लखनऊ। विश्व दिव्यांग दिवस पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की और इस बात पर जोर दिया कि शारीरिक बनावट क्षमता के निर्धारण और लक्ष्यों की प्राप्ति में बाधा नहीं बनती है। इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में दिव्यांगजन सशक्तिकरण, छात्रवृत्ति वितरण, सहायक उपकरण प्रदान करने और उत्कृष्ट काम करने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं के सम्मान के लिए आयोजित में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत की ऋषि परंपरा ने हमेशा हमें इस बात के लिए प्रेरित किया है कि व्यक्ति की शारीरिक बनावट उसकी क्षमता का निर्धारण नहीं करती है।
सीएम योगी ने अष्टावक्र गीता का दिया उदाहरण
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विश्व दिव्यांग दिवस पर सभी की मंगलकामना करते हुए कहा कि देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की भी पावन जयंती है। उनकी स्मृतियों को नमन करते हुए मैं विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उन्होंने कहा कि हमारे यहां एक ग्रंथ है अष्टावक्र गीता जिसे ऋषि अष्टावक्र ने रचा था। उनके बारे में अनेक धारणाएं हैं, और कहते हैं कि विदेह जनक को भी आत्मज्ञान की प्रेरणा उन्होंने दी। मध्यकाल में संत सूरदास इसके उदाहरण हैं। दुनिया में भी अनेक ऐसे उदाहरण हैं, जहां दिव्यांगजनों को थोड़ा भी संबल मिला तो उन्होंने अपने सामर्थ्य और अपनी शक्ति से समाज के लिए वह सब कुछ कर दिखाया ।
उपेक्षा से कुंठित होता है मन- मुख्यमंत्री योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अगर किसी के परिवार में जाने-अनजाने या किसी गलती के कारण कोई बच्चा दिव्यांगता का शिकार होता है, तो स्वाभाविक रूप से परिवार और समाज उसे उपेक्षित कर देता है। परिणाम ये होता है कि बचपन में ध्यान ना दिए जाने और संबल ना मिलने के कारण उपेक्षा जीवन भर उसके मन को कुंठित करती है।
हर व्यक्ति है ईश्वरीय कृति- मुख्यमंत्री योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हर व्यक्ति ईश्वरीय कृति है और मनुष्य ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से एक है। अगर हम हर मनुष्य के भीतर ईश्वर का वास मानकर उसके प्रति सद्भाव और सहानुभूति रखें और थोड़ा-सा संबल दें तो उपेक्षा के भाव से उसे बाहर निकालकर समाज और राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ा जा सकता है। दिव्यांगजन की सामर्थ्य और उनकी प्रतिभा से समाज को लाभान्वित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने दिव्यांगजनों के प्रति समाज की दृष्टि बदली है। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि शारीरिक रूप से कोई अंग कमजोर हो, लेकिन मानसिक रूप से वह अत्यंत परिपक्व हो।