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फर्रुखाबाद: महंगाई के दौर में मिट्टी न मिलाने से गुमनामी में जा रहा 'मिट्टी का घड़ा'

clay pot फर्रुखाबाद: जिले में चार दशक पहले तक गर्मी में पानी ठंडा करने के लिए मिट्टी का घड़ा घर-घर रखा जाता था, लेकिन आज मिट्टी का घड़ा गुमनामी झेलने को मजबूर हो गया है.

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Shagun Kochhar
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फर्रुखाबाद: महंगाई  के दौर में मिट्टी न मिलाने से गुमनामी में जा रहा 'मिट्टी का घड़ा'

फर्रुखाबाद: जिले में चार दशक पहले तक गर्मी में पानी ठंडा करने के लिए मिट्टी का घड़ा घर-घर रखा जाता था. आम आदमी ही नहीं, शहर में पैसे वाले लोग भी घड़े का पानी पीना पसंद करते थे. जगह-जगह प्याऊ लगाए जाते थे. लेकिन फिर जमाना बदला और आधुनिक के दौर में फ्रीज और वाटर कूलरों का चलन बढ़ गया. फिर भी लोग कुछ समय बाद दौबारा मिट्टी के घड़ों और बरतनों इस्तेमाल करने लगे, बीमारियों के दौर में बुजुर्ग फ्रिज की जगह घड़े का पानी पीने की सलाह लोगों को देने लगे, लेकिन एक बार फिर मिट्टी का घड़ा गुमनामी झेलने को मजबूर हो गया है क्योंकि महंगाई के दौर में मिट्टी मिलाने में कुम्हारों को मुश्किल आ रही है. 

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लुप्त होता जा रहा घड़े का कारोबार!

पहले गर्मी बढ़ने के साथ ही हर घर में बालू बिछाकर उसके ऊपर घड़ा रखा जाता था. इसमें पानी भरकर सकोरे से ढक दिया जाता था. घड़े का पानी लगभग 2 घंटे में ठंडा हो जाता था. साथ ही पानी में मिट्टी की सौंधी सुगंध आती थी. इससे पानी का स्वाद पसंद किया जाता था. मिट्टी के घड़े का पानी स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा माना जाता है. कुछ वर्षों से घड़ा और सुराही विलुप्त होने लगे हैं. मांग घटने से और समय पर मिटटी न मिलने के कारण कुम्हरों ने घड़े बनाना कम कर दिया है. कोरोना काल में फ्रिज के ठंडे पानी से परहेज ने अब फिर घड़े की मांग बढ़ा दी है. इन दिनों टोंटी वाले घड़े खूब बिक रहे हैं. 

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कुम्हार नन्हे सिंह ने बताया कि घड़े की डिमांड इस समय बढ़ी है. लोग घड़े को खरीद रहे हैं. लेकिन फिर भी खरीदारों की तादाद कम है और मिट्टी भी काफी महंगी मिल रही है. घड़े के पानी पीने से हमारे शरीर में कोई नुकसान नहीं होता है. घड़े का पानी जब पहले व्यक्ति पीता था, तब बीमारियां कम होती थीं. आधुनिक युग में फ्रिज, वाटर कूलर का इस्तेमाल होने लगा तो कहीं न कहीं बीमारियां ज्यादा उत्पन्न हुई हैं.



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फतेहगढ़ के भोलेपुर में घड़े की दुकान लगाए राजेश प्रजापति ने बताया कि घड़े की डिमांड हो रही है. अब हम लोगों के पास स्कूलों, दुकानों, सरकारी विभागों, घरों से घड़ों की डिमांड आने लगी है. टोंटीदार घड़ा साइज के हिसाब से 80,120 और 150 रुपये तक बिक रहा है. लेकिन मिट्टी मिलने में काफी परेशानी आ रही है. घड़े के पानी में कीटाणु मर जाते हैं. पानी मेंआरओ से जयादा शुद्धता रहती है. हमारे शरीर को कोई नुकसान नहीं देता. घड़े का पानी पीने से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है.  



घड़ा खरीद रहे धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि घड़े का पानी लगभग मैं 15 साल से पी रहा हूं. घर में फ्रिज और वाटर कूलर भी है, पर फ्रिज का पानी यूज नहीं करता हूं. वहीं घड़े का पानी पीने से शरीर को फायदा मिलता है. वहीं ग्राहक रामू ने बताया कि घड़ा खरीद कर लाते हैं, फिर बालू को जमीन में बिछाकर घड़े को रखते हैं.  फिर उसमें पानी डालते हैं और लगभग 2 घंटे में पानी ठंडा हो जाता है. उसका पानी पीने से हमारी बॉडी को बहुत फायदा मिलता है. वहीं उन्होंने बताया कि घड़े काफी महंगे हो गए हैं.

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