उमेश पाल हत्या मामले में जाँच तेज़ हो गई है। जाँच को निष्पक्ष और तेज़ कर आरोपियों को जल्द से जल्द दबोचने के लिए 17 टीमों का गठन किया गया है। पुलिस हत्या के अन्य कारणों पर भी जाँच कर रही है। पुलिस किसी भी अपराधी को रहत न देने के लिए अलग अलग टीमों के जरिये जाँच कर रही है।
बता दें कि उमेश पाल 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के गवाह थे। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने कहा कि हम यह भी जांच कर रहे हैं कि क्या हत्या के अन्य कारण भी हो सकते हैं।
एडीजी ने कहा कि सभी हमलावरों ने हत्या को अंजाम देने से पहले योजना बनाकर अभ्यास किया था। सबसे पहले उस्मान को आग लगाते हुए देखा गया और उसके पास एक देसी बम भी था। इसके अलावा उसे कवर फायर दिया जा रहा था। जबकि एक अन्य संदिग्ध की पहचान गुड्डू मुस्लिम के रूप में हुई।
अधिकारी ने यह भी कहा कि सनसनीखेज हत्या को अंजाम देने के बाद हमलावर ग्रामीण प्रयागराज के सुलेमसराय इलाके में पहुंचे और फिर तितर-बितर हो गए। पुलिस मुख्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि उन्हें एक गुप्त सूचना मिली है कि हमलावर कोलकाता भाग गए हैं और बंदरगाह पर स्थानीय माफिया द्वारा उन्हें संरक्षण दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हमने पश्चिम बंगाल में एक टीम भेजी है और एक सेवानिवृत्त अधिकारी से सहायता मांगी है, जिन्होंने कोलकाता में शरण लेने वाले यूपी के कई गिरोहों का भंडाफोड़ किया है। बंगाल पुलिस की एसटीएफ इकाई भी ऑपरेशन में हमारी सहायता कर रही है।
अधिकारी ने कहा कि संदिग्धों को पकड़ने के लिए कुल 17 टीमों का गठन किया गया है। इस बीच उस्मान के परिवार ने दावा किया है कि उसका असली नाम विजय चौधरी था और उन्होंने उसे कभी उस्मान कहते हुए नहीं सुना था।