस्लिम समुदाय के सर्वाधिक पसंदीदा चेहरा बन गए थे। मुस्लिम समुदाय में अपनी पैठ का इस्तेमाल करके समाजवादी पार्टी ने यूपी से बाहर महाराष्ट्र में भी अपनी जड़े जमानी शुरू कर दीं।  मुंबई महानगरपालिका में सपा के बीस पार्षद चुनाव जीत गए। सपा पार्षद युसुफ अब्राहानी मुंबई महानगरपालिका में गट नेता चुना गया। 1995 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सुहैल लोखंडवाला, बशीर पटेल व मोहम्मद अली  के तौर पर सपा के तीन विधायक बन गए। सपा के हुसैन दलवाई विधान परिषद के सदस्य बन गए। तभी हुए उपचुनाव में नवाब मलिक मुंबई की नेहरू नगर सीट से सपा के टिकट पर जीत गए। हालांकि बाद में इनमे से ज्यादातर नेता दलबदल कर कांग्रेस और एनसीपी के साथ चले गए।

   

1-लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से 30 पर महाविकास   अघाड़ी    ने अपना कब्जा जमाया था। तब उसे 151 विधानसभा सीटों पर बढ़त हासिल हुई थी। पर पांच महीनों बाद हुए विधानसभा चुनाव मे हवा का रुख बीजेपी के साथ वाली महायुति की तरफ हो गया, जिसने 288 विधानसभा सीटों में से 230 पर परचम फहरा दिया। वहीं,   अघाड़ी    33.65 फीसदी वोट शेयर के साथ महज 46 सीटें ही पा सकी।

 

2- महाराष्ट्र में 2009 के विधानसभा चुनाव में 31 सीटों पर सपा प्रत्याशी उतरे, उसे कुल 3,37,378 वोट हासिल हुए और चार सीटें हासिल हुईं। तब अबु आसिम आजमी दो सीटों से चुनाव जीते थे। बाद मे उन्होंने भिवंडी ईस्ट सीट छोड़ दी। जो उपचुनाव मे सपा से छिन गई। नवापुर के सपा विधायक शरद गावित और भिवंडी पश्चिम से सपा विधायक ताहिर रसीद मोमिन राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए।  साल 2014 के विधानसभा चुनाव म सपा 22 सीटों पर चुनाव लड़ी। उसके वोट घटकर 92304 रह गए और महज एक सीट ही हासिल हुई। साल 2019 के विधानसभा चुनाव में सपा सात सीटों पर चुनाव लड़ी। उसे 1,23,267 वोट मिले जो कुल वोट का 0.22 फीसदी था। महज दो सीटें उसके खाते में दर्ज हुईं। साल 2024 के विधानसभा चुनाव में नौ सीटों पर लड़ी सपा को दो सीटें हासिल हुईं।

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