ब्यूरो: पिछले हफ्ते पीलीभीत जिले में पुलिस एनकाउंटर में मारे गए तीन खालिस्तानी आतंकियों से जुड़े पहलुओं की जांच जारी है। इस मामले में सुरक्षा एजेंसियों को चौंकाने वाली जानकारी मिल रही हैं। आतंकियों का हैंडलर लंदन में बैठकर निर्देश जारी करता था वहीं, इस नेटवर्क के पाकिस्तान कनेक्शन का भी पता चला है। चूंकि तीन दशक पहले यूपी के तराई इलाके में आतंकी गतिविधियों ने कहर ढा दिया था लिहाजा इस बार ऐसे नेटवर्क को नेस्तनाबूद करने के लिए पुलिस पूरी तरह से सक्रिय हो चुकी है। एक खास रिपोर्ट
पंजाब में पुलिस चौकी पर हमला करने वाले तीन आतंकी यूपी में मार गिराए गए
गौरतलब है कि बीते सोमवार 23 दिसंबर को यूपी के पीलीभीत जिले के पूरनपुर में हरदोई नहर ब्रांच की पटरी पर गोलियों की तड़तड़ाहट से इलाकाई लोग दहशतजदा हो उठे। थोड़ी ही देर में जानकारी मिली कि पुलिस मुठभेड़ में तीन आतंकी गुरविंदर, वीरेन्द्र उर्फ रवि और जश्नप्रीत उर्फ प्रताप सिंह ढेर हो चुके हैं। पंजाब पुलिस से मिले इनपुट के आधार पर ही ये पुलिसिया एक्शन अंजाम दिया गया था। खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स से जुड़े इन तीनों आतंकियों ने 18 दिसंबर को पंजाब के गुरदासपुर के थाना कलानौर की बख्शीवाला पुलिस चौकी पर ग्रेनेड से हमला किया था। ये आतंकी संपर्क साधने के लिए जंगी एप का इस्तेमाल करते थे। इस एप में भेजा गया संदेश व डाटा 20 सेकेंड में खुद ही डिलीट हो जाता है।
एनकाउंटर से जुड़े तमाम पहलुओं की सच्चाई जानने के लिए मजिस्ट्रियल जांच शुरू हो चुकी है
पुलिस ने मुठभेड़ में मारे गए तीनों आतंकियों के शव उनके परिजनों को सौंप दिए थे। इनमें से जश्नप्रीत के परिजनों ने शव पर गोली का निशान न होने की बात कहकर अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया था। पर स्थानीय पुलिस अफसरों के समझाने के बाद परिजन अंतिम संस्कार करने को राजी हो गए थे। इसके बाद ही सोशल मीडिया पर भी कई खबरें सामने आईं जिनमें एनकाउंटर की वास्तविकता को लेकर सवाल उठाए गए थे। फिलहाल पीलीभीत के डीएम संजय कुमार ने विधिक प्रावधानों के अनुसार इस एनकाउंटर की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। पीलीभीत के सिटी मजिस्ट्रेट विजयवर्धन सिंह तोमर जांच अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। माना जा रहा है कि इस जांच से कई पहलू उजागर हो सकेंगे।
आतंकियों का फर्जी आधार कार्ड बनवाने वाला सनी पुलिस के हत्थे चढ़ा
यूपी के पीलीभीत में आतंकियों की आमद की जानकारी मिलते ही पुलिस के साथ ही एनआईए की टीमें भी अलर्ट हो गईं। इस केस में तफ्तीश शुरू हुई तो गजरौला जप्ती निवासी जसपाल सिंह उर्फ सनी का नाम सामने आया। जांच एजेंसियों को पता चला कि इसी ने तीनों आतंकियों को होटल हर जी में फर्जी नाम पते से रहने में मदद की थी। इसके लिए तीनों के फर्जी आधार कार्ड तैयार किए गए थे। जिनमें गुरविंदर का नाम मंजीत सिंह, वरिंदर का नाम कुलदीप सिंह व जश्नप्रीत का नाम हीरा सिंह अंकित किया गया था। इसमें पता बलिया जिले का आदर्श नगर दर्शाया गया था। आतंकियों को होटल ले जाने के दौरान सनी एक राइस मिल में काम करने वाले युवक भी साथ लेकर गया था। साथ ही अपने परिचित से वाट्सएप के जरिए होटल मैनेजर से बात करवा के रूम के किराए के रुपए भी कम करवाए थे। हालांकि जांच में इनकी संदिग्ध भूमिका नहीं मिली। वहीं, सनी से पुलिस को कई अहम सुराग हासिल हुए।
आतंकियों का हैंडलर लंदन में बैठा सिद्धू निकला जो कई महीने पूरनपुर कस्बे में ठहर चुका था
जसपाल उर्फ सनी से हुई पूछताछ के दौरान पुलिस के सामने इंग्लैंड में रह रहे कुलबीर सिंह उर्फ सिद्धू के नाम का खुलासा हुआ। ये बब्बर खालसा इंटरनेशनल यानी बीकेआई से जुड़ा हुआ है। पंजाब के रूपनगर के नंगल में विश्व हिंदू परिषद के नेता विकास बग्गा हत्याकांड में इस पर एनआईए ने दस लाख रुपए का इनाम घोषित किया है। इसी ने आतंकियों को पूरनपुर के होटल में कमरा दिलाने के लिए सनी को लंदन से फोन किया था। सिद्धू पाकिस्तान में स्थित बीकेआई के चीफ वधावा सिंह उर्फ बब्बर का दाहिना हाथ है। कोविड काल में यहां हरियाणा के यमुनानगर से पूरनपुर कस्बे में आया था। मार्बल की दुकान पर काम कर रहे हरनाम से इसकी मुलाकात हुई। जिसके घर में पांच महीने तक किराए पर सिद्धू रहा। फिर जूस बेचने वाले गुरजीत की दुकान पर सतवंत से इसकी मुलाकात हुई इसके बाद यह सतवंत के घर पर रहने लगा। इसके बाद सिद्धू ने गुरजीत को आईलेट्स सेंटर खुलवाया। फर्जी नामपते से पासपोर्ट का काला कारोबार किया, फिर फर्जी नामपते से पासपोर्ट बनवाकर नेपाल के रास्ते लंदन भाग निकला।
पीलीभीत में एक शख्स से हुए मोबाइल लूटकांड ने जांच एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी
एनकाउंटर के दो दिन बाद 25 दिसंबर को पीलीभीत में सुनगढ़ी थाना क्षेत्र में चंदौई- हगला मार्ग पर गुमनाम सिंह नामक शख्स के साथ मोबाइल लूट की वारदात हुई। पीड़ित के मुताबिक तीन लूटेरे बुलेट मोटर साइकिल पर सवार थे। एक ने पगड़ी बांधी हुई थी, जबकि दो के बाल कटे हुए थे। उन्होंने माउजर के बल पर मोबाइल छीना और कहा कि हमारे तीन आदमी मार दिए गए. बाकि आदमी बिछड़ गए हैं, हमें उनको ढूंढना है। मोबाइल की हमको खास जरूरत है, यूज करने के बाद इसको तोड़कर फेंक देंगे। चलते चलते इन तीनों ने कहा तुम चिंता न करो तुम्हें कुछ नहीं होगा। इस घटना से पुलिस ने संदेश निकाला है कि आतंकियों के कुछ और साथी इस क्षेत्र में छिपे हुए हैं।जिनकी तलाश के लिए मुखबिरों का नेटवर्क भी सक्रिय किया गया है, कई इलाकों में संदिग्धों पर नजर रखी जा रही है।
पंजाब के आतंकी संगठनों का यूपी कनेक्शन सामने आता रहा है
पीलीभीत से सटे खटीमा, नानकमत्ता, सितारगंज, बालपुर, रुद्रपुर, मदरपुर में खुफिया विभाग खासतौर से सक्रिय किया गया है। इन इलाकों में साल 2018 से 2021 के दरमान प्रतिबंधित खालिस्तान समर्थक संगठनों के पक्ष में सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखने के मामले सामने आए थे। तब पुलिस ने गिरफ्तारियां व चालानी कार्रवाई की थी तो कई लोगों की काउंसलिंग भी कराई गई थी। तीन साल पहले पंजाब के जालंधर में कबड्डी खिलाड़ी संदीप नांगल हत्याकांड का आरोपी आजाद सिंह तराई के अभयपुर माधोपुर निवासी है। पिछले साल खालिस्तान समर्थक अलगाववादी अमृतपाल सिंह ने जिस स्कॉर्पियो का उपयोग किया, वह भी इसी क्षेत्र के एक युवक की थी। बीते दिनों स्वर्ण मंदिर परिसर में पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल पर गोली चलाने के आरोप में गिरफ्तार नारायण सिंह चौड़ा ने पुलिस पूछताछ में माना था कि उसने यूपी के लखीमपुर खीरी में हथियार और विस्फोटक सामग्री छिपा कर रखी है।
नब्बे के दशक में यूपी का तराई इलाका आतंकियों की दहशत से कांप उठा था
आज से पैंतीस वर्ष पूर्व अविभाजित उत्तर प्रदेश के तराई इलाके में नैनीताल जिले का ऊधमसिंह नगर भी शामिल हुआ करता था। तब साल 1989 में खालिस्तानी आतंकियों ने यहां के जंगलों में शरण लेनी और आतंक फैलाना शुरू कर दिया था। सबसे बड़ी घटना 17 अक्तूबर 1991 को रुद्रपुर में घटी, जब खालिस्तान नेशनल आर्मी ने दो जगहों पर बम विस्फोट करके 41 लोगों की मौत के घाट उतार दिया था, जिसमें 140 लोग घायल हुए थे। 1992 में माला जंगल में 29 नागरिकों की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद कई पुलिसवालों की हत्याएं की गईं जबकि कई आतंकी मुठभेड़ में मारे गए। तब आतंकवाद पर काबू पाने के लिए सेना को बुलाना पड़ा था। पीलीभीत की घटना के बाद लोगों के जेहन में उस काले दौर की खौफनाक यादें ताजा हो गई हैं। तो पुलिस व केंद्रीय खुफिया एजेंसियां भी अलर्ट मोड में आ गई हैं।