कल रात से तीन दिनों तक काम ठप कर चुके उत्तर प्रदेश बिजली विभाग के कर्मचारियों ने शुक्रवार को दावा किया कि उनकी हड़ताल से राज्य के कुछ हिस्सों में बिजली वितरण प्रभावित हुआ है। कर्मचारियों ने टकराव के माहौल को खत्म करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप की मांग की।
कर्मचारियों ने गुरुवार को रात 10 बजे अपनी हड़ताल शुरू की, उनका दावा था कि पिछले साल दिसंबर में सरकार द्वारा उनकी कुछ मांगों को तीन महीने बाद भी बिजली निगमों द्वारा पूरा नहीं किया गया है। बिजली कंपनियों में अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के चयन और वेतन विसंगतियों से संबंधित मांगें थी।
सरकार ने कल शाम कहा था कि यदि हड़ताल जनता के लिए समस्या पैदा करती है, तो वह एस्मा के तहत कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी और काम पर वापस नहीं आने वाले संविदा कर्मचारियों को बर्खास्त करने की धमकी दी। सरकार ने यह भी कहा कि अगर प्रदर्शनों के दौरान तोड़फोड़ की जाती है तो राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई शुरू की जाएगी।
बिजली विभाग के कर्मचारियों की यूनियन विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले कर्मचारी विरोध कर रहे हैं। इसके संयोजक शैलेंद्र दुबे ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबंधन के अड़ियल रवैये के कारण कर्मचारियों को हड़ताल पर जाना पड़ा।
टकराव के माहौल को खत्म करने के लिए सीएम आदित्यनाथ के हस्तक्षेप की मांग करते हुए दुबे ने कहा कि हड़ताल हमारा उद्देश्य नहीं है, 3 दिसंबर 2022 को बिजली मंत्री के साथ एक समझौता हुआ था, जिसे बिजली निगम प्रशासन मानने से इनकार कर रहा है।