Monday 25th of November 2024

नहाय खाय से शुरू हुआ छठ पर्व, जानिए क्यों मनाया जाता है छठ पर्व?

Reported by: karuna thakur  |  Edited by: Md Saif  |  November 05th 2024 02:58 PM  |  Updated: November 05th 2024 02:58 PM

नहाय खाय से शुरू हुआ छठ पर्व, जानिए क्यों मनाया जाता है छठ पर्व?

ब्यूरो : चार दिन तक चलने वाले छठ पर्व की शुरुआत हो चुकी है। छठ पर्व से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी है। खास तौर पर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में ये पर्व जोरशोर से मनाया जाता है। इस महापर्व में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है। छठ का व्रत महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं। ये विशेष पूजा 4 दिन तक चलती है।

    

क्यों मनाया जाता है छठ महापर्व?

शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक मास में सूर्य अपनी नीचली राशि में होता है, इसलिए सूर्यदेव की विशेष पूजा की जाती है. ताकि स्वास्थ्य की समस्याएं दूर हो सकें। वहीं षष्ठी तिथि का सम्बन्ध संतान की आयु से होता है, इसलिए सूर्य देव और षष्ठी की पूजा से संतान प्राप्ति और उसकी आयु रक्षा दोनों हो जाती है। नहाए-खाए छठ पर्व के पहले दिन की विधि होती है, जिसमें व्रती अपने शरीर और मन को शुद्ध करने के लिए इस प्रक्रिया का पालन करते हैं।

  

नहाए-खाए की विधि

पहले दिन की शुरूआत नहाए-खाए से होती है छठ में व्रती पहले दिन सुबह-सुबह किसी नदी, तालाब या घर में स्नान करता है। स्नान के बाद पूरे घर और विशेष रूप से रसोई की सफाई की जाती है। इसके बाद व्रती छठ पूजा के नियमों का पालन करने का संकल्प लेते हैं। नहाए-खाए के दिन व्रती सिर्फ सात्विक भोजन करते हैं। इस पर्व के दौरान रसोई को शुद्ध और पवित्र रखा जाता है।

   

दूसरे दिन को "लोहंडा-खरना" कहा जाता है. इस दिन लोग उपवास रखकर शाम को खीर का सेवन करते हैं। खीर गन्ने के रस की बनी होती है, इसमें नमक या चीनी का प्रयोग नहीं किया जाता है।

  

तीसरे दिन छठ पर्व में उपवास रखकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। साथ में विशेष प्रकार का पकवान "ठेकुवा" और मौसमी फल चढ़ाया जाता है। अर्घ्य दूध और जल से दिया जाता है।

   

चौथे दिन सुबह उगते हुए सूर्य को अंतिम अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद कच्चे दूध और प्रसाद को खाकर व्रत का समापन किया जाता है।

   

छठ महापर्व के चार दिन

पहले दिन की शुरूआत नहाए-खाए से होती है।

दूसरे दिन को "लोहंडा-खरना" कहा जाता है।

तीसरे दिन छठ पर्व में उपवास रखा जाता है और डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। विशेष प्रकार का पकवान "ठेकुवा" बनता है

चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अंतिम अर्घ्य दिया जाता है

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