Wednesday 14th of May 2025

मुख्यमंत्री का निर्देश, नकली दवा कारोबार पर पुलिस के साथ मिलकर जड़ तक पहुँचें

Reported by: Gyanendra Kumar Shukla, Editor, PTC News UP  |  Edited by: Mohd. Zuber Khan  |  May 14th 2025 01:09 PM  |  Updated: May 14th 2025 01:09 PM

मुख्यमंत्री का निर्देश, नकली दवा कारोबार पर पुलिस के साथ मिलकर जड़ तक पहुँचें

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खाद्य पदार्थों में मिलावट और नकली दवाओं के कारोबार को ‘सामाजिक अपराध’ करार देते हुए कहा कि यह जनस्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर विषय है, जिससे किसी भी प्रकार का समझौता अक्षम्य होगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि राज्य सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के तहत मिलावटखोरों, नकली दवाओं के कारोबारी नेटवर्क और इस अपराध में संलिप्त व्यक्तियों के विरुद्ध सख्त व निर्णायक कार्रवाई की जाए। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि ऐसे लोगों को सार्वजनिक रूप से चिन्हित किया जाए और उनकी तस्वीरें प्रमुख चौराहों पर लगाई जाएं, ताकि जनता भी उन्हें पहचान सके और समाज में उनके प्रति नकारात्मक संदेश जाए।

मुख्यमंत्री ने बुधवार को खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में निर्देश दिया कि तेल, घी, मसाले, दूध, पनीर जैसी दैनिक उपभोग की वस्तुओं की जांच यथासंभव उत्पादक इकाई पर ही की जाए। दूध व दुग्ध उत्पादों की विशेष रूप से सघन जांच के लिए समर्पित टीमें बनाई जाएं जो लगातार निगरानी रखें। साथ ही पेशेवर रक्तदाताओं की पहचान कर इस पर भी प्रभावी नियंत्रण स्थापित किया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि आमजन का स्वास्थ्य राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और इस जिम्मेदारी का निर्वहन पूरी पारदर्शिता और प्रतिबद्धता के साथ होना चाहिए।

मुख्यमंत्री को बताया गया कि राज्य में खाद्य एवं औषधि प्रयोगशालाओं के नेटवर्क का तेजी से विस्तार हुआ है। पूर्व में कार्यरत छह प्रमुख मंडलों के अलावा अब अलीगढ़, अयोध्या, आजमगढ़, बरेली, बस्ती, चित्रकूट, कानपुर, मिर्जापुर, मुरादाबाद, प्रयागराज, सहारनपुर और देवीपाटन मंडलों में भी नई प्रयोगशालाएं और कार्यालय स्थापित किए गए हैं। लखनऊ, गोरखपुर और झांसी में प्रयोगशाला भवनों का उच्चीकरण किया गया है। साथ ही, लखनऊ, मेरठ और वाराणसी में तीन आधुनिक माइक्रोबायोलॉजी प्रयोगशालाएं भी स्थापित की गई हैं, जिनमें सूक्ष्मजीव, प्रोटोजोआ, विषाणु, जीवाणु, माइक्रोटॉक्सिन्स तथा अन्य रोगकारक जीवों की जांच संभव हो पाई है। लखनऊ और मेरठ में परीक्षण भी प्रारंभ हो चुके हैं। मुख्यमंत्री ने इन प्रयोगशालाओं के संचालन व रखरखाव हेतु एक ‘कॉर्पस फंड’ स्थापित करने का सुझाव दिया।

नकली औषधियों के कारोबार पर प्रभावी नियंत्रण के लिए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि पुलिस के साथ विभागीय समन्वय को और बेहतर बनाया जाए ताकि प्रवर्तन कार्यवाहियों की गुणवत्ता और प्रभावशीलता सुनिश्चित हो सके। औषधियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए की जा रही कार्रवाइयों की समीक्षा भी बैठक में की गई।

खाद्य सुरक्षा की प्रक्रिया को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के उद्देश्य से एफएसडीए द्वारा पासवर्ड-संरक्षित बारकोड प्रणाली लागू की गई है, जिससे नमूनों के विश्लेषण की गोपनीयता और निष्पक्षता सुनिश्चित होती है। प्रत्येक नमूने का परीक्षण वैज्ञानिकों द्वारा डिजिटल माध्यम से किया जाता है और उच्च अधिकारियों की स्वीकृति के बाद ही वह विश्लेषण मान्य माना जाता है।

आम नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विभाग ने ‘फूड सेफ्टी कनेक्ट’ नामक मोबाइल ऐप और टोल फ्री नंबर 1800-180-5533 उपलब्ध कराया है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि किसी भी शिकायत का निस्तारण तभी मान्य माना जाए जब शिकायतकर्ता संतुष्ट हो।

चिकित्सा उपकरण और औषधि विनिर्माण के क्षेत्र में निवेश और रोजगार सृजन को लेकर भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है। मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि पिछले तीन वर्षों में ₹1,470 करोड़ के निवेश प्रस्ताव स्वीकृत हुए हैं, जिससे 3,340 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्राप्त हुआ है। औषधि निर्माण इकाइयों, मेडिकल डिवाइस निर्माण, रक्तकोषों और फुटकर औषधि विक्रेताओं की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई है। फुटकर औषधि प्रतिष्ठानों में ही बीते तीन वर्षों में 65 हजार से अधिक नए रोजगार सृजित हुए हैं। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि एफएसडीए की संगठनात्मक क्षमता को सुदृढ़ किया जाए और इसके लिए रिक्त पदों पर शीघ्र भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ की जाए।

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