गाजियाबाद: पूर्व मंत्री डीपी यादव को अदालत से राहत मिल गई है. नीतीश कटारा हत्याकांड के मुख्य गवाह को जहर देकर मारने की कोशिश करने के मामले में अदालत ने फैसला सुनाया है.
दरअसल, अदालत ने पूरे साक्ष्य न होने के चलते तीन लोगों को बरी किया है. कोर्ट का कहना है कि पुलिस पर्याप्त साक्ष्य जमा नहीं करवा पाई. बता दें इस मामले में पहले ही चार आरोपी बरी हो चुके हैं.
2007 का है मामला
ये मामला 18 जुलाई, 2007 का है. जब थाना साहिबाबाद में इस मामले को लेकर एफआईआर हुई थी. एफआईआर में अजय कटारा ने बताया कि उसका पत्नी के साथ कोई विवाद चल रहा था, जिसके लिए समझौता करवाने के लिए उनके घर पर दो व्यक्ति आए और उन्हें अपने साथ ले गए.
अजय कटारा ने आरोप लगाया कि दोनों व्यक्ति उन्हें वर्तमान बीजेपी विधायक नंदकिशोर गुर्जर, यतेंद्र नागर और सलीम खान के पास ले गए. उनका आरोप है कि इस दौरान उन्होंने उन्हें खाने में आलू की टिक्की खिलाई और कोल्डड्रिंक पिलाई. वहीं तबीयत बिगड़ने पर सभी उन्हें छोड़कर फरार हो गए. जिसके बाद जैसे-तैसे वो वहां से निकले और कई दिनों तक उनका इलाज चला और गमीनत रही की उनकी जान बच गई.
वहीं जहर देखकर मारने का आरोप लगाते हुए अजय कटारा ने पूर्व मंत्री डीपी यादव, बीजेपी विधायक नंदकिशोर गुर्जर, यतेंद्र नागर, सलीम खान और पत्नी तनु चौधरी सहित तीन दो अन्य के खिलाफ मामल दर्ज करवाया.
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में हुआ चौकाने वाला खुलासा
अजय कटारा ने को मामला दर्ज करवा दिया, लेकिन उनका केस उस वक्त कमजोर पड़ गया जब स्वास्थ्य विभाग ने इसे जहर से तबीयत बिगड़ने की जगह फूड पॉइजनिंग का मामला बताया. वहीं अयज कटारा का कहना है कि वो नीतीश कटारा हत्याकांड का गवाह है, इसलिए ऐसा किया गया.
साहिबाबाद थाना पुलिस ने इस मामले में 18 मार्च 2010 को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी. इस केस में कुल 7 गवाह पेश किए गए थे. वहीं सुबूतों के अभाव में गाजियाबाद की एमपीएमएलए कोर्ट ने बुधवार को पूर्व मंत्री डीपी यादव, वादी की पत्नी तनु चौधरी और सलीम खान को बरी कर दिया है. इससे पहले भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जरए यतेंद्र नागरए अनुज शर्मा और मनोज शर्मा भी बरी हो चुके हैं.