यूपी में आरक्षण पर हो रही है सियासत, मायावती ने कहा- अब बातें करने से कोई फायदा नहीं (Photo Credit: File)
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनाव को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद राज्य में सियासी घमासान मच गया है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के आयोजित होगा। इस पर यूपी सरकार ने एक बयान में कहा कि ओबीसी को आरक्षण प्रदान करने के बाद ही स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाएंगे। इस मुद्दे पर विपक्ष योगी सरकार को घेर रही है, तो वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने कांग्रेस और सपा पर जमकर हमला बोला है।
बसपा सुप्रीमो मायवती ने ट्वीट कर कहा कि कांग्रेस ने केन्द्र में अपनी सरकार के चलते पिछड़ों के आरक्षण संबंधी मंडल कमीशन की रिपोर्ट को लागू नहीं होने दिया। साथ ही SC-ST आरक्षण को भी निष्प्रभावी बना दिया और अब, बीजेपी भी, इस मामले में कांग्रेस के पदचिन्हों पर ही चल रही है।
आपको बता दें कि मायावती ने अपने ट्वीट में आगे लिखा कि सपा सरकार ने भी ख़ासकर अति पिछड़ों को पूरा हक़ नहीं दिया, SC-ST का पदोन्नति में आरक्षण ख़त्म कर दिया। मायावती ने ज़ोर देते हुए कहा कि इससे संबंधित बिल को सपा ने संसद में फाड़ दिया और इसे पास भी नहीं होने दिया। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि बी.एस.पी. सरकार में SC-ST के साथ-साथ अति पिछड़ों व पिछड़ों को भी आरक्षण का पूरा हक़ दिया गया, नतीजतन अब आरक्षण पर बड़ी-बड़ी बातें करने से सपा व अन्य पार्टियों को भी कोई लाभ मिलने वाला नही, ये सभी वर्ग इन दोगले चेहरों से भी सतर्क रहें। आपको बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा कि या तो सरकार सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय 'ट्रिपल टेस्ट' का फॉर्मूला अपनाकर ओबीसी आरक्षण दे या फिर बग़ैर ओबीसी आरक्षण के ही निकाय चुनाव करवा ले।
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वहीं हाई कोर्ट के फैसले के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी साफ़ कर दिया है कि बग़ैर ओबीसी आरक्षण के चुनाव नहीं कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार एक आयोग का गठन कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर ओबीसी को आरक्षण देगी और उसके बाद ही चुनाव होंगे। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में 762 नगरीय निकायों में चुनाव होने हैं। इन नगरीय निकायों का कार्यकाल 12 दिसंबर से 19 जनवरी 2023 के बीच ख़त्म होना है।