Lucknow: बीते कई दिनों से यूपी के प्रशासनिक खेमों व सत्ता के गलियारों में सर्वाधिक चर्चा का केंद्र बनी यूपी के मुख्य सचिव की कुर्सी। क्योंकि गुरुवार को मनोज कुमार सिंह का बतौर आईएएस कार्यकाल पूरा हो रहा था। उनके सेवा विस्तार यानी एक्सटेंशन को लेकर कई कयास लग रहे थे, कई किस्से गूंज रहे थे। लेकिन एक्सटेंशन की बाट जोह रहे निर्वतमान मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह को केंद्र सरकार से हरी झंडी न मिल सकी और उनका कार्यकाल खत्म हो गया। तब जाकर 31 जुलाई की शाम पांच बजे ही तस्वीर साफ हो पाई कि यूपी के अगला मुख्य सचिव पद की कमान संभालेंगे शशिप्रकाश गोयल यानी एसपी गोयल।
पिछले साल लोकसभा चुनाव के बाद विस्तारित कार्यकाल की समाप्ति के बाद जब तत्कालीन मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा को अगला एक्सटेंशन नहीं मिला तब उनकी जगह मनोज कुमार सिंह 30 जून 2024 को मुख्य सचिव बनाए गए थे। वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बेहद करीबी माने जाते थे। उनकी सेवा विस्तार की राज्य सरकार की कोशिश परवान न चढ़ सकी। केंद्र सरकार द्वारा अभी तक जितने भी मुख्य सचिवों को सेवा विस्तार दिया गया था, उसका पत्र अंतिम दिन ही आया था। ऐसे में मनोज कुमार सिंह के खेमे को उम्मीद थी कि जैसे पूर्व मे अनूप चंद्र पांडेय और दुर्गा शंकर मिश्र की सेवा अवधि बढ़ाई गई वैसे ही उनका भी कार्यकाल बढ़ जाएगा। पर ये ऐसी उम्मीदों के सिलसिले गुरुवार शाम पांच बजे मनोज कुमार सिंह के रिटायर होने के साथ ही थम गए। शाम को मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) रहे एसपी गोयल को नया मुख्य सचिव नियुक्त कर दिया गया।
यूपी के 56वें मुख्य सचिव एसपी गोयल के पास कई अन्य अहम जिम्मेदारियां भी हैं
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अपर मुख्य सचिव के तौर पर पदासीन रहे एसपी गोयल के पास अब तक नागरिक उड्डयन, राज्य संपत्ति एवं प्रोटोकॉल विभाग की जिम्मेदारी भी थी। जिसकी अतिरिक्त जिम्मेदारी अब प्रमुख सचिव गृह एवं सूचना संजय प्रसाद को सौंप दी गई। जबकि मुख्य सचिव के पद के साथ गोयल को अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त, अपर मुख्य सचिव समन्वय विभाग, अध्यक्ष पिकप, यूपीडा एवं उपशा का सीईओ तथा यूपीडास्प के निदेशक पद की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है।
लखनऊ के ही मूल निवासी गोयल ने यूपीएससी की परीक्षा में टॉप किया था
साल 1967 में जन्मे एसपी गोयल मूलतः लखनऊ के ही रहने वाले हैं। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से बीएससी की पढ़ाई की। बाद में इग्नू से एमसीए किया। साथ ही इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन ट्रेड (IIFT) से ईएमआईबी की डिग्री हासिल की। साल 1989 की यूपीएससी परीक्षा में वे टॉपर रहे। इन्हें आईएएस सर्विसेज का यूपी कैडर मिला। 27 अगस्त 1990 से बतौर आईएएस अपना करियर शुरू किया। पहली पोस्टिंग इटावा में बतौर असिस्टेंट मजिस्ट्रेट हुई थी. दूसरे चरण की ट्रेनिंग से वापसी के बाद मथुरा में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट बनाए गए। मेरठ, अलीगढ़, बहराइच के सीडीओ रहे। 1996 में देवरिया के डीएम बने। इसके बाद मथुरा, इटावा, प्रयागराज, देवरिया के डीएम का भी जिम्मा संभाला।
यूपी में अहम प्रशासनिक जिम्मेदारियों को संभालने के साथ ही केंद्रीय तैनाती पर भी गए
यूपी में मायावती के नेतृत्व वाली बीएसपी सरकार में सबसे ताकतवर माने जाने वाले कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह के स्टाफ अफसर बनाए गए थे एसपी गोयल। अखिलेश यादव सरकार में सचिव नियोजन और कार्यक्रम कार्यान्वयन विभाग रहे। अक्टूबर, 2014 से लेकर मई 2017 तक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए। मानव संसाधन एवं उच्च शिक्षा मंत्रालय में संयुक्त सचिव रहे।19 मई, 2017 को अपना प्रथम कार्यकाल संभालने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने उन्हें अपना प्रमुख सचिव बनाया, बाद में अपर मुख्य सचिव के तौर पर कार्य करते रहे। बीते आठ वर्षों से पंचम तल के सर्वाधिक प्रभावशाली अफसर के तौर पर उभरे।
भविष्य की तमाम बड़ी चुनौतियां मौजूद हैं नए मुख्य सचिव के सामने
लंबे प्रशासनिक अनुभवों से लैस एसपी गोयल का सेवाकाल तकरीबन डेढ़ वर्ष बाद जनवरी 2027 में पूरा होगा। इनके कार्यकाल में ही अगले साल पंचायत चुनाव होने हैं। इनके लिए सीएम योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट जेवर एयरपोर्ट एवं गंगा एक्सप्रेसवे को समय पर पूरा करने की चुनौती रहेगी। साल 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार की सभी महत्वपूर्ण योजनाओं को कुशलतापूर्वक जमीन पर उतारने की परीक्षा से भी गुजरना होगा। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री कार्यालय में काम करने का उनका आठ वर्ष का अनुभव उनके लिए कारगर साबित हो सकेगा।
सूबे की नौकरशाही के शीर्ष पद पर तैनात एसपी गोयल सीएम के प्रधान सलाहकार और सचिवालय के कार्यकारी प्रमुख के तौर पर प्रशासनिक ढांचे को गति देने की जिम्मेदारी निभाएंगे। विभागों के बीच संतुलित तालमेल, मेगा योजनाओं की निगरानी, प्रशासनिक दक्षता में सुधार और बेहतर नीति क्रियान्वयन को लेकर उनकी ओर सभी की निगाहें लगी रहेंगी।
सर्वाधिक सेवा विस्तार वाले अफसर:
यूपी की नौकरशाही में सर्वाधिक सेवा विस्तार वाले अफसर रहे पूर्व मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा। 31 दिसंबर, 2021 को दुर्गा शंकर मिश्र यूपी के मुख्य सचिव बने थे। उन्हें 31 दिसंबर, 2022 को एक साल का विस्तार मिला। फिर केंद्र की मंजूरी के बाद 31 दिसंबर, 2023 को राज्य के मुख्य सचिव के रूप में छह महीने का विस्तार मिल गया। 31 दिसंबर, 2021 से लगातार मुख्य सचिव रहने के बाद चौथा सेवा विस्तार न मिलने के बाद 30 जून, 2024 को रिटायर हुए।
मनोज कुमार सिंह का कार्यकाल तेरह महीने ही रहा:
बीते ढाई दशकों में यूपी में मुख्य सचिव की कुर्सी पर तैनात अफसरों की फेहरिस्त पर गौर करें तो बतौर मुख्य सचिव सबसे लंबी पारी रही थी 1974 बैच के आईएएस अतुल कुमार गुप्ता की। जिन्होंने मायावती के शासनकाल में 29 मई, 2008 और 31 मार्च, 2011 के बीच यूपी के मुख्य सचिव के तौर पर 34 महीनों तक सेवाएं दीं थीं। उनके उत्तराधिकारी अनूप कुमार मिश्रा लगभग 12 महीने ही इस पद पर रहे। वर्ष 2000 और 2008 के बीच मुख्य सचिव नियुक्त किए गए वीके मित्तल, वीके दीवान, बीएन तिवारी, पीके मिश्र, नीरा यादव और अखंड प्रताप सिंह सहित कई आईएएस अफसरों का कार्यकाल कम अवधि का रहा। अखिलेश यादव के शासनकाल में राहुल भटनागर नौ महीनों के लिए, आलोक रंजन तेरह महीने और जावेद उस्मानी 26 महीनों तक मुख्य सचिव के पद पर रहे। साल 1985 बैच के आईएएस आर.के. तिवारी को 30 अगस्त, 2019 को मुख्य सचिव नियुक्त हुए थे। इनका कार्यकाल 28 महीनों का रहा। इनसे पहले योगी सरकार में अनूप चंद्र पांडेय 14 महीने के लिए और राजीव कुमार 12 महीने के लिए मुख्य सचिव रहे। मनोज कुमार सिंह का कार्यकाल तेरह महीने ही रहा।