ब्यूरो: Muzaffarnagar: बदायूं और संभल जामा मस्जिद का विवाद अभी तक शांत नहीं हुआ था कि मुजफ्फरनगर की एक मस्जिद विवाद ने भी हलचल मचा दी है। बता दें कि इस मस्जिद में किसी मंदिर को तोड़कर बनाए जाने का मामला नहीं है, बल्कि शत्रु संपत्ति को मस्जिद बनाकर कब्जा करने की कोशिश करने का आरोप है। मुजफ्फरनगर में रेलवे स्टेशन के सामने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री लियाकत अली खान के परिवार से संबंधित लोगों के नाम की भूमि को अब शत्रु संपत्ति घोषित किया गया है।
शत्रु संपत्ति यानी वह जगह जिसे केंद्र सरकार ने साल 1968 में शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया था, क्योंकि वह लोग विभाजन के वक्त पाकिस्तान चले गए। करीब डेढ़ साल पहले मुजफ्फरनगर की एक संस्था हिंदू सनातन संगठन के संयोजक संजय अरोड़ा ने इस जमीन को लेकर एक पत्र प्रशासन को भेजा था, जिसमें यह दावा किया गया था कि यह जमीन पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की है, जिसे अवैध तरीके से जमीन पर मस्जिद और दुकानें बनाई गई हैं।
इसके बाद इस जमीन की जांच हुई और इस मस्जिद के एक दुकान के मालिक ने इस वक्फ की संपत्ति बताते हुए शत्रु संपत्ति होने को नकारा। उसने यह दलील देते हुए कहा कि 40 के दशक में ही लियाकत अली खान के पिता ने इसे वक्फ को दान कर दिया था और इससे जुड़े वक्त के कागजात भी जमा किए। जांच में पाया गया कि यह वक्फ की संपत्ति नहीं है, बल्कि लियाकत अली खान की ही संपत्ति है।