Friday 22nd of November 2024

संघ के संग तालमेल: बीजेपी की उम्मीदों का कमल!

Reported by: Gyanendra Kumar Shukla  |  Edited by: Md Saif  |  October 23rd 2024 04:10 PM  |  Updated: October 23rd 2024 05:51 PM

संघ के संग तालमेल: बीजेपी की उम्मीदों का कमल!

ब्यूरोः यूपी में मौसमी तापमान में कमी आ रही है तो उपचुनाव की तपिश में इजाफा होता जा रहा है। चुनावी जीत सुनिश्चित करने के लिए सियासी दलों ने कमर कसी हुई है। चुनावी सरगर्मी के इस माहौल में सियासी दिग्गजों की गतिविधियों पर भी सबकी निगाहें टिकी हैं। मंगलवार को संघ प्रमुख के साथ यूपी सीएम की मुलाकात सुर्खियों में छाई है। माना जा रहा है कि हरियाणा की तर्ज पर यूपी में भी संघ कार्यकर्ता मनोयोग से जुटेंगे-वोट प्रतिशत बढ़ाने और बूथ प्रबंधन में अपना सहयोग देंगे। आम चुनाव के दौरान संघ की उदासीनता के चलते नुकसान सह चुके बीजेपी खेमे के लिए संघ का ये रुख उत्साहित करने वाला है।

 

संघ प्रमुख के साथ सीएम योगी की बैठक में अहम बिंदुओं पर चर्चा हुई

मथुरा के परखम में संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में हिस्सा लेने के लिए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत दस दिवसीय प्रवास पर हैं। इसी बीच मंगलवार को सीएम योगी मथुरा दौरे पर पहुंचे। उन्होंने ब्रज तीर्थ विकास परिषद की बोर्ड की बैठक में हिस्सा लेने के साथ ही कृष्णनगरी में चल रही विकास योजनाओं की समीक्षा की। फिर योगी संघ प्रमुख मोहन भागवत से मिलने पहुंचे। दोनों के बीच तकरीबन 45 मिनट तक बातचीत हुई। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में सीएम योगी ने सरकार के कामकाज और विकास योजनाओं की जानकारी साझा की, साथ ही उपचुनाव की तैयारियों का फीडबैक दिया। तो संघ प्रमुख ने भी सीएम को संघ कार्यकर्ताओं द्वारा पूर्ण सहयोग किए जाने को लेकर आश्वस्त किया। बीजेपी समर्थक वोटरों को एकजुट करने, ओबीसी व दलित बिरादरियों में पैठ बनाने को लेकर चर्चा हुई। टोलियां बनाकर डोर-टू-डोर अभियान के हरियाणा के प्रयोग को यहां भी लागू करने का जिक्र हुआ।

 

हरियाणा में तीसरी बार बीजेपी सरकार बनाने वाली रणनीति संघ यूपी में भी लागू  करेगा

यूं तो हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी की प्रदेश यूनिट से लेकर केंद्रीय नेतृत्व ने भी पूरी ताकत झोंक दी थी। एक तरफ पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी का संगठन रोड शो और रैलियों में सक्रिय थे तो दूसरी तरफ ग्राउंड लेवल पर आरएसएस कार्यकर्ताओं ने जबरदस्त मेहनत की।  घर-घर जाकर लोगों से संपर्क करने की अपनी पारंपरिक गतिविधि के साथ ही चार महीनों के भीतर संघ ने हरियाणा में सोलह हजार छोटी-छोटी सभाएं और बैठकें कीं। जिसमें बीजेपी को लेकर उपजी भ्रांतियों को दूर किया गया तो सरकार की जनोपयोगी नीतियों का भी प्रचार किया गया। उन क्षेत्रों पर खासतौर से फोकस बनाए रखा गया जहां बीजेपी अपेक्षाकृत कमजोर मानी जा रही थी। संघ का ये अभियान गैर जाट वोटरों तक पैठ बनाने में तो कारगर रहा ही साथ ही जाट वोटरों की नाराजगी को भी काफी हद तक दूर करने में ये फार्मूला सफल रहा। अब संघ यूपी में भी इसी रणनीति पर अमल करने की राह पर है।

 

संघ का यूपी में जनसंपर्क बढ़ाने के साथ ही जातीय समीकरणों को साधने का लक्ष्य

संघ सूत्रों के अनुसार यूपी में भी हरियाणा की तर्ज पर उपचुनाव वाली सभी दस विधानसभा सीटों पर पांच हजार से ज्यादा छोटी-छोटी सभाएं आयोजित की जाएंगी। दलित बस्तियों में सहभोज और सहभागिता के कार्यक्रम किए जाएंगे तो ओबीसी वोटरों को जोड़ने के लिए छोटे-छोटे समूह बनाकर संवाद स्थापित किया जाएगा। वोटिंग  प्रतिशत बढ़ाने की हर मुमकिन कोशिश की जाएगी इसके लिए बीजेपी समर्थक वोटरों को मतदान स्थल तक लाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। आरक्षण और संविधान संशोधन के उस विपक्षी नैरेटिव का काउंटर किया जाएगा जिससे आम चुनाव में वोटरों का बड़ा  हिस्सा बीजेपी से छिटक गया था। जिन क्षेत्रों में आम चुनाव में बीजेपी को नुकसान हुआ था वहां डोर-टू-डोर जनसंपर्क की गतिविधियों में इजाफा किया जाएगा साथ ही बूथ मैनेजमेंट को लेकर नए सिरे से व्यूह रचना की जाएगी।

आम चुनाव में संघ के मुंह फेर लेने से बीजेपी की उम्मीदें धराशायी हुई थीं

साल 2024 के संसदीय चुनाव में जो भी घटा उसे बीजेपी के लिए करारा झटका और कठोर सबक माना गया। दरअसल, चार सौ पार का बीजेपी का नारा बुरी तरह फ्लॉप साबित हुआ तो अपने बूते सरकार बना लेने के उसके सपने  भी  चकनाचूर हो गए। पार्टी को यूपी में सबसे अधिक नुकसान हुआ यहां साल 2019 के मुकाबले उसकी सीटें 62 से घटकर 33 पर सिमट गईं। पार्टी का वोट शेयर पचास फीसदी से घटकर 41.3 फीसदी रह गया। पार्टी के इस कमजोर चुनावी प्रदर्शन के तमाम पहलू को लेकर जब समीक्षा की गई तो उसमें अहम वजह संघ की उदासीनता उभर कर सामने आई। कई सीटों पर बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने वाले संघ के समर्पित कार्यकर्ताओं के बड़े हिस्से ने चुनाव प्रचार से दूरी बनाए रखी यहां तक कि वोट डालने के लिए भी घर से नहीं निकले। चुनावी दौर के कई घटनाक्रमों ने एक दूसरे के पूरक माने जाने वाले बीजेपी और संघ के रिश्तों में खासी खटास पैदा की। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने चुनाव के दौरान कहा कि पहले आरएसएस की जरूरत थी पर अब बीजेपी खुद सक्षम है। इससे क्षुब्ध संघ ने अपनी भड़ास नतीजों के बाद निकाली। संघ के मुखपत्र ऑर्गेनाइजर में बीजेपी के अति आत्मविश्वास को खराब चुनावी प्रदर्शन का कारण बताते हुए जमकर निशाना साधा। हालांकि बाद में रिश्तों को पटरी पर लाने के लिए डैमेज कंट्रोल की कवायद युद्धस्तर पर की गईं।

 

संघ से रिश्तों के सुधरने और सहयोग मिलने से बीजेपी खेमा उत्साहित

आम चुनाव में संघ के कदम पीछे खींच लेने के बाद बीजेपी को जबरदस्त नुकसान सहना पड़ा। अब जिस तरह से उपचुनाव में संघ ने साथ देने का भरोसा दिया है उससे बीजेपी रणनीतिकारों की बांछे खिल गई हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के मुताबिक संघ का सकारात्मक रुख उनके लिए राहत भरा है। पूर्व में हुई चूकों से सबक लेकर अब नए सिरे से चुनावी मुकाबले के लिए आगे बढ़ा जा रहा है। उनकी पार्टी को उम्मीद है कि समान वैचारिकी वाले संगठनों की एकजुटता व समन्वय के जरिए न सिर्फ उपचुनाव में बेहतर नतीजे हासिल होंगे।  बल्कि साल 2027 के विधानसभा चुनाव में उसके पक्ष में माहौल बनेगा और आगामी चुनावी चुनौतियों का मुकाबला अधिक कारगर तरीके से किया जा सकेगा।

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