फर्रुखाबाद: जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे जिस किसी ने सुना सोचने पर मजबूर हो गया. यहां पुलिस विभाग ने एक मृतक का शव उसके परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए देने से इनकार कर दिया. जिसके बाद खूब हंगामा हुआ.
पुलिस की दबंगई का एक मामला सामने आया है. मृतक के परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए शव परिजनों को नहीं दिया। मृतक का परिवार शव का अंतिम संस्कार करने के लिए जिलाधिकारी से लेकर पुलिस अधीक्षक से गुहार लगा चुका है। सरह में हुए दोहरे हत्याकांड के परिजन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले और आप बीती बताई। तब से मृतक चंदन का परिवार शव का अंतिम संस्कार करने के लिए लेने के लिए दो दिन से भटक रहा है। आपको बताते चले पूरा मामला क्या है।
जानकारी के मुताबिक, कोतवाली फतेहगढ़ के ग्राम सराह में दोहरे हत्याकांड हुआ था. बीते 23 जुलाई को 70 वर्षीय ब्रजनंदन शुक्ला और उनके 23 वर्षीय बेटे त्रिपुरारी शुक्ला, 24 वर्षीय चंदन शुक्ला के साथ मारपीट कर फायरिंग की गयी. जिसमें ब्रजनंदन शुक्ला और उनके बेटे चन्दन की हालत नाजुक थी. वहीं ब्रजनंदन शुक्ला की घटना के दिन ही उपचार के दौरान मौत हो गयी थी जबकि उनके बेटे चन्दन की हालत नाजुक होने पर उसे कानपुर रेफर कर दिया गया था. उसका कानपुर में इलाज चल रहा था लिहाजा बीते 28 जुलाई को चंदन ने भी अंतिम सांस ली.
शव परिजनों को नहीं सौंप रही पुलिस!
वहीं 28 जुलाई से पुलिस चन्दन के शव को उसके परिजनों को सौंप नहीं रही है. वहीं रविवार को मृतक के परिजनों ने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के आवास पहुंचकर जमकर हंगामा किया और पुलिस को खरी खोटी सुनाई.
मुख्यमंत्री योगी से मिला पीड़ित परिवार
सरह में हुए दोहरे हत्याकांड को लेकर परिजन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले और आप बीती बताई. पीड़ित परिवार के मुख्यमंत्री के दरबार में पहुंचने से पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कंप मच गया. चंदन के भाई त्रिपुरारी का कहना है कि पुलिस वाले उसके भाई का शव नहीं दे रहे है. पुलिस दबाव बना रही है कि चंदन का अंतिम संस्कार पांचाल घाट पर ही किया जाए. मृतक के बेटे ने आरोप लगाया कि पुलिस पूरे परिवार और रिश्तेदारों पर दबाव बना रही है.
वहीं इस मामले में जिला अधिकारी संजय कुमार के हस्तक्षेप के बाद पुलिस ने चंदन के शव को परिजनों को सौंप दिया है और भारी पुलिस बल मृतक के गांव में भेजा गया है, लेकिन इस मामले में कोई भी पुलिस का अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है.
पुलिस अधीक्षक विकास कुमार ने कार्रवाई करते हुए पूरे मामले में लापरवाही का दोषी पाते हुए सरह चौकी इंचार्ज जितेन्द्र सिंह और कांस्टेबल जयवेन्द्र सिंह चौहान को देर रात लाइन हाजिर कर दिया, लेकिन बड़ा सवाल है कि अगर चौकी इंचार्ज और उनकी टीम ने लापरवाही ना की होती तो एक ही आंगन से दो लाशें न उठती. क्या इस तरह के लापरवाह पुलिस कर्मियों के लिए केवल निलंबन की कार्रवाई काफी है?