अदालती मामलों का तेजी से निपटारा सुनिश्चित करने के लिए योगी सरकार जेलों में ऐसे बंदियों की वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई शुरू करने की तैयारी कर रही है, जो एक साल से अधिक समय से अदालत में पेश नहीं हुए हैं।
इस संबंध में एक प्रस्ताव कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग द्वारा मुख्य सचिव के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। इस प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद इसे अमलीजामा पहनाया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश की जेलों में कई ऐसे कैदी हैं, जिन्हें तबादले या दोषसिद्धि के कारण अदालत द्वारा पेशी के लिए नहीं बुलाया जा रहा है। इसलिए विभाग ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए इनका ट्रायल चलाने की सिफारिश की है।
विभाग की ओर से पेश आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश की विभिन्न जेलों में कुल 232 ऐसे कैदी बंद हैं, जो एक साल या इससे ज्यादा समय से कोर्ट में पेश नहीं हुए हैं। इनमें अयोध्या जोन के 16, लखनऊ के 55, कानपुर के 8, वाराणसी के 10, प्रयागराज के 5, मेरठ के 41, गोरखपुर के 24, बरेली के 28 और आगरा जोन के 45 कैदी शामिल हैं।
विभाग ने कहा है कि इन बंदियों को एक जेल से दूसरी जेल में स्थानांतरित करने के कारण माननीय न्यायालय ने एक वर्ष से अधिक समय तक पेशी के लिए नहीं बुलाया है, जिससे इनके मामलों की सुनवाई बाधित हो रही है।
ऐसे में सरकार की पहल पर इनके रुके हुए मामलों की सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए ट्रायल के जरिए दोबारा शुरू की जा सकती है। इसके अलावा कारा प्रशासन एवं सुधार विभाग ने भी सिफारिश की है कि अदालत द्वारा 3 माह से 7 वर्ष तक की सजा पाए ऐसे बंदियों को थानों से जमानत दी जाए।
इस संबंध में मुख्यमंत्री की स्वीकृति मिलने के बाद प्रस्ताव पर अमल किया जा सकता है। प्रदेश की जेलों में 2371 ऐसे कैदी हैं, जिन्हें कोर्ट ने 3 साल से 7 साल की सजा सुनाई है।
ऐसे कैदियों में सबसे ज्यादा मथुरा जेल में हैं जहां 395 कैदी जमानत का इंतजार कर रहे हैं। इसके अलावा गाजियाबाद जेल में 235, अलीगढ़ जेल में 213 और नैनी-प्रयागराज जेल में 160 कैदी बंद हैं। जबकि मुजफ्फरनगर जेल में 107 को जमानत का इंतजार है।