Friday 22nd of November 2024

जीरो टॉलरेंस: यूपी सरकार ने तीन साल में तीस हजार मामलों में अपराधियों को दी सजा

Reported by: PTC News उत्तर प्रदेश Desk  |  Edited by: Shagun Kochhar  |  May 11th 2023 05:49 PM  |  Updated: May 11th 2023 08:14 PM

जीरो टॉलरेंस: यूपी सरकार ने तीन साल में तीस हजार मामलों में अपराधियों को दी सजा

लखनऊ: योगी सरकार प्रदेश में जीरो टॉलरेंस नीति के तहत अपराध और अपराधियों की कमर तोड़ रही है। यूपी पुलिस जहां एक तरफ सीधा मुकाबला करते हुए अबतक 184 बदमाशों को ढेर कर चुकी है, वहीं एक बहुत बड़ी संख्या ऐसे अपराधियों की भी है, जिन्हें न्यायालय में पुलिस की प्रभावी पैरवी से बेदम कर दिया गया है। यूपी पुलिस का अभियोजन निदेशालय इसमें अहम रोल अदा कर रहा है। पिछली सरकारों में जहां अभियोजन निदेशालय हाशिये पर रहता था, वहीं योगी सरकार ने इसे खास तरजीह दी है। इसी का नतीजा है कि प्रदेश के विभिन्न न्यायालयों में अभियोजन निदेशालय की प्रभावी पैरवी से पिछले तीन साल के अंदर तकरीबन 30 हजार मामलों में अपराधियों को उनके गुनाहों की सजा मिल चुकी है।

अभियोजन निदेशालय ने बनाया रिकॉर्ड

अभियोजन निदेशालय के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 से 2022 तक पॉक्सो एक्ट में 4078, रेप के केस में 1218, क्राइम अगेंस्ट वूमेन एंड चिल्ड्रेन केस में 8646, हत्या के केस में 2387, दहेज हत्या के केस में 1152, लूट के केस में 1141, गोवंश हत्या के केस में 279 और आर्म्स एक्ट के केस में 10520 मामलों में सजा दिलाई गई है। अभियोजन निदेशालय की ओर से रिकॉर्ड स्तर पर अपराधियों को उनके किये की सजा दिलाने के लिए कई अवार्ड भी मिल चुके हैं।

पॉक्सो एक्ट में 332 प्रतिशत के रेशियो से दिलाई गई सजा

अभियोजन निदेशालय के एडीजी आशुतोष पांडेय ने बताया कि पिछले तीन साल में कोर्ट में प्रभावी पैरवी और शत-प्रतिशत गवाहों की गवाही कराकर अपराधियों को सजा दिलाने में शानदार प्रदर्शन किया है। निदेशालय ने कोर्ट में प्रभावी पैरवी के जरिये वर्ष 2020 में पोक्सो के तहत जहां 535 मामलों में सजा दिलाई, वहीं वर्ष 2022 में 2313 मामलों में सजा दिलाई गई, जिसका रेशियो वर्ष 2020 के मुकाबले वर्ष 2022 में 332 प्रतिशत अधिक रहा। इसी तरह रेप के मामले में वर्ष 2020 में 177 मामलों में सजा दिलाई गई, तो वहीं वर्ष 2022 में 671 मामलों में सजा दिलाई गई, जिसका रेशियो वर्ष 2020 के मुकाबले 2022 में 280 प्रतिशत अधिक रहा है। इसी प्रकार क्राइम अगेंस्ट वूमेन एंड चिल्ड्रन के मामलों में वर्ष 2020 में 1048 मामलों में सजा दिलाई गई जबकि वर्ष 2022 में 5351 मामलों में सजा दिलाई गई, जिसका रेशियो वर्ष 2020 के मुकाबले वर्ष 2022 में 411 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। हत्या के केस में वर्ष 2020 में 420 मामलों जबकि 2022 में 1180 मामलों में सजा दिलाई गई, जिसका रेशियो वर्ष 2020 के मुकाबले वर्ष 2022 में अपराधियों को सजा दिलाने में 181 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

तीन वर्ष में आर्म्स एक्ट में सबसे अधिक दिलाई गई सजा  

अभियोजन निदेशालय ने दहेज हत्या के केस में वर्ष 2020 में 182 मामलों जबकि वर्ष 2022 में 572 मामलों में सजा दिलाई गई। इसी तरह लूट के केस में वर्ष 2020 में 177 मामलों जबकि वर्ष 2022 में 745 मामलों में सजा दिलाई गई, जिसका रेशियो वर्ष 2020 के मुकाबले वर्ष 2022 में 321 प्रतिशत अधिक रहा। वहीं गोवंश के मामले में जहां वर्ष 2020 में 29 मामलों तो वर्ष 2022 में 200 मामलों में सजा दिलाई गई। वहीं सबसे अधिक पिछले तीन वर्ष में सबसे अधिक आर्म्स एक्ट के मामलों में सजा दिलाई गई। आर्म्स एक्ट के मामले में वर्ष 2020 में 1960 मामलों जबकि वर्ष 2022 में 6373 मामलों में सजा दिलाई गई, जिसका रेशियो वर्ष 2020 के मुकाबले वर्ष 2022 में 225 प्रतिशत अधिक रहा।  

मिले चुके हैं कई अवार्ड

अभियोजन निदेशालय को पूरे देश में कम समय में अपराधियों को सजा दिलाने, ई ऑफिस और ई प्रॉसीक्यूशन पोर्टल पर देश में अच्छा प्रदर्शन करने पर अवार्ड, प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया है। अभियोजन निदेशालय के एडीजी आशुतोष पांडेय ने बताया कि वर्ष 2021 में भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने आईसीजेएस सिस्टम के तहत नेशनल क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो की ओर से देश में उत्तर प्रदेश को अभियोजन कार्य के लिए अवार्ड दिया था। यह अवार्ड वर्ष 2022 में भी उत्तर प्रदेश के अभियोजन निदेशालय को दिया गया। इसी तरह ई प्रॉसीक्यूशन के लिए वर्ष 2022 में स्कॉच अवार्ड से सम्मानित किया गया।

PTC NETWORK
© 2024 PTC News Uttar Pradesh. All Rights Reserved.
Powered by PTC Network