जालौन: जिले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, यहां जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय में तैनात एक सफाई कर्मचारी के लगभग 59 लाख रुपये का गबन करने की खबर सामने आई है. ये रकम स्वच्छ भारत मिशन योजना के प्रचार प्रसार के लिए आई थी.
दरअसल, ये पूरा मामला जालौन के जिला मुख्यालय उरई में बने जिला पंचायती राज विभाग कार्यालय का है. इस कार्यालय में तैनात एक सफाई कर्मचारी को कंप्यूटर ऑपरेटर की जिम्मेदारी दी गई थी. ये जिम्मेदारी उसे तब दी गई, जब विभाग में अकाउंटेंट के पद पर कोई भी तैनात नहीं था. जिस पर ये जिम्मेदारी सफाई कर्मचारी मनोज वर्मा को सौंप गई थी. 3 जुलाई 2021 को उस समय तैनात जिला पंचायत राज अधिकारी द्वारा उसको अपना आईडी पासवर्ड उपलब्ध कराते हुए ये आदेश दिया गया था कि वे डिजिटल सिग्नेचर का भी प्रयोग समय अनुसार कर सकता है, लेकिन कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर कार्यरत सफाई कर्मचारी मनोज वर्मा ने इसका पूरा लाभ उठाते हुए स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत जिले में प्रचार प्रचार के लिये स्वीकार आवंटित बजट में से करीब 58 लाख 98 हजार रुपए का गबन कर लिया है.
जिला पंचायत राज विभाग में मचा हड़कंप
आरोप है कि उसने समयानुसार धीरे धीरे इस राशि को उसने तत्कालीन जिला पंचायत राज अधिकारी के डिजिटल सिग्नेचर का प्रयोग करते हुए दूसरे के खाते में ट्रांसफर की. सर्वप्रथम उसने किसी अनजान व्यक्ति शैलेंद्र कुशवाहा के खाते में छह लाख को रकम ट्रांसफर कर दी. इसके बाद सफाई कर्मी को कंप्यूटर ऑपरेटर की जिम्मेदारी निभा रहा था, उसने 5 अक्टूबर को विभाग में ही कार्यरत सफाई कर्मी विकेंद्र कुमार के खाते में आठ लाख 30 हजार की रकम भेज दी, इसके बाद उसने 2 दिसंबर 2022 को फिर से आठ लाख 87 हजार उसके खाते में डाले गए, जबकि 8 जनवरी 2023 को 35 लाख की रकम उसी सफाई कर्मी के खाते में ट्रांसफर कर कुल 58 लाख 98 हजार रुपए का बंदरबांट कर दिया और उसे निकाल लिया. इस मामले का खुलासा होने के बाद जिला पंचायत राज विभाग में हड़कंप मच गया.
इस मामले की जांच करने पहुंचे मुख्य विकास अधिकारी भीम जी उपाध्याय ने डीपीआरओ कार्यालय पहुंचकर उक्त प्रकरण की जानकारी ली. इसके बाद पूरे मामले के बारे में डीएम चांदनी सिंह को अवगत कराया, जिनकी संस्तुति पर डीपीआरओ कार्यालय में अस्थाई तौर पर लगाए गए कंप्यूटर ऑपरेटर सफाई कर्मी मनोज वर्मा समेत एक अज्ञात के खिलाफ उरई कोतवाली में एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिये गये हैं, जिसकी संस्तुति जिलाधिकारी द्वारा की जा चुकी है. इसके साथ ही पर्यवेक्षण के लिए पूर्व डीपीआरओ को भी दोषी माना गया है, उनके खिलाफ भी जांच के निर्देश दिए गए है.