Saturday 23rd of November 2024

मुख्यमंत्री ने की बाढ़ प्रबंधन तैयारियों की समीक्षा, कहा- अलर्ट मोड में रहें सभी जिले

Reported by: PTC News उत्तर प्रदेश Desk  |  Edited by: Shagun Kochhar  |  June 01st 2023 01:01 PM  |  Updated: June 01st 2023 01:01 PM

मुख्यमंत्री ने की बाढ़ प्रबंधन तैयारियों की समीक्षा, कहा- अलर्ट मोड में रहें सभी जिले

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में शासन स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बाढ़ प्रबंधन और जन-जीवन की सुरक्षा के दृष्टिगत जारी तैयारियों की समीक्षा की और व्यापक जनहित में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। विशेष बैठक में बाढ़ की दृष्टि से अतिसंवेदनशील/संवेदनशील जिलों के जिलाधिकारियों ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सहभगिता की और अपनी तैयारियों से मुख्यमंत्री को अवगत कराया।

प्रदेश में व्यापक जन-धन हानि के लिए दशकों तक कारक रही बाढ़ की समस्या के स्थायी निदान के लिए विगत 06 वर्षों में किए गए सुनियोजित प्रयासों के अच्छे परिणाम मिले हैं। बाढ़ की दृष्टि से अति संवेदनशील जिलों की संख्या में अभूतपूर्व कमी आई है। विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार हमने आधुनिकतम तकनीक का प्रयोग कर बाढ़ से खतरे को न्यूनतम करने में सफलता पाई है। बाढ़ से जन-जीवन की सुरक्षा के लिए अंतरविभागीय समन्वय से अच्छा कार्य हुआ है। इस वर्ष भी बेहतर समन्वय, क्विक एक्शन और बेहतर प्रबन्धन से बाढ़ की स्थिति में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित कराई जाए। 

अधिकारियों को मुख्यमंत्री का निर्देश

जन-धन की सुरक्षा को शीर्ष प्राथमिकता देते हुए 2017-18 से अब तक 982 बाढ़ परियोजनाएं पूरी की गईं। इसमें 282 परियोजनाएं अकेले वर्ष 2022-23 में पूरी की गई हैं। वर्तमान में 265 नई परियोजनाएं, 07 ड्रेजिंग संबंधी परियोजना और पूर्व से संचालित 140 परियोजनाओं सहित कुल 412 परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। यह सुखद है कि इनका  50% कार्य पूरा हो गया है। अवशेष कार्य नियत समय के भीतर पूरा करा लिया जाए।

प्रदेश में बाढ़ की दृष्टि से 24 जनपद अति संवेदनशील श्रेणी में हैं। इसमें महाराजगंज, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, गोरखपुर, बस्ती, बहराइच, बिजनौर, सिद्धार्थनगर, गाजीपुर, गोण्डा, बलिया, देवरिया, सीतापुर, बलरामपुर, अयोध्या, मऊ, फर्रुखाबाद, श्रावस्ती, बदायूं, अम्बेडकर नगर, आजमगढ़, संतकबीर नगर, पीलीभीत और बाराबंकी शामिल हैं। जबकि सहारनपुर, शामली, अलीगढ़, बरेली, हमीरपुर, गौतमबुद्ध नगर, रामपुर, प्रयागराज, बुलन्दशहर, मुरादाबाद, हरदोई, वाराणसी, उन्नाव, लखनऊ, शाहजहांपुर और कासगंज संवेदनशील प्रकृति के हैं।

जिलाधिकारी मौके पर जाकर करें निरीक्षण, चाक-चौबंद हो व्यवस्था- CM

अतिसंवेदनशील और संवेदनशील क्षेत्रों में बाढ़ की आपात स्थिति हेतु पर्याप्त रिजर्व स्टॉक का एकत्रीकरण कर लिया जाए। इन स्थलों पर पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था एवं आवश्यक उपकरणों का भी प्रबंध होना चाहिए। सभी 780 बाढ़ सुरक्षा समितियां एक्टिव मोड में रहें। अति संवेदनशील तथा संवेदनशील तटबंधों का जिलाधिकारी स्वयं निरीक्षण कर लें। 

भारतीय मौसम विभाग, केंद्रीय जल आयोग, केंद्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ प्रदेश के सिंचाई एवं जल संसाधन, गृह, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, सिंचाई एवं जल संसाधन, खाद्य एवं रसद, राजस्व एवं राहत, पशुपालन, कृषि, राज्य आपदा प्रबंधन, रिमोट सेंसिंग प्राधिकरण के बीच बेहतर तालमेल हो। केंद्रीय एजेंसियों/विभागों से सतत संवाद-संपर्क बनाए रखें। यहां से प्राप्त आंकलन/अनुमान रिपोर्ट समय से फील्ड में तैनात अधिकारियों को उपलब्ध कराया जाए। भारत सरकार की एजेंसियों की मदद से आकाशीय बिजली के सटीक पूर्वानुमान की बेहतर प्रणाली के विकास के लिए प्रयास किया जाना चाहिए। 

प्रदेश में बाढ़ से सुरक्षा के लिए विभिन्न नदियों पर 3869 किमी लंबाई वाले 523 तटबंध निर्मित हैं। बाढ़ की आशंका को देखते हुए सभी तटबंधों की सतत निगरानी की जाए। राज्य स्तर और जिला स्तर पर बाढ़ राहत कंट्रोल रूप 24×7 एक्टिव मोड में रहें। 

बाढ़ के बीच बढ़ती है बीमारी, राहत शिविरों के लिए गठित करें स्वास्थ्य टीम: CM

बाढ़ के प्रति अतिसंवेदनशील तटबन्धों जैसे गोरखपुर में राप्ती नदी पर निर्मित बढ़या-कोठा तटबंध, गाहासाड़-कोलिया एवं बोक्टा-बरवार तटबंध, जनपद बलिया में गंगा नदी पर दूबे छपरा-टेंगरही तटबंध एवं सरयू नदी पर निर्मित तुर्तीपार-श्रीनगर तटबंध, कुशीनगर में बड़ी गंडक नदी पर एपी तटबंध एवं अमवाखास तटबंध, देवरिया ने गोर्रा नदी पर पाण्डेयमाझा-जोगिया तटबंध, गोण्डा में सरयू नदी पर निर्मित सकरौर-भिखारीपुर तटबंध एवं एल्गिन ब्रिज-चरसरी तटबंध, जनपद बहराइच में सरयू नदी पर निर्मित बेल्हा-बेहरौली तटबंध एवं रेवली आदमपुर तटबंध, जनपद बस्ती में सरयू नदी पर निर्मित कटरिया- चांदपुर तटबंध एवं कलवारी - रामपुर तटबंध, बाराबंकी में सरयू नदी पर निर्मित अलीनगर-रानीमऊ तटबंध,  ,  बलरामपुर में राप्ती नदी पर निर्मित बलरामपुर- भड़रिया एवं राजघाट तटबंध, बस्ती में कटरिया-चांदपुर तटबंध, चांदपुर-गोरा तटबंध, कलवारी-रामपुर तटबंध, विक्रमजोत-घुसवा तटबंध एवं काशीपुर-दुबौलिया तटबंध, बाराबंकी में सरयू नदी पर अलीनगर-रानीमऊ तटबंध और रामपुर में कोसी नदी पर लालपुर रुहेला तटबंध पर मरम्मत के समस्त कार्य पूर्ण करा लिए जाएं। 

एक्टिव मोड में रहें सभी 780 बाढ़ सुरक्षा समितियां- मुख्यमंत्री

हमें बाढ़ के साथ-साथ जलभराव के लिए भी ठोस प्रयास करना होगा। जिलाधिकारीगण स्वयं रुचि लेकर जलभराव से बचाव के लिए व्यवस्था की देखरेख करें। प्रत्येक दशा में 30 जून तक नालों आदि की सफाई का कार्य पूर्ण करा ली जाए।

यह अत्यंत आवश्यक है कि अपराधी/माफिया प्रवृत्ति/खराब छवि के लोग सिंचाई विभाग की परियोजनाओं की ठेकेदारी में कतई न प्रवेश करने पाएं। ठेकेदार तय करते समय सूक्ष्मता से इसकी पड़ताल कर इसे सुनिश्चित किया जाना चाहिए। यदि ऐसा होता हुआ पाया गया और उसमें किसी शासकीय अधिकारी/कर्मचारी की संलिप्तता मिली तो उस के खिलाफ भी मिलीभगत का दोषी मानकर कार्यवाही की जाएगी।

अतिसंवेदनशील और संवेदनशील प्रकृति वाले जिलों में जिलाधिकारीगण, क्षेत्रीय सांसद, विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष, महापौर, नगरीय निकाय के चेयरमैन/अध्यक्ष की उपस्थिति में बाढ़ पूर्व हो रही तैयारियों की समीक्षा करें। यह कार्य जून के पहले सप्ताह में कर लिया जाए। उत्तर प्रदेश पुलिस रेडियो मुख्यालय द्वारा बाढ़ से प्रभावित जनपदों में 113 बेहतर केंद्र अधिष्ठापित किए गए हैं। पूरे मानसून अवधि में यह केंद्र हर समय एक्टिव रहे। 

आपदा प्रबंधन के लिए जिलों की अपनी कार्य योजना होनी चाहिए। एनडीआरएफ/एसडीआरएफ के सहयोग से युवाओं को प्रशिक्षित किया जाए। जिलाधिकारी संवेदनशील स्थलों का भौतिक निरीक्षण जनप्रतिनिधियों के साथ जरूर करें। समस्त अतिसंवेदनशील तटबंधों पर नामित प्रभारी अधिकारी 24×7 अलर्ट मोड में रहें। तटबंधों पर क्षेत्रीय अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा लगातार निरीक्षण एवं सतत निगरानी की जाती रहे। बारिश के शुरुआती दिनों में रैट होल/रेनकट की स्थिति पर नजर रखें।

बाढ़/अतिवृष्टि की स्थिति पर सतत नजर रखी जाए। नदियों के जलस्तर की सतत मॉनीटरिंग की जाए। प्रभावित जिलों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ/पीएसी तथा आपदा प्रबंधन टीमों को 24×7 एक्टिव मोड में रहें। आपदा प्रबंधन मित्र, सिविल डिफेंस के स्वयंसेवकों की आवश्यकतानुसार सहायता ली जानी चाहिए। इन्हें विधिवत प्रशिक्षण भी दिया जाए। नौकाएं, राहत सामग्री आदि के प्रबंध समय से कर लें। बाढ़/अतिवृष्टि से पर प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों में देर न हो। प्रभावित परिवारों को हर जरूरी मदद तत्काल उपलब्ध कराई जाए। नौका बड़ी हो। छोटी नौका/डोंगी का प्रयोग कतई न हो। नौका पर सवार सभी लोग लाइफ जैकेट जरूर पहने हुए हों। 

बाढ़ प्रभावित लोगों को तत्काल मिले सहायता, राहत सामग्री की गुणवत्ता से समझौता नहीं- CM

बाढ़ के दौरान और बाद में बीमारियों के प्रसार की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा विशेष स्वास्थ्य किट तैयार करके जिलों में पहुंचा दिया जाए। क्लोरीन, ओआरएस, बुखार आदि की पर्याप्त दवा उपलब्ध हो। कुत्ता काटने/सांप काटने की स्थिति में प्रभावित लोगों को तत्काल चिकित्सकीय मदद मिलनी चाहिए। लोगों को बताया जाए कि बाढ़ का पानी कतई न पिएं, जब भी पानी पीयें, उबाल कर-छान कर पिएं। राहत शिविरों में चिकित्सकों की टीम विजिट करे। बाढ़ के दौरान जिन गांवों में जलभराव की स्थिति बनेगी, वहां आवश्यकतानुसार पशुओं को अन्यत्र सुरक्षित स्थल पर शिफ्ट कराया जाए। इसके लिए जनपदों की स्थिति को देखते हुए स्थान का चयन कर लिया जाए। इन स्थलों पर पशु चारे की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। पशुपालन विभाग द्वारा पशुओं का टीकाकरण समय से कराया जाना सुनिश्चित किया जाए। कंट्रोल रूम क्रियाशील रहे। बाढ़ प्रभावित लोगों को दी जाने वाली राहत सामग्री की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होना चाहिए। राहत आयुक्त स्तर से खाद्य सामग्री की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए। राहत सामग्री का पैकेट मजबूत हो, लोगों को कैरी करने में आसानी हो।

जिलाधिकारी यह सुनिश्चित करें कि किसी भी काश्तकार की निजी भूमि पर सिल्ट न डाली जाए। यदि विशेष परिस्थितियों में ऐसा करना आवश्यक हो तो काश्तकार को विश्वास में लिया जाए और मनरेगा के माध्यम से सिल्ट का उचित निस्तारण कराया जाए। जनपद बिजनौर में विदुर कुटी के पास पूर्व में गंगा जी का प्रवाह था। बदलते समय के साथ यह धारा दूर हो गई है। विदुरकोटि के पास गंगा की जलधारा प्रवाह के लिए परियोजना का प्रस्ताव तैयार करें। यह कार्य स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देने में भी सहायक होगी। नदी के किनारे बसे आवासीय इलाकों और खेती की सुरक्षा में नदियों के चैनेलाइजेशन उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं। यह कार्य सतत जारी रहना चाहिए। इसके लिए ड्रोन आदि नवीनतम तकनीक का प्रयोग करते हुए समय से कार्ययोजना तैयार करें। जो सिल्ट निकले उसका नियमानुसार ऑक्शन किया जाए।

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