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UP Lok Sabha Election 2024: गाजियाबाद संसदीय सीट पर किसका रहा दबदबा, जानिए पूरा इतिहास

Reported by:  PTC News Desk   Edited By  Deepak Kumar -- April 10th 2024 05:31 PM
UP Lok Sabha Election 2024: गाजियाबाद संसदीय सीट पर किसका रहा दबदबा, जानिए पूरा इतिहास

UP Lok Sabha Election 2024: गाजियाबाद संसदीय सीट पर किसका रहा दबदबा, जानिए पूरा इतिहास (Photo Credit: File)

ब्यूरो: Gyanendra Shukla, Editor, UP: यूपी के ज्ञान में आज जानते हैं गाजियाबाद संसदीय सीट के बारे में।  दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले को गेटवे ऑफ यूपी भी कहा जाता है। यह उत्तर प्रदेश का अतिविकसित और औद्योगिक शहर है। यहां के चुनावी रण में वोटरों को रिझाने के लिए खुद पीएम मोदी यहां की सड़कों पर उतरकर रोड शो कर चुके हैं। 

सांस्कृतिक, पौराणिक मान्यताओं से भरपूर है ये जिला

इस जिले का इतिहास अति प्राचीन है। यहां के मोहन नगर से 2 किलोमीटर दूर उत्तर में हिंडन नदी के किनारे केसरी के टीले पर हुए उत्खनन में यहां 2500 ईसा पूर्व की विकसित सभ्यता के प्रमाण मिल चुके हैं। यहां गढ़मुक्तेश्वर और गंगा नदी के किनारे स्थित पूठ गांव का नाता महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। यहां के अहार नामक स्थल पर ही महाभारत काल में पांडवों की राजधानी हुआ करती थी तो इसी जगह पर  राजा जनमेजय ने नागयज्ञ किया था। रामायण कालीन लवणासुर से जुड़ा हुआ माना जाता है लोनी का किला। गजेटियर के अनुसार किले का नाम लवणासुर के नाम पर रखा गया था (लवण से अपभ्रंश होते हुए यह लोनी हो गया)। जिले की पूर्वी सीमा पर कोट नाम का एक गांव है जिसका संबंध महान गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त से माना जाता है। जिन्होंने किले और 'कोट कुलजम' (कोट वंश के राजकुमारों) को परास्त करने के बाद यहीं पर अश्वमेध यज्ञ किया था।

मध्यकालीन इतिहास के कई किस्से समेटे हुए है ये शहर

साल 1313 में सुल्तान मुहम्मद-बिन-तुगलक के शासन के दौरान, यह पूरा क्षेत्र एक विशाल युद्ध क्षेत्र बन गया था। मध्यकालीन इतिहास में अपनी सादगी और ईमानदारी के लिए मशहूर सुल्तान नसीरुद्दीन ने अपना बचपन इसी लोनी किले में गुजारा था। तब तैमूरलंग का हमला इसी किले पर हुआ था। आधुनिक भारत में गाजियाबाद मेरठ की तहसील हुआ करती थी। 14 नवंबर 1976 को यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने नेहरू के जन्मदिन के मौके पर गाजियाबाद को जिला बनाने का फैसला किया था।

परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई गाजियाबाद संसदीय सीट

गाजियाबाद सीट का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है। साल 2008 में परिसीमन के बाद हापुड़ संसदीय सीट का ज्यादातर हिस्सा मेरठ संसदीय क्षेत्र के साथ जोड़ दिया गया। जबकि लोनी विधानसभा क्षेत्र को शामिल करते हुए गाजियाबाद लोकसभा सीट के नाम से नई सीट बना दी गई। अब तक 16 बार के चुनाव में 13 बार बाहरी जिलों के निवासी यहां से सांसद चुने गए। इनमें हरियाणा के भिवानी में रहने वाले रिटायर्ड जनरल वीके सिंह, चार बार चुनाव जीतने वाले डॉ रमेश चंद तोमर और राजनाथ सिंह के नाम शामिल हैं।

चुनावी इतिहास के झरोखे से

 साल 1957 के लोकसभा चुनाव में गाजियाबाद के निवासियों को हापुड़ लोकसभा क्षेत्र के लिए अपना पहला सांसद चुनने का मौका मिला। तब कांग्रेस के कृष्णचंद शर्मा चुनाव जीते। 1962 में कांग्रेस की कमला चौधरी जीतीं। 1967 में प्रकाशवीर शास्त्री बतौर निर्दलीय जीते। 1971 में कांग्रेस के बीपी मौर्य तो 1977 में भारतीय लोकदल के कुंवर महमूद अली यहां से सांसद चुने गए। 1980 में जनता पार्टी सेक्युलर से अनवर अहमद को मौका मिला। 1984 में कांग्रेस के केएन सिंह कांग्रेस और 1989 में जनता दल के केसी त्यागी सांसद बने।

नब्बे के दशक से बीजेपी का परचम फहराया

1991 से 99 तक हुए चार बार के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की ओर से डॉ. रमेश चंद तोमर लगातार चार बार जीतकर लोकसभा पहुंचे, जबकि 2004 में यहां से कांग्रेस के सुरेंद्र प्रकाश गोयल ने जीत दर्ज की। साल 2009 में परिसीमन हुआ। इसमें हापुड़ का कुछ हिस्सा मेरठ लोकसभा और कुछ भाग गाजियाबाद में आ गया। लोनी विधानसभा क्षेत्र को मिलाकर गाजियाबाद लोकसभा सीट का गठन कर दिया गया। 2009 में इस लोकसभा सीट पर हुए पहले चुनाव में बीजेपी की ओर से पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कांग्रेस के सुरेंद्र प्रकाश गोयल को 90 हजार से अधिक वोटों के अंतर से मात दी।

सेना से सियासत में उतरे जनरल वीके सिंह ने चुनावी फतेह हासिल की

2014 के चुनाव में मोदी लहर का करिश्मा इस सीट पर भी छाया। यहां से रिटायर्ड जनरल वी के सिंह को बीजेपी ने टिकट दिया। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी राज बब्बर को 5,67,260 वोटों के मार्जिन से हरा दिया। साल 2019 के चुनाव में फिर से बीजेपी ने वीके सिंह पर ही दांव आजमाया। उन्होने 944,503 वोट पाकर सपा-बीएसपी गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रहे समाजवादी पार्टी के सुरेश बंसल को 501,500 वोटों  के अंतर से मात दी।

2022 के चुनाव में सभी विधानसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा

इस लोकसभा में 5 विधानसभा सीटें भी हैं- मुरादनगर, लोनी, साहिबाबाद, मोदीनगर और गाजियाबाद। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में इन सभी सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार चुनाव जीते। लोनी से नंदकिशोर गुर्जर, मुरादनगर से अजीत पाल त्यागी, साहिबाबाद से सुनील कुमार शर्मा, गाजियाबाद से अतुल गर्ग और धौलाना से धर्मेश सिंह तोमर  विधायक हैं।

जातीय समीकरणों का हिसाब-किताब

गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र की आबादी पचास लाख से अधिक है। यहां सत्तर फीसदी हिंदू , 25 फीसदी मुस्लिम एवं सिख व अन्य मतावलंबियों की आबादी है। इस संसदीय सीट पर वोटरों की तादाद तकरीबन 29 लाख है। इनमें सर्वाधिक पांच लाख मुस्लिम वोटर हैं। पांच लाख क्षत्रिय व करीब इतने ही ब्राह्णण वोटर हैं। चार लाख दलित जिनमें तीन लाख जाटव हैं। तीन लाख वैश्य हैं। दो लाख  जाट वोटर्स हैं, एक लाख त्यागी तो इतने ही गुर्जर वोटर हैं। सैनी, यादव और पंजाबी वोटरों की भी प्रभावशाली तादाद है।

2024 की चुनावी चौसर सज चुकी है

इस बार बीजेपी ने अपने इस गढ़ में नया दांव चला है। सिटिंग सांसद वी के सिंह की जगह विधायक अतुल गर्ग को टिकट दिया गया है। बीएसपी ने पहले अंशय कालरा को टिकट दिया पर बाद में बदलकर नंदकिशोर पुंडीर को मैदान में उतार दिया। इंडी गठबंधन की तरफ से ये सीट कांग्रेस के खाते में गई है। कांग्रेस की ओर से  डॉली शर्मा चुनाव मैदान में हैं। इस सीट पर बीजेपी को वी के सिंह समर्थकों की नाराजगी को लेकर डैमेज कंट्रोल करना पड़ रहा है तो वहीं इंडी गठबंधन और बीएसपी अपने समीकरणों को दुरुस्त करने में जुटे हैं। कुल मिलाकर मुकाबला त्रिकोणीय है। 

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