Tuesday 11th of March 2025

प्लास्टिक मुक्त महाकुंभ में सहायक बना 'वन प्लेट, वन बैग अभियान', 29 हजार टन अपशिष्ट उत्पादन की कमी

Reported by: PTC News उत्तर प्रदेश Desk  |  Edited by: Md Saif  |  February 11th 2025 06:30 PM  |  Updated: February 11th 2025 06:30 PM

प्लास्टिक मुक्त महाकुंभ में सहायक बना 'वन प्लेट, वन बैग अभियान', 29 हजार टन अपशिष्ट उत्पादन की कमी

ब्यूरो: Mahakumbh: प्रयागराज महाकुम्भ की स्वच्छ और हरित महाकुंभ बनाने के योगी सरकार के संकल्प के नतीजे सामने आने लगे हैं। विभिन्न सामाजिक संगठनों ने संकल्प को एक अभियान में बदल दिया जिसमें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख है। संघ ने महाकुम्भ 2025 को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के उद्देश्य से “वन प्लेट, वन बैग” अभियान की शुरुआत की, जिसकी रिपोर्ट जारी हुई है।

  

महाकुम्भ को पर्यावरणीय अनुकूल बनाने "वन प्लेट, वन बैग" अभियान से दर्ज हुआ इतिहास

प्रयागराज महाकुम्भ को दिव्य और भव्य कुम्भ के साथ स्वच्छ और हरित महाकुम्भ बनाने के योगी सरकार के संकल्प में लाखों परिवारों ने अपनी सहभागिता दी है। इसके सकारात्मक नतीजे भी सामने आए हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत प्रचारक प्रमुख काशी प्रांत डॉ. मुरार जी त्रिपाठी बताते हैं कि प्रयागराज महाकुम्भ 2025 एक थैला एक थाली अभियान की रिपोर्ट से प्राप्त नतीजों से इसकी पुष्टि हो रही है। डॉ. त्रिपाठी के मुताबिक सामुदायिक भागीदारी से इस बड़े अभियान को शून्य बजट के साथ सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया गया, जिसमें 2,241 संगठन और 7,258 संग्रहण स्थान शामिल थे। इस अभियान में 43 राज्यों में 2,241 संस्थाएं और संगठन सहभागी बने। उनका कहना है कि संग्रह की गई इस सामग्री को महाकुम्भ में भंडारों में वितरण किया गया। देशव्यापी अभियान में लाखों परिवारों की सहभागिता से जन-जन में कुम्भ, घर-घर में कुम्भ का स्वच्छ, हरित कुम्भ अभियान सफल हुआ। परिवारों तक पर्यावरणीय स्वच्छता का संदेश प्रभावी रूप से पहुंचा। वे अपनी स्थानीय नदियों, झीलों, जल स्रोतों की स्वच्छता हेतु प्रेरित हुए।

  

महाकुम्भ में डिस्पोजेबल कचरे और खाद्य अपशिष्ट में कमी

महाकुम्भ में चलाए गए इस अभियान से अपशिष्ट में एक तरफ जहां कमी आई है, वहीं लागत में बचत हुई है। डॉ. मुरार जी त्रिपाठी का कहना है कि महाकुम्भ में डिस्पोजेबल प्लेटों, गिलासों और कटोरों (पत्तल-दोना) का उपयोग 80-85% तक कम हुआ, इससे स्वच्छ महाकुम्भ के संकल्प को पूरा करने में मदद मिली है। इतना ही नहीं, इससे अपशिष्ट उत्पादन में लगभग 29,000 टन की कमी आई, जबकि अनुमानित कुल अपशिष्ट 40,000 टन से अधिक हो सकता था। इसका एक पहलू बजट लागत में कमी आना भी है। डिस्पोजेबल प्लेटों, गिलासों और कटोरों पर प्रतिदिन ₹3.5 करोड़ की बचत हुई, जो कुल ₹140 करोड़ थी। यही नहीं, थालियों को पुन: धोकर काम में लिया जा रहा है। भोजन परोसने में सावधानी बरती जा रही है। इससे खाद्य अपशिष्ट में 70% की कमी आई।

अभियान से होंगे दीर्घकालिक प्रभाव। महाकुम्भ के इस अभियान के दीर्घकालिक प्रभाव भी सामने आएंगे। आयोजन में वितरित की जाने वाली स्टील की थालियों का उपयोग वर्षों तक किया जाएगा, जिससे अपशिष्ट और लागत में कमी जारी रहेगी। इस पहल ने सार्वजनिक आयोजनों के लिए "बर्तन बैंकों" के विचार को प्रोत्साहित किया है, जो समाज में संधारणीय प्रथाओं को बढ़ावा देता है।

Latest News

PTC NETWORK
© 2025 PTC News Uttar Pradesh. All Rights Reserved.
Powered by PTC Network