लखनऊ (ज्ञानेन्द्र कुमार शुक्ला): 23 साल पहले हुए प्रभात गुप्ता हत्याकांड में फैसला आ गया है. हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बरी कर दिया है.
प्रभात हत्याकांड में मंत्री केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के साथ साथ चारों आरोपियों को बरी कर दिया गया है. हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले सही बताया है. बता दें 19 साल पहले निचली अदालत सभी आरोपियों को बरी कर दिया था. वहीं अब हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी सहित चारों आरोपियों को बरी कर दिया है. राज्य सरकार की अपील को खारिज करते हुए कोर्ट ने ये फैसला सुनाया.
मामला साल 2000 का है
शुक्रवार का दिन लखीमपुर खीरी के बहुचर्चित प्रभात गुप्ता हत्याकांड के लिहाज से बेहद अहम था, तेईस वर्ष पुराने इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बड़ी राहत मिली है. राज्य सरकार की अपील को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के टेनी को बरी करने के फैसले को बरकरार रखा है. इस फैसले को सुनाए जाने के बाद जहां एक ओर अजय मिश्रा टेनी के खेमे में प्रसन्नता छाई है तो वहीं, वादी पक्ष में मायूसी है, मामले के पैरवीकार राजीव गुप्ता ने कहा है कि न्याय नहीं हुआ, सबूत और गवाह हैं, अब इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे.
गौरतलब है अजय मिश्रा टेनी का नाम तब चर्चा में छाया जब उनके बेटे आशीष मिश्रा पर तिकुनिया कांड को अंजाम देने का आरोप लगा जिसमें चार किसानों सहित आठ लोगों की थार जीप से कुचलने और हिंसा भड़कने से मौत हो गई थी. प्रभात गुप्ता हत्याकांड से जुड़े ब्यौरा को जानना बेहद जरूरी है.
ये प्रकरण है 8 जुलाई, 2000 का है. जब लखीमपुर खीरी के तिकुनिया कस्बे में एक 22 साल के युवा प्रभात गुप्ता को गोलियों से छलनी करके मौत के घाट उतार दिया गया था. मृतक के पिता का आरोप था कि तिकुनिया थाना क्षेत्र के बनवीरपुर गांव में दिन में लगभग साढ़े तीन बजे प्रभात गुप्ता की कनपटी पर पहली गोली अजय मिश्रा ने मारी, दूसरी गोली सुभाष मामा ने सीने में दागी. मौके पर ही प्रभात गुप्ता ने दम तोड़ दिया था. इस मामले में दर्ज एफआईआर में अजय मिश्रा टेनी सहित 4 लोगों शशि भूषण, राकेश डालू और सुभाष मामा को नामजद किया गया था. गिरफ्तारी से बचने के लिए टेनी ने हाईकोर्ट से अरेस्ट स्टे ले लिया था. लेकिन हाई कोर्ट में जस्टिस डीके त्रिवेदी ने 5 जनवरी 2001 को टेनी की गिरफ्तारी पर लगी रोक को खारिज कर दिया. इसके बाद 10 मई 2001 को हाई कोर्ट में जस्टिस नसीमुद्दीन की बेंच ने टेनी की गिरफ्तारी का आदेश दिया. आदेश के मद्देनजर 25 जून 2001 को टेनी ने सरेंडर किया, लेकिन हैरान करने के अंदाज में अगले ही दिन यानी 26 जून 2001 को टेनी को इस केस में जमानत मिल गई बाद में चली सुनवाई में पुलिस ने इस कदर लचर तफ्तीश की कि निचली अदालत ने 29 अप्रैल 2004 को अजय मिश्र समेत सभी आरोपियों को पर्याप्त सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया. इस फैसले के खिलाफ 2004 में ही तत्कालीन राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल कर दी थी. तबसे मामले को लेकर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई चल रही थी. मार्च 2018 में हाई कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया.फिर इसके बाद मामले में कोई भी सुनवाई नहीं हुई. मामला एक तरह से ठंडे बस्ते में ही चला गया लेकिन मृतक प्रभात के भाई राजीव गुप्ता की अपील के बाद 5 अप्रैल 2022 को जस्टिस रमेश सिन्हा और सरोज यादव की बेंच ने 16 मई 2022 को इस मामले की सुनवाई की अंतिम तारीख तय की, लेकिन लगातार किसी न किसी वजह से ये सुनवाई टलती ही रही.
इसी दौरान टेनी ने पहले हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच के समक्ष गुहार लगाई थी कि उनको बरी करने के फैसले के खिलाफ दायर सरकारी अपील को प्रयागराज बेंच में ट्रांसफर किया जाए. वहां से राहत न मिलने पर सुप्रीम कोर्ट में अपील की और तर्क दिया कि उनकी पैरवी कर रहे वकील की उम्र काफी ज्यादा है जिससे प्रयागराज से लखनऊ जाना दिक्कत भरा है पर चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित और जस्टिस बेला माधुरी त्रिवेदी की बेंच ने टेनी की अपील को खारिज कर दिया. कोर्ट ने दो टूक कहा कि शीर्ष न्यायालय इन पचड़ों में नहीं पड़ना चाहता है. 10 नवंबर लखनऊ पीठ के सामने यह मामला सुनवाई के लिए तय किया पर जस्टिस रमेश सिन्हा और रेनु अग्रवाल ने फैसला सुरक्षित कर दिया. तीसरी बार 21 फरवरी 2023 को जस्टिस ए आर मसूदी और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा. शुक्रवार को इस फैसले को सुनाया गया जिसने केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बड़ी राहत दी है. हालांकि पीड़ित पक्ष अब शीर्ष अदालत से गुहार लगाने की तैयारी में है.