ब्यूरो: Prayagraj: 45 दिन चले दिव्य और भव्य महाकुंभ का समापन हो चुका है। करोड़ों श्रद्धालुओं ने संगम पहुंचकर आस्था की डुबकी लगाई। महाकुंभ से प्रयागराज समेत पूरी उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बूस्टर डोज मिला। इस दौरान रोजगार से जुड़ी कई रोचक कहानियां सामने आईं। किसी ने महाकुंभ में चाय बेचकर तो किसी ने दातुन बेचकर मोटी कमाई कर ली। अब ऐसे व्यक्ति की कहानी सामने आई है जिसने नाव चलाकर 45 दिनों में 30 करोड़ रुपये कमा लिए।
सीएम योगी ने भी किया जिक्र
एक नाविक परिवार ने महाकुम्भ-2025, प्रयागराज में 45 दिनों में ₹30 करोड़ की कमाई की है... pic.twitter.com/BqJ3OXYeio
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) March 4, 2025
इस बारे में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी विधानसभा में जिक्र किया। सीएम ने बजट सत्र के आखिरी दिन विधानसभा में बताया कि एक नाविक परिवार के पास 130 नावें थीं। उसने महाकुंभ के दौरान केवल 45 दिनों में 30 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर ली। सीएम योगी ने कहा कि इस नाविक को 45 दिन में 30 करोड़ रुपये की बचत हुई है, अगर कुल कमाई की बात करें तो यह इससे ज्यादा ही होगी।
मुख्यमंत्री ने एक नाविक परिवार का उदाहरण देते हुए बताया कि उनके पास 130 नौकाओं का बेड़ा था, जिससे उन्होंने 13 जनवरी से 26 फरवरी तक 30 करोड़ रुपये की कमाई की। सीएम योगी ने कहा कि महाकुंभ में हर तबके ने अच्छी आमदनी की। इससे यूपी की अर्थव्यवस्था में साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक का योगदान मिलेगा। उन्होंने इसे प्रधानमंत्री के विजन का परिणाम बताते हुए कहा कि यूपी देश की आत्मा है और पूरी दुनिया ने महाकुंभ के महा चमत्कार को देखा है।
जानिए कौन है वो परिवार
प्रयागराज का रहने वाला महरा परिवार, जिसने 45 दिनों में 30 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर ली। जब से यह जानकारी सामने आई है तब से ही महरा परिवार चर्चा का केंद्र बना हुआ है। नाविक परिवार में खुशी का माहौल है, परिवार के सदस्य एक दूसरे को मिठाइयां खिलाकर जश्न मना रहे हैं। प्रयागराज के पिंटू महरा और उनकी मां शुक्लावती ने कहा कि योगी सरकार की तरफ से किए गए बेहतर इंतजामों के कारण ही श्रद्धालुओं की संख्या में काफी वृद्धि हुई, जिससे उनकी कमाई में भी बढ़ोतरी हुई।
प्रयागराज के अरैल के रहने वाले पिंटू महरा ने बताया कि उनके परिवार में 500 से ज्यादा लोग नाव चलाने के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। परिवारजनों का कहना है कि पहली बार निषाद समुदाय को इतना सम्मान और रोजगार मिला है। शुक्लावती ने बताया कि उन्होंने पहले कभी इतनी बड़ी रकम नहीं देखी थी।