ब्यूरो: Yogi Cabinet Expansion: यूपी की योगी 2.0 सरकार के दूसरे कैबिनेट विस्तार को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। बीजेपी संगठन में होने वाले बदलावों के चलते कुछ मंत्रियों को हटाकर संगठन की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। माना जा रहा है कि दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव की चुनौती के मुकाबले के लिए बीजेपी जातीय-सामाजिक संतुलन बनाने में जुटी है। इन्हीं समीकरणों का ख्याल रखकर कई नए चेहरों को योगी सरकार में मंत्री पद का जिम्मा सौंपा जाएगा तो कुछ मौजूदा चेहरों की मंत्रिमंडल से बेदखली भी हो सकती है। सब ठीक रहा तो होली के बाद इस विस्तार को अंजाम दिया जाएगा।
सीएम योगी के दिल्ली दौरे के बाद मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा ने जोर पकड़ा
शनिवार को सीएम योगी के दिल्ली दौरे के बाद यूपी में मंत्रिमंडल विस्तार की खबरें फिर से सुर्खियों मे छाने लगी हैं। दरअसल, दिल्ली पहुंचे सीएम योगी ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की इसके बाद वह पीएम नरेंद्र मोदी से मिलने पहुंचे। महाकुंभ के आयोजन के बाद सीएम योगी की ये पहली दिल्ली यात्रा थी। पार्टी सूत्रों के अनुसार दिल्ली में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से हुई मुलाकात के दौरान जहां यूपी के मौजूदा हालातों का अपडेट सीएम योगी ने दिया वही मंत्रिमंडल में फेरबदल को लेकर भी चर्चा की गई। केंद्रीय नेतृत्व के साथ हुई इस चर्चा को सरकार और संगठन में बदलाव को लेकर सहमति बनाने की कोशिश के तौर पर भी देखा गया।
पार्टी में सांगठनिक बदलाव के साथ ही मंत्रिमंडल बदलाव को लेकर मंथन होता रहा है
यूपी बीजेपी में बीते कई महीनों से प्रदेश संगठन के पदाधिकारियों को चुनने की कवायद जारी थी। पार्टी में अब 98 संगठनात्मक जिलों के जिलाध्यक्षों की लिस्ट का इंतजार किया जा रहा है। जिला अध्यक्षों की लिस्ट सामने आने के बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के पद के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावड़े लखनऊ में सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक व अन्य मंत्रियों से लेकर महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह के साथ मंत्रिमंडल विस्तार और संगठन को लेकर बैठक कर चुके हैं। आगामी चुनावी चुनौतियो के लिहाज से किन वर्गों व जातियों को मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी देने से पार्टी को मदद मिल सकेगी इसके पहलुओं को परखा गया। विवादों की वजह से जिलाध्यक्षों के नामों की लिस्ट में पेंच फंस गया, ये लिस्ट दिल्ली तलब कर ली गई। अब केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी मिलने के बाद फाइनल हुए नामों का ऐलान किया जाना है। संगठन को दुरुस्त करने के साथ ही पार्टी नेतृत्व सरकार की रूपरेखा को मजबूती देने पर भी फोकस कर रहा है।
अभी आधा दर्जन मंत्री पद रिक्त हैं, कुछ मंत्रियों को हटाए जाने के बाद ये रिक्त पद और बढ़ सकते हैं
संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार यूपी विधानसभा में सदस्यों की संख्या के लिहाज से सूबे में अधिकतम 60 मंत्री नियुक्त किए जा सकते हैं। इस वक्त योगी कैबिनेट में सीएम योगी आदित्यनाथ सहित 21 कैबिनेट मंत्री हैं। तो वहीं, 14 राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और 19 राज्यमंत्री हैं, यानी कुल 54 मंत्री हैं। अभी भी छह मंत्रियों के लिए स्थान रिक्त है। जाहिर है छह नए चेहरे तो शामिल हो ही सकते हैं वहीं, कुछ मंत्रियों के कामकाज को लेकर सवाल हैं लिहाजा उनकी विदाई हो सकती है। ऐसे में रिक्त पदों की संख्या बढ़ सकती है। इन्हीं पदों पर काबिज होने के लिए कई विधायक और पार्टी पदाधिकारी गुणा गणित भिड़ा रहे हैं। हालांकि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व द्वारा सरकार का हिस्सा बनाने के लिए पार्टी के लिए समर्पित व उपयोगी जमीनी चेहरों का आकलन कर चुका है।
विपक्षी खेमे के जातीय कार्ड खासतौर से सपा के पीडीए से मुकाबले की कवायद
भले ही यूपी में विधानसभा चुनाव दो साल बाद होने हों लेकिन सियासी दलों ने अपनी तैयारी अभी से शुरू कर दी है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव फिर से अपने पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक यानी पीडीए फार्मूले को धार दे रहे हैं। इस फार्मूले ने संसदीय चुनाव में यूपी में बीजेपी की उम्मीदें धाराशायी कर दी थीं हालांकि दस विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में फिर से बीजेपी ने वापसी की। लेकिन जिस तरह से कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जातीय कार्ड को लेकर आक्रामक तेवरों में नजर आ रही हैं। उससे मुकाबले के लिए बीजेपी में भी ओबीसी और एससी वर्ग के अहमियत बढ़ाने को लेकर मंथन तेज है। इसलिए माना जा रहा है कि कैबिनेट विस्तार में दलित व पिछड़े वर्ग के कई चेहरों को योगी मंत्रिमंडल का हिस्सा बनाया जाएगा। यूपी में जैसे ही जिलाध्यक्षों की लिस्ट घोषित होगी उसके बाद नए प्रदेश अध्यक्ष का नाम तय किया जाएगा। माना जा रहा है कि नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ ही मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी को संगठन से सरकार में लाया जाएगा। क्योंकि प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मा संभालने के बाद उन्होंने मंत्री पद छोड़ दिया था। लिहाजा अब संगठन के दायित्व से मुक्त होने के बाद वापस इन्हें सरकार में साझेदारी मिलेगी, कैबिनेट मंत्री का ओहदा मिलना लगभग तय मान जा रहा है। वहीं, दलित व पिछड़े वर्ग को साधने के लिए इन बिरादरियों के विधायकों को मंत्री पद की जिम्मेदारी मिलेगी।
पहला मंत्रिमंडल विस्तार आम चुनाव में पार्टी की उम्मीदों को परवान चढ़ाने के लिए किया गया था
गौरतलब है कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले योगी सरकार का पहला मंत्रिमंडल अंजाम दिया गया था। इसमें बीजेपी के विधायकों के साथ ही सहयोगी दलों को खासतौर से तवज्जो मिली थी। क्योंकि तब आम चुनाव के पहले एनडीए को अपने घटक दलों को एकजुट रखने का संदेश देना था। इसी वजह से लंबे वक्त से मिनिस्टर इन वेटिंग रखे गए सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओपी राजभर को कैबिनेट मंत्री बनाया गया तो वहीं, बीजेपी एमएलसी दारा सिंह चौहान, साहिबाबाद से बीजेपी विधायक सुनील शर्मा और राष्ट्रीय लोकदल के अनिल कुमार को मंत्री पद से नवाजा गया था। माना गया था कि इस विस्तार के जरिए पार्टी ने संसदीय चुनाव के लिए जातीय समीकरणों के नजरिए से अपने कील कांटे दुरुस्त किए हैं।इस विस्तार के बाद योगी मंत्रिमंडल में सामान्य वर्ग के 24, ओबीसी समाज से 22 और एससी –एसटी वर्ग के 10 मंत्री हो गए थे।
बहरहाल, 25 मार्च 2022 को योगी सरकार 2.0 का शपथ ग्रहण हुआ था। इसके दो वर्ष बाद 5 मार्च, 2024 को आम चुनाव से पहले पार्टी का पहला कैबिनेट विस्तार हुआ था। अब बीजेपी की प्रदेश सरकार दूसरे कैबिनेट विस्तार पर फोकस रही है। संगठन और सरकार में जातीय-सामाजिक व क्षेत्रीय संतुलन बिठाकर आगामी चुनावी चुनौतियों का मुकाबला करने की रणनीति पर बीजेपी खेमा अमल कर रहा है। साल 2027 के विधानसभा में बीजेपी यूपी में मिशन हैट्रिक के लिहाज से कैबिनेट विस्तार की कवायद अहम साबित होगी। लिहाजा बीजेपी खेमा कोई भी कोताही नहीं बरतना चाहता है, हर मुमकिन कोशिश करना चाहता है और सारे समीकरण साधना चाहता है।
योगी 1.0 सरकार में दो बार कैबिनेट विस्तार को अंजाम दिया गया था
19 मार्च 2017 को पहली बार सत्ता संभाली थी योगी सरकार ने। तब सरकार गठन के बाद 22 अगस्त 2019 को बीजेपी सरकार का पहला मंत्रिमंडल विस्तार हुआ था। उस दौरान मंत्रिमंडल में 56 सदस्य थे। कोरोना के चलते तीन मंत्रियों का निधन हो गया था। इनमें राज्यमंत्री विजय कुमार कश्यप, मंत्री चेतन चौहान और मंत्री कमल रानी वरुण के नाम शामिल थे। पहले मंत्रिमंडल विस्तार में 6 स्वतंत्र प्रभार मंत्रियों को कैबिनेट की शपथ दिलाई गई थी। इसमें तीन नए चेहरे थे। इसके बाद 26 सितंबर, 2021 में दूसरा कैबिनेट विस्तार हुआ था। जिसमें कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए जितिन प्रसाद के साथ ही पलटू राम, संजीव कुमार, संगीता बिंद, दिनेश खटिक, धर्मवीर प्रजापति और छत्रपाल गंगवार को शामिल किया गया था।