Friday 23rd of May 2025

उत्तर प्रदेश में कछुओं का संरक्षण, योगी सरकार की अभूतपूर्व पहल

Reported by: Gyanendra Kumar Shukla, Editor, PTC News UP  |  Edited by: Mangala Tiwari  |  May 22nd 2025 08:27 PM  |  Updated: May 22nd 2025 08:27 PM

उत्तर प्रदेश में कछुओं का संरक्षण, योगी सरकार की अभूतपूर्व पहल

Lucknow: उत्तर प्रदेश में कछुआ संरक्षण की दिशा में भी अभूतपूर्व कदम बढ़ाए गए हैं। 23 मई को विश्व कछुआ दिवस है। कछुआ की जैव समृद्धता व उनके संरक्षण के लिए जनजागरूकता पैदा करने के लिए वर्ष 2000 से विश्व कछुआ दिवस का आयोजन किया जाता है। विभिन्न राज्यों से पकड़े गए कछुओं को उत्तर प्रदेश में लाकर संरक्षित किया जा रहा है। कुकरैल, सारनाथ व चंबल में कछुआ संरक्षण केंद्र तथा प्रयाग के पास कछुआ अभयारण्य केंद्र की स्थापना की गई है। भारत में कछुआ की 30 प्रजाति पाई जाती है, इसमें से 15 उत्तर प्रदेश में मिलती हैं। इनके संरक्षण व संवर्धन पर पूरा जोर दिया जा रहा है।

कछुआ के संरक्षण को लेकर वन विभाग निरंतर उठा रहा कदम:

कछुआ धरती पर पाया जाने वाला सबसे प्राचीन व लम्बी आयु का प्राणी है। यह जलीय पारितंत्र का महत्वपूर्ण घटक भी है। यह पानी के सफाई कर्मी के रूप में भी जाना जाता है। प्राचीन सभ्यताओं से लेकर प्रदेश के इतिहास में विभिन्न रूपों में इनका जिक्र है। कच्छप अवतार के रूम में तो कच्चा हमारी परंपरा में पूजनीय भी है। वन विभाग कछुओं के संरक्षण के लिये पूर्णतया प्रतिबद्ध है। जलीय स्रोत (नदी, तालाब, झील) आदि प्रदूषित हो रहे हैं। ऐसे में कछुए की कटहवा, मोरपंखी, साल, सुंदरी आदि प्रजातियां जल को प्रदूषण मुक्त रखने में अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। 

कछुआ के अवैध व्यापार को रोकने की दिशा में किए जा रहे प्रभावी प्रयास:

उत्तर प्रदेश वन एवं वन्यजीव विभाग ने कछुओं के विलुप्त होने तथा इनके अवैध व्यापार को रोकने की दिशा में कई प्रयास किये हैं। विभिन्न राज्यों में पकड़े गये उत्तर भारत के कछुओं को वापस उत्तर प्रदेश में लाकर पुनर्वासित किया गया है। यह प्रयास निरंतर किए जा रहे हैं। प्रदेश में तीन केंद्रों (कुकरैल, सारनाथ तथा चंबल) के माध्यम से कछुआ संरक्षण की दिशा में अग्रसर हैं। 

2020 में प्रयाग के समीप 30 किमी. के दायरे में स्थापित हुआ था कछुआ अभयारण्य:

नमामि गंगे परियोजनाओं के अंतर्गत भी कछुआ एवं उनके प्राकृतिक वास की पहचान के साथ संरक्षित करने की दिशा में कार्य शुरू किया है। प्रयाग के समीप कछुआ अभयारण्य बनाया है। प्रयागराज के डीएफओ अरविंद यादव ने बताया कि 2020 में इसकी स्थापना हुई थी। 30 किमी. के दायरे में यह अभयारण्य है। यह तीन जिलों (प्रयागराज के कोठरी मेजा से होते हुए मीरजापुर, भदोही होते हुए उपरवार) तक फैला है। 

भारत में 30 प्रजातियां पाई जाती हैं, इनमें से 15 उत्तर प्रदेश में:

कछुए की 30 प्रजातियां भारत में पाई जाती हैं। इनमें से 15 प्रजातियां उत्तर प्रदेश में पाई जाती हैं। इनमें से ब्राह्मणी, पचेड़ा, कोरी पचेड़ा, कालीटोह, काला कछुआ, हल्दी बाथ कछुआ, साल कछुआ तिलकधारी, ढोर कछुआ, भूतकाथा कछुआ, पहाड़ी त्रिकुटकी कछुआ, सुंदरी कछुआ, मोरपंखी कछुआ, कटहवा लिथरहवा, स्योंटर फाइटर, पार्वती कछुआ आदि प्रमुख हैं। 

कछुआ के व्यापार पर लगाया जा रहा अंकुश:

प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य जीव) अनुराधा वेमुरी ने कहा कि प्रदेश सरकार के निर्देशन में वन-वन्यजीव विभाग कछुआ संरक्षण की दिशा में निरंतर कार्यरत है। प्रदेश के तीन केंद्रों के माध्यम से कछुआ संरक्षण किया जा रहा है तो वहीं कछुआ के व्यापार पर भी अंकुश लगाया जा रहा है। अन्य राज्यों में भी पकड़े गए कछुओं को उत्तर प्रदेश में लाकर पुनर्वासित किया जाता है। 

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