Saturday 23rd of November 2024

मथुरा: यमुना के पानी से एक दर्जन गांवों में बाढ़, जीवन हुआ तहस-नहस, देखें बर्बादी की तस्वीरें

Reported by: PTC News उत्तर प्रदेश Desk  |  Edited by: Shagun Kochhar  |  July 17th 2023 06:17 PM  |  Updated: July 17th 2023 06:17 PM

मथुरा: यमुना के पानी से एक दर्जन गांवों में बाढ़, जीवन हुआ तहस-नहस, देखें बर्बादी की तस्वीरें

मथुरा: यमुना के जलस्तर के बढ़ने का क्रम लगातार जारी है, जिसके कारण जनपद के एक दर्जन से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं. प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है, लेकिन यमुना किनारे के आसपास के इलाकों में सैकड़ों बीघे किसानों की फसलें जलमग्न होकर नष्ट हो गई हैं. वहीं एनडीआरएफ की दो टीम बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मोर्चा संभाले हुए हैं. वहीं मंगलवार से यमुना जल के बढ़ने की ये रफ्तार थमने की संभावना है.

बाढ़ की चपेट में 1 दर्जन से अधिक गांव

मथुरा में यमुना खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. इस असर यमुना किनारे बसे निचले इलाकों में देखने को मिल रहा है. सदर तहसील के पांच गांव, छाता और मांट तहसील के तीन-तीन गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं. सदर तहसील के इन पांच गांवों में 100 से अधिक कॉलोनियां बसी हुई हैं. इन क्षेत्रों में तेजी से पलायन हो रहा है. मथुरा जनपद के 1 दर्जन से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं.

खतरे के निशान से 75 सेंटीमीटर ऊपर यमुना

एनडीआरएफ की दो टीम आठ बोटो के साथ राहत कार्य में जुटी हुई है. यमुना का यह जलस्तर खतरे के निशान से 75 सेंटीमीटर ऊपर है. इसे देखते हुए बाढ़ से निपटने के इंतजाम तेज कर दिए गए हैं, परंतु सबसे बड़ा सवाल यह पैदा होता है कि शासन-प्रशासन द्वारा जहां व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की बात की जा रही है. उसे उलट तस्वीरें सामने निकल कर आ रही है.

लोगों में प्रशासन के खिलाफ रोष

आपको बता दें कि यमुना किनारे बसी कॉलोनियों में बाढ़ का पानी भर चुका है, जिसके कारण लोग पलायन कर यमुना पुल के पास ही अपने परिवार को लेकर 2 दिन से रह रहे हैं और प्रशासन ने अभी तक इस और कोई ध्यान नहीं दिया है, ना तो उन्हें कोई सुरक्षा मुहैया कराई गई है ना खाने पीने की व्यवस्था की गई है. सबसे बड़ी बात यह है कॉलोनी में बसे किसानों का कहना है कि हम एक बार को भूखा रह सकते हैं परंतु हमें हमारे पशुओं के लिए हरे चारे की व्यवस्था चाहिए,प्रशासन द्वारा कोई भी व्यवस्था नहीं की गई है, जिससे स्थानीय लोगों में काफी नाराजगी देखने को मिली. 

वहीं प्रशासन लगातार यही कह रहा है कि हमने अपनी पूरी तैयारियां कर रखी है और लोगों को सुरक्षित जगह पर पहुंचा कर उनके खाने-पीने और चिकित्सा संबंधी सारी व्यवस्था की गई है, परंतु आप तस्वीरों में देख सकते हैं 1 दर्जन से अधिक परिवार सड़क किनारे अपने पशुओं को लेकर रह रहे हैं और छोटे-छोटे बच्चे भूखे हैं. मथुरा जनपद में किसानों की सैकड़ों बीघा फसल जलमग्न होकर नष्ट हो गई.

बाढ़ को देखते हुए किए जा रही सभी इंतजाम-जिलाधिकारी

ताजेवाला और ओखला बैराज से छोड़े जा रहे जल की मात्रा को देखते हुए संभावना जताई जा रही है कि मंगलवार को पानी का स्तर स्थित होने लगेगा. इसके बाद पानी में गिरावट आने के संकेत हैं. जिलाधिकारी पुलकित खरे ने बताया कि बाढ़ को देखते हुए सभी इंतजाम किए जा रहे हैं. यमुना किनारे के क्षेत्रों में लोगों को जाने से रोका जा रहा है. राहत शिविर के साथ इस कार्य में आपदा प्रबंधन की टीमें भी काम कर रही हैं, करीब 1250 लोगों को राहत शिविरों में भेजा गया है. उनके खाने-पीने और चिकित्सा संबंधी सभी व्यवस्थाएं की गई है, जिस गांव या कॉलोनी बाढ़ की चपेट में आ गई है, उनको चिन्हित कर वहां से निकाल कर सुरक्षित जगह पर पहुंचाया जा रहा है.

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