फर्रुखाबाद: जिले में एक निजी अस्पताल की गुंडई देखने को मिली है। बच्चे के इलाज का बकाया बिल न दे पाने पर अस्पताल प्रबंधन ने शव नहीं दिया। परिवार के लोग घंटों हंगामा करते रहे।
आरोप है कि अस्पताल अपना दल की विधायक के पति का है। हैरान करने इसलिए पुलिस भी कार्रवाई करने से बच रही है सूचना के बावजूद पुलिस भी शांत रही। देर रात रुपये देने के बाद ही परिजनों को शव मिला। इस दौरान परिजन अस्पताल के अंदर और बाहर रोते बिलखते रहे। अपना दल की विधायक के पति के नर्सिंग होम में रुपये के लिए अमानवीय व्यवहार किया गया जब की केंद्र और प्रदेश सरकार गरीबों को मुफ्त इलाज की योजनाओं को चला रही है। अस्पताल प्रशासन ने मीडिया से भी धक्का मुक्की कर दी।
शाहजहांपुर जिले के थाना जलालाबाद के गांव सादाब सराय निवासी आकाश गिहार के एक माह के पुत्र को बुखार होने पर आवास विकास तिराहा स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। उसे एनआईसीयू वार्ड में रखा गया। गुरुवार दोपहर करीब एक बजे मासूम ने दम तोड़ दिया। अस्पताल प्रशासन ने परिजनों को 26 हजार रुपये का बिल भुगतान करने की बात कही।
परिजनों का कहना है कि वे छह हजार रुपये दे चुके हैं। अब उसके पास कुछ नहीं है। कई घंटे बिल भुगतान को लेकर खींचतान के बाद भी मासूम का शव नहीं दिया गया। रुपये की व्यवस्था न होने से परेशान परिजनों ने शाम चार बजे हंगामा शुरू कर दिया। इसकी कादरीगेट थाना पुलिस को भी सूचना दी। कुछ देर बाद दो सिपाही पहुंचे, मगर वह पीड़ितों की कोई मदद नहीं कर सके। क्यों की अपना दल की विधायक सुरभि गंगवार के पति अजीत गंगवार का सिटी हॉस्पिटल बढ़पुर में संचालित है।
मासूम के पिता आकाश और उनकी पत्नी रूबी कई अन्य परिजनों के साथ जब अस्पताल के प्रभारी से बात करने पहुंची तो उन्होंने एक न सुनी। सुरक्षा कर्मियों की मदद से सभी को बाहर निकाल दिया। परिजनों ने अस्पताल के बाहर जमकर हंगामा किया। मामला अस्पताल मालिक सत्ताधारी नेता के पास पहुंचा तो शाम छह बजे बिल में कम पैसे करके ले लिए गए। इसके बाद ही शव परिजनों को सौंपा गया।