Saturday 25th of October 2025

प्रॉसेसिंग हब बन रहा उत्तर प्रदेश-कृषि से औद्योगिक प्रगति की नई कहानी लिख रहा प्रदेश

Reported by: Gyanendra Kumar Shukla, Editor, PTC News UP  |  Edited by: Dishant Kumar  |  October 25th 2025 06:22 PM  |  Updated: October 25th 2025 06:22 PM

प्रॉसेसिंग हब बन रहा उत्तर प्रदेश-कृषि से औद्योगिक प्रगति की नई कहानी लिख रहा प्रदेश

लखनऊ- उत्तर प्रदेश अब कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को औद्योगिक शक्ल दे रहा है। राज्य तेजी से भारत का फूड प्रोसेसिंग हब बनकर उभर रहा है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च की हालिया रिपोर्ट में गुजरात और उत्तर प्रदेश को देश के प्रमुख प्रोसेसिंग केंद्रों के रूप में रेखांकित किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, आपूर्ति पक्ष पर जहां गुजरात के मेहसाणा और बनासकांठा में आधुनिक डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण) संयंत्र विकसित हुए हैं, वहीं उत्तर प्रदेश के आगरा और फर्रूखाबाद जिलों में नए अत्याधुनिक प्रोसेसिंग प्लांट्स स्थापित हो रहे हैं। इन संयंत्रों को कांट्रैक्ट फार्मिंग और कोल्ड स्टोरेज नेटवर्क का मजबूत आधार प्राप्त है, जिससे किसानों को अपने उत्पादों का बेहतर मूल्य मिल रहा है। योगी सरकार का यह मिशन न केवल किसानों को आत्मनिर्भर बना रहा है, बल्कि उत्तर प्रदेश को एक ‘कृषि से उद्योग’ परिवर्तन मॉडल के रूप में स्थापित कर रहा है—जहां खेत से लेकर फैक्ट्री तक हर स्तर पर विकास की गूंज सुनाई दे रही है।

2.55 लाख युवाओं को रोजगार 

राज्य में फिलहाल 65,000 से अधिक फूड प्रोसेसिंग इकाइयां संचालित हैं, जिनसे करीब 2.55 लाख युवाओं को रोजगार मिला है। सरकार का लक्ष्य हर जिले में कम से कम 1,000 नई प्रोसेसिंग यूनिट्स स्थापित करना है, जिससे खेती को मूल्य संवर्धन (Value Addition) और रोजगार दोनों के अवसर मिलेंगे। योगी सरकार ने अब तक 15 से अधिक एग्रो एवं फूड प्रोसेसिंग पार्क विकसित किए हैं, जिनमें बरेली, बाराबंकी, वाराणसी और गोरखपुर प्रमुख हैं। बरेली में बीएल एग्रो द्वारा करीब ₹1,660 करोड़ की इंटीग्रेटेड एग्रो प्रोसेसिंग हब की स्थापना प्रस्तावित है, जिसमें चावल मिलिंग, तेल निष्कर्षण और पैकेजिंग जैसी आधुनिक सुविधाएं होंगी।

निर्यात और नवाचार के नए आयाम गढ़ रहा उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश सरकार का विशेष फोकस अब फल-सब्जी प्रसंस्करण, हाई-वैल्यू क्रॉप्स और निर्यात-उन्मुख उद्योगों पर है, ताकि राज्य की कृषि उत्पादकता वैश्विक बाजार से सीधे जुड़ सके। इसी दिशा में आगरा में इंटरनेशनल पोटैटो सेंटर (CIP) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना की योजना बनाई गई है, जहां आलू और अन्य ट्यूबर फसलों पर अत्याधुनिक अनुसंधान होगा। यह पहल कानपुर, आगरा, लखनऊ और फर्रूखाबाद जैसे प्रमुख आलू उत्पादक जिलों के लिए बड़ा अवसर साबित होगी, जिससे किसानों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी कीमतें और निर्यात संभावनाएं मिलेंगी। वर्तमान में अमेरिका, बांग्लादेश, यूएई और वियतनाम जैसे देश भारत से बड़े पैमाने पर प्रॉसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स का आयात कर रहे हैं, जिससे भारतीय प्रसंस्करण उद्योग को नई पहचान मिल रही है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि वर्ष 2030 तक भारत का उपभोक्ता व्यय $6 ट्रिलियन तक पहुंच जाएगा, जो उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के लिए इस क्षेत्र में निवेश, रोजगार और निर्यात के अभूतपूर्व अवसर लेकर आएगा।

नीति से मिल रही नई रफ्तार

उत्तर प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को गति देने के लिए योगी सरकार ने एक स्पष्ट और सशक्त वित्तीय व नीतिगत वातावरण तैयार किया है। राज्य की ‘खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति 2023’ इस दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है, जिसके तहत 19 नई परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है। नीति के तहत उद्यमियों को उत्पादन-आधारित सब्सिडी, ब्याज सहायता, भूमि उपयोग, स्टाम्प ड्यूटी और विकास शुल्क में छूट जैसी आकर्षक रियायतें दी जा रही हैं। इसके अलावा, सौर ऊर्जा, कोल्ड-चेन, क्लस्टर मॉडल और तकनीकी उन्नयन को विशेष प्रोत्साहन दिया जा रहा है। नीति का मुख्य फोकस “कच्चे माल की स्थानीय उपलब्धता” पर है, ताकि किसानों, प्रोसेसर्स और उद्यमियों के बीच त्रिस्तरीय वैल्यू चेन बन सके। बड़े बाजार, उत्पादन की कम लागत और दक्ष मानव संसाधन जैसी खूबियों के कारण उत्तर प्रदेश आज देश के सबसे आकर्षक फूड प्रोसेसिंग निवेश केंद्रों में गिना जा रहा है।

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