ब्यूरोः उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। प्रदेश से कांग्रेस के लिए अच्छी खबर है। उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी को एक और सीट मिल सकती है। समाजवादी पार्टी ने इससे पहले उपचुनाव के लिए कुल 9 सीटों में से गठबंधन की ओर से कांग्रेस को केवल दो सीटें ऑफर की गई थीं।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो राहुल गांधी और अखिलेश यादव के बीच बातचीत हुई और कांग्रेस को फूलपुर विधानसभा सीट मिल सकती है। लेकिन अभी तक कुछ भी फाइनल नहीं हुआ है। माना जा रहा है कि जल्द ही इस पर फैसला आ सकता है। समाजवादी पार्टी की तरफ से पहले ही कांग्रेस को गाजियाबाद और खैर सीट पहले ही दे रखी है। दरअसल, कांग्रेस की तरफ से उचुनाव में 5 सीटों पर दावा किया गया था। लेकिन समाजवादी पार्टी ने अपनी तरफ से 7 उम्मीदवारों को उतार दिया है। समाजवादी पार्टी के इस कदम से कांग्रेस में नाराजगी दिखी थी। अभी तक उसके खाते में सिर्फ दो सीटें हैं।
गाजियाबाद सीट बीजेपी का गढ़ रही है
दरअसल, गठबंधन के तहत मिल रही गाजियाबाद विधानसभा सीट पर समीकरण बीजेपी से इतर दलों के लिए बेहद जटिल हैं। इस विधानसभा सीट पर शुरुआती दौर में कांग्रेस का ही कब्जा तो रहा लेकिन आपातकाल के बाद इस सीट पर 1977 में जनता पार्टी के राजेंद्र चौधरी चुनाव जीत गए। नब्बे के दशक से यहां बीजेपी का प्रभाव कायम होता गया। साल 1991, 1993 और 1996 में बीजेपी ने यहां परचम फहराया। 2002 में कांग्रेस तो 2004 में यहां से समाजवादी पार्टी को जीत हासिल हुई। 2007 में यहां से बीजेपी जीती तो 2012 में ये सीट बीएसपी के पास चली गई। लेकिन 2017 और 2022 से ये सीट बीजेपी के पास है।
खैर विधानसभा सीट पर भी कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद लचर रहा
अलीगढ़ जिले की खैर विधानसभा सीट पर 1985 में लोकदल ने जीत हासिल करके कांग्रेस का वर्चस्व तोड़ दिया। 1989 में यहां से जनता दल को कामयाबी मिली। नब्बे के दशक के राममंदिर आंदोलन के बाद इस सीट पर बीजेपी का वर्चस्व कायम होता गया। बाद में इस सीट पर जनता दल, रालोद और बीजेपी को जीत मिली। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी को 55.55 फीसदी वोट मिले। दूसरे पायदान पर रही बीएसपी को 25.98 फीसदी और सपा की सहयोगी के तौर पर चुनाव लड़ी रालोद को 16.57 फीसदी वोट मिले। चौथे पायदान पर रही कांग्रेस को महज 1514 वोट मिल सके थे जो कुल वोटों का 0.6 फीसदी ही था। साल 2017 और 2022 में यहां से बीजेपी के अनूप प्रधान विधायक चुने गए। लेकिन अब वह हाथरस के सांसद बन गए हैं लिहाजा यहां उपचुनाव हो रहे हैं। वोटों के आंकड़े जता रहे हैं कि ये सीट कांग्रेस के लिए बेहद मुश्किलों से भरी हुई ।