Friday 7th of March 2025

मायावती ने 'आकाश' को ज़मीन पर उतारा। क्या 'द एंड' की तरफ़ बढ़ रही है बसपा?

Reported by: MOHD ZUBER KHAN  |  Edited by: Mohd. Zuber Khan  |  March 05th 2025 10:09 AM  |  Updated: March 05th 2025 10:09 AM

मायावती ने 'आकाश' को ज़मीन पर उतारा। क्या 'द एंड' की तरफ़ बढ़ रही है बसपा?

लखनऊ/दिल्ली: मायावती ने आकाश को ज़मीन पर उतारा! क्या 'द एंड' की तरफ़ बढ़ रही है बसपा?

दरअसल ये वो वाजिब सवाल हैं, जो बसपा के हाथी पर सवार हर कार्यकर्ता के दिलो-दिमाग़ में तैर रहे हैं। बसपा के समर्थकों की बेचैनी बढ़ती जा रही है और वो यही सोच रहे हैं कि अंबेडकर और कांशीराम की जिस विचारधारा के सिलसिले को मायावती ने क़ायदे से आगे बढ़ाया था, अब वो दिन लद गए हैं, या वो बीते ज़माने की बात हो गई है।

ऐसा शायद वो ग़लत भी नहीं सोच रहे हैं, क्योंकि जो शख़्स, देश के सबसे बड़े सियासी सूबे का चार बार मुख्यमंत्री बना हो, उनका लगातार चुनाव हारना ये दिखाता है कि कहीं ना कहीं, कुछ तो गड़बड़ है। सियासी गलियारों में ये जुमला गाहे-बगाहे ख़ूब इस्तेमाल किया जाता है कि दिल्ली का रास्ता लखनऊ होकर जाता है और जब बात लखनऊ की होती है, तो उसका एक टर्मिनल बसपा कार्यालय भी होता है या होता था, लेकिन अब जैसे ये कल की बात हो गई है।

मायावती ने आकाश आनंद को किया बसपा से निष्कासित

ख़ैर, इन तमाम सियासी उतार-चढ़ावों के बावजूद, जब मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित तो बसपा के सोए हुए हाथी ने करवंट ली और जब चुनावी जनसभाओं में आकाश आनंद ने अपनी तीखी भाषण शैली से पक्ष-विपक्ष या कहें कि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और भाजपा पर ज़ोरदार हमला बोला, तो, ऐसा लगा कि बसपा के हाथी ने ना केवल करवंट ले ली है, बल्कि अब वो पूरी मज़बूती के साथ अपनी खोई हुई ताक़त को पहचान चुका है, लेकिन शायद ये जल्दबाज़ी थी, तभी तो ख़ुद मायावती को अपने ही भतीजे आकाश आनंद का ये लहजा अखरने लगा और उनको आनन-फानन में पार्टी के तमाम पदों से हटा दिया गया, यही नहीं, और अब, हद तो तब हो गई जब मायावती ने आकाश आनंद को पार्टी से ही बाहर निकाल दिया, जिसके बाद एक बार फिर से वही सवाल मीडिया हलकों में तैरने लगे हैं कि बसपा का राजनीतिक भविष्य  है क्या और अगर नहीं है, तो क्यों नहीं है, इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह क्या है?

लगातार घट रहा है बहुजन समाज पार्टी का सियासी ग्राफ़

सवाल ये भी है कि 2007 में जिस मायावती ने तीस फ़ीसदी से ज़्यादा वोट और 206 सीटें लेकर सरकार बनाई. लेकिन 2007 से 2025 तक आते-आते तस्वीर उलट हो क्यूं गई. जो संगठन की पार्टी थी, जिसका पास सबसे बड़ा वोट बैंक था, वो व्यक्ति तक चली क्यूं गई. बहरहाल जिस दल ने यूपी में 4 बार सरकार चलाई, वो अंतर्कलह के दलदल में फंसा दिखाई दे रहा है।

आकाश आनंद को जब मायावती ने अपना उत्तराधिकारी घोषित किया, तब आकाश आनंद की पहली परीक्षा लोकसभा चुनाव थी। लोकसभा में बीएसपी कुछ ख़ास तो नहीं कर पाई थी. लेकिन आकाश के भाषणों में जो जज़्बा दिखाई दिया, मीडिया से गांव-देहात तक, उसकी चर्चा ख़ूब हुई।

उत्तर प्रदेश में बसपा चार बार बना चुकी है सरकार

बहरहाल इस विवाद ने अब किस तरह का राजनैतिक रंग लिया है, ये समझने से पहले बीएसपी के इतिहास को समझना बेहद ज़रूरी हो जाता है। 1984 में बीएसपी का गठन हुआ और अब तक बीएसपी चार बार यूपी की सत्ता में बैठ पाई है। 2007 के यूपी विधानसभा में बीएसपी ने अपने दम पर 206 सीटें पाकर सरकार बनाई, लेकिन इसके बाद बीएसपी का डाउनफॉल ही दिखाई दिया। 2012 में पार्टी को 80 सीटें मिलीं, 2017 में सिर्फ 19 और 2022 में पार्टी महज़ एक सीट पर सिमट गई। 2014 और 2024 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी खाता भी नहीं खोल पाई, हां मगर 2019 में सपा-बसपा का गठबंधन हुआ तो बीएसपी के खाते में 10 सीटें ज़रूर आ गई थी।

मायावती ने आकाश आनंद को बनाया था नेशनल कॉर्डिनेटर

जब मायावती ने 10 दिसंबर 2023 को अपने भतीजे आकाश आनंद को ना सिर्फ पार्टी का नेशनल कॉर्डिनेटर बनाया था बल्कि अपना उत्तराधिकारी भी घोषित किया था, तो ऐसा लगा था कि जैसे बुझते हुए चिराग़ को कोई लौ मिल गई, जिसका उजाला, बसपा के अधंकार को देर-सबेर खत्म कर देगा, लेकिन बसपा के पांरपरिक मतदाताओं को निराशा हाथ लगी। दरअसल 2024 के लोकसभा चुनाव के बीच में, जब मायावती ने आकाश को अपरिपक्व बताते हुए सभी पदों से हटाया. तो बीएसपी पदाधिकारी भी सकते में आ गए, लेकिन लोकसभा चुनाव गुजरा, तो वही आकाश फिर से मायावती की आंख के तारे बन गए, लेकिन एक बार फिर आकाश आनंद को सभी पदों से हटाते हुए मायावती ने उन पर गंभीर आरोप लगा दिए हैं, जिससे बहुजन समाज पार्टी की नाव सियासी भंवर में फंस चुकी है और कार्यकर्ता ख़ुद को मझदार में खड़ा हुआ महसूस कर रहे हैं।

ये भी दिलचस्प है कि आकाश आनंद के ससुर और कभी मायावती के ख़ासमख़ास रहे अशोक सिद्धार्थ को भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है. हैरतअंगेज़ है कि प्रेस रिलीज़ में आकाश आनंद को पार्टी के सभी पदों से हटाने की वजह भी अशोक सिद्धार्थ को बताया गया है।

2027 के विधानसभा चुनाव से पहले बसपा को लगा झटका

आगे 2027 है, जिसकी तैयारियां, बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने एक तरह शुरू कर भी दी हैं, लेकिन मायावती ने 2027 में होने वाले यूपी विधानसभा को देखते हुए अपने भाई आनंद कुमार और वरिष्ठ नेता रामजी गौतम को नेशनल कॉर्डिनेटर बना दिया है। साथ ही वो ऐलान भी कर चुकी हैं कि अपने जीते जी, वो अपना कोई भी उत्तराधिकारी नहीं बनायेंगी. यानी ये तय हो चुका है कि फ़िलहाल मायावती ने आकाश को ज़मीन पर उतारकर 2027 की तैयारी शुरू कर दी हैं।

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