Friday 15th of November 2024

UP By-Election 2024: उपचुनाव की जंग: कटेहरी विधानसभा सीट का लेखा जोखा

Reported by: Gyanendra Kumar Shukla  |  Edited by: Md Saif  |  November 15th 2024 03:18 PM  |  Updated: November 15th 2024 03:18 PM

UP By-Election 2024: उपचुनाव की जंग: कटेहरी विधानसभा सीट का लेखा जोखा

ब्यूरो: UP By-Election 2024: धर्मनगरी अयोध्या (Ayodhya) से सटे हुए अंबेडकरनगर जिले का हिस्सा है कटेहरी (katehari) विधानसभा सीट। कभी अंबेडकरनगर फैजाबाद जिले का ही हिस्सा हुआ करता था। 29 सितंबर,1995 में इसे विभक्त करके अलग जिला बना दिया गया। अंबेडकरनगर के नौ विकास खंडों में से एक कटेहरी ब्लॉक है। पहले कटेहरी सीट का नाम मिझौड़ा विधानसभा सीट हुआ करता था। तीन दशक से ज्यादा का वक्त हो गया जब से यहां बीजेपी को जीत  नसीब नहीं हो सकी है। 2022 के विधानसभा चुनाव में अंबेडकरनगर जिले की सभी विधानसभा सीटों पर सपा ने क्लीन स्वीप किया था तो लोकसभा चुनाव में भी यहां सपा का डंका बजा था। इस सपाई गढ़ में हो रहे उपचुनाव सपा और बीजेपी दोनों के लिए प्रतिष्ठा का सबब बन चुका है।

      

मूलभूत सुविधाओं से महरूम ये अति पिछड़ा इलाका हर साल बाढ़ की चुनौती से जूझता है

बेरोजगारी और बाढ़ से ये क्षेत्र पीड़ित रहा है। सरयू नदी के किनारे होने की वजह से इसे बाढ़ की विभीषिका सहनी पड़ती है। इस विधानसभा क्षेत्र में तमसा नदी की बाढ़ भी तबाही मचा देती है। कटेहरी के घाघूपुर, दुल्लापुर सहित दर्जनों इलाकों में धान और गन्ने की फसल बाढ़ में डूबने से किसानों को जबरदस्त नुकसान होता है। इस विधानसभा क्षेत्र की सौ साल पुरानी बाजार भीटी तथा कटेहरी हैं। जिन्हें अस्सी के दशक से ही नगर पंचायत बनाने की मांग होती रही है। पर शासन इस मांग को अनसुनी कर देता है। बेहद पिछड़े इस क्षेत्र में उद्योग धँधों का अभाव है। छुट्टा जानवर,गड्ढा युक्त सड़क और बिजली पानी सरीखी मूलभूत जरूरतें भी लोगों की दुश्वारियां बढ़ाती आई हैं। कटेहरी रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों के न रुकने को लेकर भी लोगों की नाराजगी रही है।

         

इस क्षेत्र का नाम पर्यटन के मानचित्र पर मुकम्मल करने की जद्दोजहद जारी है

रामायण काल से ही इस पूरे क्षेत्र का अति धार्मिक महत्व रहा है।  कटेहरी का शिवबाबा धाम, बाबा जगरदेव धाम धार्मिक आस्था का बड़ा केंद्र है। इस इलाके में तीन सौ एकड़ में फैली दरवन झील अति  प्रसिद्ध है। यूपी की बड़ी झीलों में शामिल ये प्राकृतिक झील आसपास के गावों में सिंचाई का मुख्य स्रोत है। ठंड के मौसम में यहां बड़ी तादाद में साइबेरियन प्रजाति के दुर्लभ पक्षी शामिल हैं। इस झील को पर्यटन स्थल और पक्षी विहार के तौर पर स्थापित करने के प्रयास जारी हैं। बीती  8 सितंबर को यहां के दौरे पर आए सीएम योगी ने कटेहरी विधानसभा क्षेत्र को विकास का तोहफा दिया। हीड़ी पकड़िया गांव के बुढ़वा बाबा कुटी के मैदान पर जनकल्याण की 12 अरब 31 करोड़ रुपए की 6778 परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। इसके जरिए क्षेत्र के लोगों को विकास के बाबत संदेश देने की कवायद की गई। 

कभी कांग्रेस का गढ़ रही कटेहरी सीट पर विपक्षी दलों को भी जीत मिलती रही

कटेहरी विधानसभा सीट 1962 में अस्तित्व में आई थी। तब से अब तक इस विधानसभा क्षेत्र में 16 सामान्य चुनाव हो चुके हैं। बीजेपी महज एक बार ही यहां से खाता खोल सकी। 1962 में निर्दलीय प्रत्याशी महादेव यहां से विधायक चुने गए। साल 1967 में कांग्रेस के राम नारायण जीते। तो 1969 और 1974 में कांग्रेस के भगवती प्रसाद शुक्ल विधायक बने। 1977 में जनता पार्टी के रविन्द्र नाथ तिवारी को यहां जीत मिली। पर 1980 में फिर से ये सीट कांग्रेस के पास चली गई, यहां से जिया राम शुक्ल विधायक चुने गए। 1985 और 1989 में रविन्द्र नाथ तिवारी जनता दल के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीते।

      

सिर्फ एक बार बीजेपी का खाता खुला, बीएसपी की जीत के सिलसिले के बाद अब सपा का कब्जा

राममंदिर आंदोलन की शुरुआती लहर में साल 1991 में  अनिल तिवारी ने चुनाव जीतकर बीजेपी का खाता खोला। तब से लेकर अब तक बीजेपी इस सीट पर जीत के लिए तरस रही है। 1993 में यहां बीएसपी के रामदेव वर्मा विधायक बने। इसके बाद 1996, 2002 और 2007 में बीएसपी के टिकट से चुनाव जीतकर धर्मराज निषाद ने जीत की हैट्रिक लगा दी। पर 2012 में सपा के शंखलाल मांझी के खाते में ये सीट चली गई। 2017 में बीएसपी के लालजी वर्मा यहां से जीते। हालांकि बाद में वह बगावत करके सपा में शामिल हो गए। और बतौर सपा प्रत्याशी 2022 का विधानसभा चुनाव जीते। बाद में सांसद बन गए।

      

बीएसपी दिग्गज लालजी वर्मा के अखिलेश यादव के साथ आने के बाद इस क्षेत्र पर सपा का हुआ एकाधिकार

साल 2022 के विधानसभा चुनाव में अंबेडकरनगर की सभी पांच विधानसभा सीटों पर सपा ने क्लीन स्वीप किया था। इनमें से कटेहरी सीट भी शामिल थी। यहां से लालजी वर्मा चुनाव जीते थे। तब उन्हें 93,524 वोट मिले थे। इस सीट से एनडीए की सहयोगी निषाद पार्टी के अवधेश निषाद 85,828 वोट पाकर दूसरे पायदान पर रहे थे। वहीं, तीसरे स्थान पर रहे बीएसपी के प्रतीक पाण्डेय को 85,482 वोट मिले थे। साल 2024 के लोकसभा चुनाव में अंबेडकर नगर संसदीय सीट से चुनाव जीतकर लालजी वर्मा सांसद चुन लिए गए। उनके इस्तीफे से रिक्त हुई कटेहरी सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं।

          

आबादी के आंकड़े और जातीय गुणा गणित के नजरिए से कटेहरी सीट का आकलन

कटेहरी सीट पर 4,00,874 वोटर हैं। जिनमें सर्वाधिक तादाद अनुसूचित जाति के वोटरों की है। यहां 95,000 दलित बिरादरी के वोटर हैं। इसके  बाद दूसरी बड़ी आबादी ब्राह्मणों की है। इस सीट पर 50,000 ब्राह्मण वोटर हैं। 45 हजार कुर्मी वोटर हैं। 40,000 मुस्लिम वोटर हैं। 30-30 हजार क्षत्रिय व निषाद वोटर हैं। बीस हजार राजभर बिरादरी और पन्द्रह हजार बनिया वर्ग के वोटर हैं। दस हजार मौर्य, आठ हजार नाई, सात हजार पाल बिरादरी , छह हजार कुम्हार बिरादरी और पांच हजार चौहान बिरादरी के वोटर हैं। यहां चार हजार विश्वकर्मा वोटर हैं। अन्य बिरादरी के दस हजार के करीब वोटर हैं। अनुसूचित जाति के वोटरों के रुख से ही चुनावी नतीजे प्रभावित होते रहे हैं।

चुनावी बिसात पर जातीय समीकरणों को साधने में जुटे हैं सियासी योद्धा

चूंकि कटेहरी में जातिगत आधार पर ही चुनावी गणित टिकी हुई है इसलिए जाति फैक्टर के मद्देनजर ही सभी दलों ने प्रत्याशी तय किए हैं। तीनों ही प्रमुख दलों ने ओबीसी चेहरों पर दावं लगाया है। सपा से सांसद लालजी वर्मा की  पत्नी शोभावती वर्मा सपा प्रत्याशी हैं। तो बीजेपी ने धर्मराज निषाद को मैदान में उतारा है। बीएसपी से अमित वर्मा ताल ठोंक रहे हैं। बीजेपी प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करने के लिए बीजेपी ने मंत्रियों-विधायकों और संगठन पदाधिकारियों की पूरी ताकत झोंक रखी है। लालजी वर्मा अपने इस गढ़ को बचाने के लिए सपा पदाधिकारियों के साथ सक्रिय हैं। कटेहरी के मुस्लिम बाहुल्य इलाके मिझौड़ा व इल्तिफातगंज में वोटरों को समझाने के लिए कैराना से सपा सांसद इकरा हसन खुद पहुंची थीं। तो बीएसपी के अमित वर्मा के लिए खुद उनकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल मशक्कत कर रहे हैं।

       

कटेहरी से चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों का बीएसपी से रहा है गहरा नाता

इस सीट से चुनाव लड़ रहे अमित वर्मा तो बीएसपी के प्रत्याशी हैं ही। वहीं, सपा प्रत्याशी शोभावती वर्मा के पति लालजी वर्मा तो एक दौर में बीएसपी सुप्रीमो मायावती के खास सिपहसालार माने जाते थे। मायाराज में कैबिनेट मंत्री हुआ करते थे। बाद में बगावत करके सपा में शामिल हो गए। वहीं, बीजेपी प्रत्याशी धर्मराज निषाद भी कभी मायावती के विश्वस्त हुआ करते थे। साल 1996 और 2002 में बीएसपी से विधायक बने। बीएसपी के टिकट पर ही चुनाव लड़कर 2007 का चुनाव जीते और जीत की हैट्रिक लगाई। बाद में मायावती ने उन्हें अपनी कैबिनेट में शामिल भी किया। पर बाद में बीएसपी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए। साल 2022 का चुनाव अकबरपुर सीट से बीजेपी के टिकट से लड़े पर हार गए।

       

जीत के ख्वाहिशमंद सभी दल अपने अपने समीकरणों के तहत वोटरों को रिझा रहे हैं

कुछ दिनों पहले यहां के बीजेपी प्रत्याशी धर्मराज निषाद के समर्थन मे लगी एक होर्डिंग अपनी दिलचस्प इबारत की वजह से सुर्खियों में छा गई थी। जिसमें प्रत्याशी की फोटो के साथ योगी आदित्यनाथ और पीएम नरेंद्र मोदी की भी तस्वीर लगी हुई थी। इस पर वोटरों से अपील करते हुए दर्ज था 'या ता अबकी जिताय द, या ता टिकठी प लेटाय दा!!' अवधी में लिखी इन पंक्तियों का अर्थ है,चुनाव में अबकी बार या तो जिता दो या फिर अर्थी पर लिटा दो। बहरहाल, साल 2017 और 2022 में इस सीट पर चुनाव ओबीसी बनाम ब्राह्मण हो गया था। पर इस बार यहां मुकाबला ओबीसी बनाम ओबीसी हो रहा है। जानकार मानते हैं कि इस सीट पर पिछड़े व दलित वोटरों को जिसने लामबंद कर लिया चुनावी जीत उसी के खाते में दर्ज होगी।

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