लखनऊ/दिल्ली: बीते कुछ वक्त से कयास लग रहे थे कि बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के भतीजे आकाश आनंद की पार्टी में वापसी के बाद अब उन्हें बड़ी जिम्मेदारी भी मिलेगी। इन कयासों पर मुहर लगी रविवार को जब दिल्ली में हुई बीएसपी की राष्ट्रीय स्तर की बैठक में मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को बड़ी जिम्मेदारी सौंप दी। पार्टी का मुख्य नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाने के साथ ही भविष्य के कार्यक्रमों की कमान भी सौंप दी। मायावती ने इस बैठक में कहा कि पूरे देश से आए पार्टी जनों की सहमति से ये फैसला लिया गया है। साथ ही भरोसा जताया कि इस बार यह पार्टी और मूवमेंट के हित में हर प्रकार की सावधानी बरतेंगे। पार्टी को मजबूत बनाने में अपना योगदान देंगे। जानकार मानते हैं कि लगाव, दुराव, अलगाव और मिलाप के पड़ावों को पार करती पारिवारिक-पार्टी संगठन की इस दास्तान का एक सिरा सियासी जरूरत से भी जुड़ा हुआ है।
बड़ा ओहदा संभालने के बाद आकाश आनंद ने मायावती का जताया आभार
बीएसपी का मुख्य नेशनल कोऑर्डिनेटर घोषित किए जाने के बाद आकाश आनंद ने कहा, “बीएसपी की आल-इंडिया बैठक में शामिल होने का मौका मिला। सभी पदाधिकारियों को पूरे देश में पार्टी को मजबूत करने के लिए आदरणीय बहन कु. मायावती जी का मार्गदर्शन और जरूरी दिशा-निर्देश मिला। बहन जी ने मुझे पार्टी के मुख्य नेशनल कोऑर्डिनेटर पद की जिम्मेदारी दी है। मैं आदरणीय बहन जी का तहेदिल से आभार प्रकट करता हूँ। उन्होंने मेरी गलतियों को माफ किया और एक अवसर दिया है कि मैं बहुजन मिशन और मूवमेंट को मजबूत करने में अपना योगदान दूँ। मैं आदरणीय बहन जी से वादा करता हूँ कि पार्टी व मूवमेंट के हित में पूरी निष्ठा से कार्य करूंगा और कभी निराश नहीं करूंगा”। अपने बयान के आखिर में फिर उन्होंने पार्टी सुप्रीमो के प्रति कृतज्ञता अर्पित की।
बीएसपी में अब मायावती के बाद दूसरे पायदान पर स्थापित हो गए हैं आकाश आनंद
बीएसपी में मुख्य नेशनल कोआर्डिनेटर का पद पहली बार बनाया गया है। अभी तक बहुजन समाज पार्टी के देश में तीन सांगठनिक हिस्से हुआ करते थे, उत्तर भारत, पूर्वोत्तर, दक्षिण। इनकी जिम्मेदारी तीन नेशनल कोआर्डिनेटर राजाराम, रामजी गौतम और रणधीर सिंह बेनीवाल संभाल रहे थे। अब ये तीनों आकाश आनंद को रिपोर्ट करेंगे। इसके साथ ही आकाश आनंद सभी राज्यों का दौरा करेंगे। वहां पहुंचकर पार्टी पदाधिकारियों की बैठक करेंगे और पार्टी गतिविधियों की समीक्षा करेंगे। जिस भी राज्य में जाएंगे वहां की स्टेट कमेटी उनके दौरे का सारा प्रबंध करेगी। साथ ही चुनावी राज्यों में भी जनसभाओं में वह हिस्सा लेंगे। मायावती ने ये भी स्पष्ट किया है कि जिन जगहों पर वह स्वयं नहीं जा सकेंगी वहां पर आकाश जाएंगे। जाहिर है इस फैसले के साथ ही आकाश आनंद की बीएसपी में नंबर दो की हैसियत बन गई है।
आठ साल पहले सार्वजनिक तौर से मायावती के संग नजर आए थे आकाश आनंद
मायावती के छोटे भाई आनंद के बड़े बेटे हैं आकाश आनंद। लंदन से एमबीए की पढ़ाई किए आकाश आनंद ने बिजनेस की शुरुआत की लेकिन फिर सियासी डगर की ओर मुड़ते चले गए। ये पहली बार सार्वजनिक तौर से नजर आए थे मई 2017 में। तब सहारनपुर में ठाकुर व दलित बिरादरी के बीच हुए संघर्ष से पनपे तनाव के बाद जब मायावती वहां पहुंची तब मंच पर उनके साथ ही आकाश आनंद भी नजर आए थे। इसके दो साल बाद 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद आकाश आनंद को बीएसपी का नेशनल कोऑर्डिनेटर बना दिया गया। 10 दिसंबर, 2023 में यूपी-उत्तराखंड के पार्टी पदाधिकारियों की बैठक के दौरान बीएसपी सुप्रीमो ने आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। भरोसा जताया था कि उनके भतीजे पार्टी की विरासत और राजनीति को आगे बढ़ाएंगे।
बीते साल हुए लोकसभा चुनाव में हुए घटनाक्रम के बाद आकाश आनंद पहुंचे हाशिए पर
बीएसपी में सक्रिय आकाश आनंद न सिर्फ बीएसपी और मायावती के सोशल मीडिया अकाउंट्स को हैंडल करने लगे बल्कि पार्टी के अहम फैसलों में भी उनकी भागीदारी होने लगी। पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में उन्हें पार्टी का स्टार प्रचारक बनाया गया। पर सीतापुर में दिए गए चुनावी भाषण में उन्होंने अतिरेक में आकर आपत्तिजनक भाषा इस्तेमाल कर दी तो उन के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया। इसके बाद 7 मई, 2024 को मायावती ने उन्हें अपरिपक्व बताते हुए उनसे सभी जिम्मेदारियां छीन लीं। यहां तक कि उन्हें अपने उत्तराधिकारी पद व नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से भी हटा दिया।
सवा महीने तक पार्टी में हाशिए पर रहने के बाद फिर से आकाश आनंद की वापसी हुई
लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान आकाश आनंद एकदम खामोश होकर पर्दे के पीछे चले गए। हालांकि महज 47 दिनों के भीतर ही उनकी बुआ मायावती की नाराजगी कम हो गई और आकाश आनंद की रिलांचिग हो गई। फिर से उन्हें पार्टी का उत्तराधिकारी बनाया गया और नेशनल कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी दी गई। इसके साथ ही उन्हें दिल्ली विधानसभा चुनाव की कमान भी सौंप दी गई। भी सौंपी गई। हरियाणा चुनाव में तो बीएसपी की सारी रणनीति व प्रचार आकाश आनंद ने ही किया पर नतीजा बेअसर रहा। इस साल के शुरुआत में 12 फरवरी को आकाश आनंद के ससुर और बीएसपी के दिग्गज नेता अशोक सिद्धार्थ को मायावती ने पार्टी से बेदखल कर दिया। इतने पर ही उनकी नाराजगी नहीं थमी। 2 मार्च को आकाश आनंद बीएसपी के नेशनल कोऑर्डिनेटर और मायावती के उत्तराधिकारी पद से बेदखल कर दिए गए। इसके अगले ही दिन उन्हें पार्टी से भी निकाल दिया गया।
सोशल प्लेटफार्म पर आकाश आनंद की माफी से पसीज गईं बीएसपी मुखिया
इसी साल डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर 13 अप्रैल को आकाश आनंद ने एक्स प्लेटफार्म पर सार्वजनिक माफीनामे वाली पोस्ट दर्ज की। एक के बाद एक लगातार चार पोस्ट लिखकर उन्होंने मायावती के प्रति पूर्ण आस्था व समर्पण जताया। गलतियों के लिए प्रायश्चित करते हुए ससुरालीजनों से उचित दूरी बनाने का वादा किया। इस पोस्ट के ढाई घंटे बाद बीएसपी मुखिया मायावती के एक्स हैंडल से पोस्ट सामने आई। जिसमें तल्खी के साथ उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ को लेकर कोई मुरव्वत न देने को कहा गया। पर आकाश आनंद को माफ करते हुए एक मौका और देने की बात कही गई। और एकबारगी फिर से आकाश आनंद की पार्टी में वापसी हो गई। सोलह महीने में तीसरी बार आकाश आनंद की बीएसपी में घर वापसी का ऐलान हो गया।
आकाश आनंद की बीएसपी में रिलांचिग में उनके पिता की अहम भूमिका रही
यूं तो बीएसपी सुप्रीमो का अपने छोटे भाई और आकाश आनंद के पिता आनंद कुमार से लगाव जगजाहिर है। इस साल मार्च में जब आकाश आनंद पार्टी से निकाले गए थे। तब आनंद कुमार को नेशनल कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन उन्होंने इसे लेने से मना करते हुए पार्टी के उपाध्यक्ष पर ही रहते हुए काम करने का आग्रह किया था। सूत्रों के मुताबिक आनंद कुमार ही वह सेतु थे जिन्होंने आकाश आनंद को लेकर मायावती की गलतफहमियों को दूर किया। वे समझाने में कामयाब हो गए कि आकाश आनंद अभी कम उम्र हैं और जो भी गलतियां उनसे हुईं उसके कसूरवार उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ थे। इसी के बाद ही मायावती का गुस्सा अपने भतीजे को लेकर कम हुआ और आकाश की पार्टी में वापसी की पटकथा रच दी गई।
सियासी मजबूरियों ने आकाश आनंद की दोबारा ताजपोशी में निभाया अहम किरदार
सियासी जानकार मानते हैं कि बीएसपी इस वक्त बेहद नाजुक दौर से गुजर रही है बीते दस वर्षों में यूपी में पार्टी का चुनावी ग्राफ लगातार घटता गया, यहां तक की पार्टी का वोट शेयर दहाई से भी नीचे जा पहुंचा। आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर की सक्रियता पार्टी के लिए सिर दर्द का सबब बनी हुई हैं। तो वहीं, पीडीए की धार तेज कर रहे अखिलेश यादव की निगाहें पूरी तरह से दलित वोटरों पर केंद्रित हैं। रामजीलाल सुमन के मुद्दे को तूल देकर वह इसी दिशा में काम कर रहे हैं। कांग्रेस आरक्षण के मुद्दे को उठाकर दलित वोटरों में पकड़ बनाने के लिए आक्रामक रुख अपनाए हुए है। बीएसपी के दलित वोट बैंक में पहले से ही बीजेपी सेंधमारी कर चुकी है। उधर बीएसपी के लिए राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बरकरार रखना भी एक कड़ी चुनौती है। ऐसे में आकाश आनंद ही मायावती के लिए वह ट्रंप कार्ड बन सकते हैं जिनके जरिए दलित युवाओं को पार्टी से जोड़े रखने की मुहिम चला सकती हैं। साथ ही विपक्षी दलों के पैंतरों की काट भी मजबूत तरीके से कर सकती हैं।
अब सियासत में चला गया बीएसपी सुप्रीमो का ये दांव कितना कारगर रहता है इस ओर सबकी निगाहें टिकी रहेंगी।