ब्यूरो: ATAL BIHARI VAJPAYEE 100TH BIRTH ANNIVERSARY: पूरा देश आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती मना रहा है। भाजपा अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती के शताब्दी समारोह को सुशासन दिवस के रूप में एक साल तक मनाएगी। इसके अलावा वीर बाल दिवस के मौके पर मंडल से लेकर बूथ स्तर तक विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे।
भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की 25 दिसंबर को जन्म जयंती को पूरे देश में सुशासन दिवस के रूप में मना रहे हैं। इसके बाद कल यानी 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस पर मंडल के प्रत्येक बूथ, मंडल स्तर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होने जा रहा है।
लखनऊ से अटल बिहारी वाजपेयी का बहुत खास नाता था। एक पत्रकार से लेकर प्रधानमंत्री तक अटल बिहारी वाजपेयी ने लखनऊ को अपनी कर्मभूमि बनाया था। उनकी जयंती के मौके पर उनके साथ रहे कुछ नेता उनकी यादों में खोए हुए हैं।
टंडन परिवार से था अटूट रिश्ता
मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का साल 2020 में निधन हो गया था। लालजी टंडन का राजनीतिक करियर पार्षद बनने से शुरू हुआ था। उनके राजनीतिक करियर में कई उतार-चढ़ाव आए। उनके पूर्व पीएम अटल बिहारी से बहुत करीबी संबंध थे। लालजी टंडन के तीन बेटे हैं, एक बेटा गोपालजी टंडन योगी सरकार में मंत्री थे। वह भी दिवंगत हो चुके हैं। पूरे परिवार से पूर्व प्रधानमंत्री के अटूट संबंध थे। लखनऊ में उनकी आंख और कान लालजी टंडन ही थे। वे कई बार प्रधानमंत्री रहते हुए भी पूरा दिन टंडन आवास पर ही रहते थे।
भाजपा की महानगर टीम को देते थे पूरा सम्मान
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हीरो बाजपेई बताते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से उनका संपर्क साल 1991 में पहली बार हुआ था। इसके बाद लगातार उनके चुनाव में अलग-अलग जिम्मेदारियां मिलती रहीं। वह अधूरे वाक्य से पूरी बात करते थे। उनके इशारे ही काफी होते थे। फिर बताते हैं कि लखनऊ के विकास को लेकर अटल जी का विजन जबरदस्त था।
लखनऊ में अटल जी के दो राम थे
लखनऊ में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नजदीकी दो राम थे। एक राम कुमार अग्रवाल, जो कि कभी लखनऊ के डिप्टी मेयर रहे थे। दूसरे तीन बार के लखनऊ पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से विधायक रामकुमार शुक्ला। यह दोनों ही अटल बिहारी वाजपेयी के बहुत नजदीकी रहे, जिनका हमेशा सम्मान करते रहे।
चौक में राम आसरे की मलाई गिलौरी अटल जी को खूब पसंद थी। वह जब भी लखनऊ आते, इसे खाना नहीं भूलते। प्रधानमंत्री रहते भी वह इसे खाने आते थे। यही नहीं, अपने साथ के लोगों को भी खूब खिलाते। उनको खट्टी चटनी और नींबू के साथ चाट खाना पसंद था। इन सबकी जिम्मेदारी लालजी टंडन के हाथों में होती थी।