फर्रुखाबाद: फर्रुखाबाद जिला पिछले करीब एक महीने से बाढ़ का प्रकोप झेल रहा है. वहीं गांव वालों की मुसीबतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. वहीं अब गंगा के पानी में शमशान घाट भी डूब चुके हैं.
सड़क के किनारे चिताएं जलाने को मजबूर लोग
दरअसल, राजेपुर शमसाबाद क्षेत्र में लोग सड़क के किनारे चिताएं चलाने को मजबूर हो रहे हैं. गांवों में बाढ़ का पानी लगातार बढ़ने से ग्रामीण ऊंचे स्थानों पर पलायन करने को मजबूर हैं. बाढ़ शरणालयों में ताला जड़ा होने से ग्रामीण सड़कों के किनारे डेरा जमा रहे हैं. बीमारी फैलने के बाद भी स्वास्थ्य टीमें गांव में नहीं जा रही हैं.
तहस-नहस हुए गांव- ग्रामीण
फर्रुखाबाद में गंगा एक महीने से खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. कई गांवों का मुख्यालय से संपर्क मार्ग कट चुका है. बाढ़ से जलमग्न गांव के लोगों ने मुख्य मार्ग पर पन्नी डालकर डेरा जमा लिया है. महिलाएं सड़क पर ही लकड़ी लाकर खाना बना रही है. पर्याप्त चारा न होने से जानवर भी भूखे हैं. एक महीने खेतों में गंगा की बाढ़ से मक्का, मूंगफली, शिवाला की हजारों बीघा फसल बर्बाद हो गई है. गांव के निवासियों का कहना है कि गांव में पानी भरा होने के साथ ही रास्ते में भी पानी भरा है जिसके चलते आवागमन ठप हो गया है.
प्रशासन नहीं ले रहा कोई सुध- ग्रामीण
लोगों ने आरोप लगाया कि प्रशासन से कोई कर्मचारी हालचाल पूछने तक नहीं आया. जब से बाढ़ आई है, तब से आज तक लेखपाल गांव नहीं आया. बाढ़ प्रभावित गांव में बीमारी फैलने लगी है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में नहीं पहुंची. इससे ग्रामीण परेशान हैं. बाढ़ से घिरे गांव के ग्रामीणों को रहने के लिए तहसील क्षेत्र में 13 बाढ़ शरणालय बनाए गए हैं. इनमें एक भी बाढ़ पीड़ित नहीं पहुंचाया गया. बाढ़ शरणालयों में ताले लटक रहे हैं. एक भी चालू नहीं किया गया है.
गंगा के पानी में डूबे शमशान घाट
गंगा की बाढ़ में शमशान घाट भी डूब चुके हैं. पांचाल घाट पर अंतिम संस्कार करने आने वाले लोग पानी में होकर कुछ बीच में दिख रहे टापू पर शव का अंतिम संस्कार कर रहे हैं, जबकि राजेपुर शमसाबाद क्षेत्र में लोग सड़क के किनारे चिताएं चलाने को मजबूर हो रहे हैं. जिलाधिकारी संजय कुमार और सांसद मुकेश राजपूत ने बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों का बाहर से ही दौरा कर लिया किसी ने भी बाढ़ के पानी में जाकर मिलाने की जरूरत नहीं समझी.