ब्यूरो: वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में पूजा करने की इजाजत देने के मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट से मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने सोमवार यानि आज मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी है। व्यास जी तहखाने में पूजा जारी रहेगी. जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने यह फैसला सुनाया है।
इस संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल फैसला सुनाया। गौरतलब है कि 15 फरवरी को दोनों पक्षों के बीच चली लंबी बहस के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। मस्जिद के तहखाने में चार 'तहखाने' (तहखाने) हैं, जिनमें से एक अभी भी व्यास परिवार के कब्जे में है, जो वहां रहते थे।
इससे पहले, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि वाराणसी अदालत द्वारा हिंदू भक्तों को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर 'व्यास का तेखाना' क्षेत्र में प्रार्थना करने की अनुमति देने का फैसला स्थानों का उल्लंघन था।
"जिस जज ने फैसला सुनाया, वह रिटायरमेंट से पहले उनका आखिरी दिन था। जज ने 17 जनवरी को जिला मजिस्ट्रेट को रिसीवर नियुक्त किया और आखिरकार उन्होंने सीधे फैसला सुना दिया। उन्होंने खुद कहा था कि 1993 के बाद से कोई प्रार्थना नहीं की गई। 30 साल हो गए हैं।" असदुद्दीन औवेसी ने कहा, ''उन्हें कैसे पता कि अंदर मूर्ति है? यह पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन है।''
ज्ञानवापी मस्जिद मामला भारत के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर लंबे समय से चले आ रहे कानूनी और धार्मिक विवाद से संबंधित है। मस्जिद काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित है, जो हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। इस विवाद में मुख्य रूप से विवादित स्थल पर धार्मिक गतिविधियाँ करने के अधिकार का दावा करने वाले हिंदू समूहों के दावे शामिल हैं।