आगामी लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में ओपी राजभर ने विपक्ष को संशय में डाल रखा है। राजभर अखिलेश यादव से रिश्ते बिगड़ने के साथ ही नए गठबंधन की तलाश में हैं।
फिलहाल सभी दल राजभर पर नजर बनाये हुए है कि राजभर किधर जायेंगे। हालांकि राजभर मायावती की बसपा, कांग्रेस या फिर पुरानी सहयोगी BJP के साथ भी जा सकते हैं।
अखिलेश से अलग होने के बाद राजभर भाजपा को कई बार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रस्ताव दे चुके हैं लेकिन अभी तक बात नहीं बन पाई है। बता दें कि राजभर बजट आने के बाद सरकार की तारीफ़ भी कर रहे थे।
बीजेपी के एक पदाधिकारी ने कहा कि ओम प्रकाश राजभर एक अवसरवादी सहयोगी साबित हुए हैं। हम जानते हैं कि वह अपने बेटे अरविंद राजभर के लिए यूपी विधान परिषद में सीट चाहते हैं, लेकिन बीजेपी इस तरह के किसी सौदे के लिए तैयार नहीं है।
शनिवार के दिन राजभर को उस समय बड़ा झटका लगा था जब उनके पार्टी के प्रमुख पदाधिकारियों ने संजय निषाद की निषाद पार्टी में शामिल हो गए। राजभर पर पिछड़ों के साथ धोखाधड़ी तथा अपमान करने का आरोप लगते हुए चार शीर्ष अधिकारीयों ने पार्टी छोर दिया।
सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर लोकसभा चुनाव में किधर रहेंगे, इस सवाल पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि ये वही जानें कि किधर जायेंगे। उन्होंने कहा कि कुछ नेताओं का कोई नहीं बता सकता है कि वे कहां हैं।