नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह की मुश्किलों को बढ़ा दिया है. उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह द्वारा लगाए गए अवैध खनन के आरोपों की जांच के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया है. समिति को तथ्यात्मक स्थिति की पुष्टि करने और आवश्यक उपचारात्मक कार्रवाई करने का काम सौंपा जाएगा.
शिकायतकर्ता राजा राम सिंह ने आरोप लगाते हुए दावा किया कि कैसरगंज से सांसद बृजभूषण सिंह, तरबगंज और जिला गोंडा की तहसील के माझा रथ, जैतपुर और नवाबगंज सहित कई गांवों में अनधिकृत खनन गतिविधियों में शामिल थे.
शिकायतकर्ता ने लगाया बड़ा आरोप
शिकायतकर्ता ने आगे कहा कि लगभग 20 लाख क्यूबिक मीटर गौण खनिजों के अवैध परिवहन, भंडारण और बिक्री के लिए प्रतिदिन 700 से अधिक ओवरलोडेड ट्रकों का उपयोग किया जा रहा है. उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि इन ओवरलोडेड ट्रकों ने पटपड़ गंज पुल और सड़क को नुकसान पहुंचाया है.
न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी (न्यायिक सदस्य) और डॉ. ए सेंथिल वेल (विशेषज्ञ सदस्य) की पीठ ने कहा कि आवेदन के दावों ने राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम, 2010 की अनुसूची I में सूचीबद्ध अधिनियमों के तहत पर्यावरणीय चिंताओं को उठाया है. इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए पीठ ने जांच करने और आवश्यक उपचारात्मक उपाय लागू करने के लिए एक संयुक्त समिति स्थापित करने का निर्णय लिया.
7 नवंबर को होगी अगली सुनवाई
एनजीटी ने दो महीने के भीतर तथ्यात्मक और की गई कार्रवाई रिपोर्ट सौंपने का अनुरोध किया है और अगली सुनवाई 7 नवंबर, 2023 को होनी है.
समिति में शामिल है ये सदस्य
गठित संयुक्त समिति में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी), उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) और गोंडा के जिला मजिस्ट्रेट के प्रतिनिधि शामिल हैं.
ये काम करेगी समिति
समिति को एक सप्ताह के भीतर बैठक करने, साइट का दौरा करने, शिकायतकर्ता की शिकायतों का समाधान करने, आवेदक और संबंधित परियोजना प्रस्तावक के प्रतिनिधि के साथ सहयोग करने, तथ्यात्मक स्थिति को सत्यापित करने और उचित कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए उचित उपचारात्मक कार्रवाई करने की आवश्यकता है. साथ ही परियोजना प्रस्तावक को अपना पक्ष रखने का अवसर देना.
एनजीटी पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि समिति को विशेष रूप से सतत रेत खनन प्रबंधन दिशा निर्देश, 2016 और रेत खनन के लिए प्रवर्तन और निगरानी दिशा निर्देश, 2020 का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए. समिति को खनन क्षेत्रों के उपचार और पुनर्वास की जांच करने और सरयू नदी को हुए नुकसान का मूल्यांकन करने का भी काम सौंपा गया है.