लखनऊ/ज्ञानेंद्र शुक्ला: स्थानीय निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण को लेकर छिड़ी बहस के बीच योगी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए प्रदेश में ओबीसी आयोग का गठन कर दिया है। रिटायर्ड जज राम अवतार सिंह की अध्यक्षता में गठित आयोग में कुल पांच सदस्य होंगे। सरकार की ओर से इसे लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई है। आयोग की रिपोर्ट के आधार पर ही यूपी के निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग आरक्षण का निर्धारण होगा।
आपको बता दें कि 26 दिसंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने ओबीसी आरक्षण लागू किए बिना ही यूपी में चुनाव कराने के निर्देश सरकार को दिये थे, वहीं सरकार की ओर से साफ़ कहा गया था कि बिना पिछड़ा वर्ग आरक्षण के उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव नहीं कराए जाएंगे। सरकार की ओर से इसे लेकर उच्चतम न्यायालय जाने की बात भी कही गई थी। वहीं अब प्रदेश सरकार ने निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के मद्देनजर पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन कर दिया गया है।
आयोग में इन्हें किया गया शामिल
सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक़ उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग में रिटायर्ड जज राम अवतार सिंह की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी बनायी गयी है। इसमें रिटायर्ड आईएएस चोब सिंह वर्मा, रिटायर्ड आईएएस महेन्द्र कुमार, भूतपूर्व विधि परामर्शी संतोष कुमार विश्वकर्मा और पूर्व अपर विधि परामर्शी व अपर ज़िला जज बृजेश कुमार सोनी को आयोग में शामिल किया गया है। आयोग निकाय चुनाव में ओबीसी वर्ग को आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा, उस रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण तय करेगी।
पिछली सरकारों में भी रैपिड सर्वे के आधार पर ही होता था निकाय चुनाव
हाई कोर्ट से पिछड़ा वर्ग आरक्षण के बिना चुनाव कराने के आदेश के बाद विपक्षी दल कांग्रेस, सपा और बसपा ने भारतीय जनता पार्टी को निशाने पर ले लिया था, जबकि उनके शासनकाल में भी पिछड़ा वर्ग के रैपिड सर्वे के आधार पर ही निकाय चुनाव संपन्न होते आए हैं। वहीं प्रदेश सरकार की ओर से अब पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन करने के साथ ही ओबीसी आरक्षण को लेकर प्रदेश में शुरू हुआ सियासी घमासान थम सकता है।
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गौरतलब है कि निकायों में पिछड़े वर्ग के आरक्षण की व्यवस्था, उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम-1916 में वर्ष-1994 से की गई है। पिछड़ा वर्ग के लिये आरक्षण देने के लिए अधिनियम में सर्वे कराए जाने की व्यवस्था भी की गई है। इसके अनुसार राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक निकाय में पिछड़ा वर्ग का रैपिड सर्वेक्षण कराया जाता है। 1991 के बाद अब तक नगर निकायों के सभी चुनाव (वर्ष-1995, 2000, 2006, 2012 एवं 2017) अधिनियम में दिये गए इन्हीं प्राविधानों और रैपिड सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर कराए गए हैं। इतना ही नहीं, पंचायती राज विभाग द्वारा पिछड़े वर्गों का रैपिड सर्वे मई साल 2015 में कराया गया था। अब तक उसी सर्वे के आधार पर त्रिस्तरीय पंचायतों का चुनाव 2015 और 2021 में कराया गया है।