Saturday 23rd of November 2024

UP Lok Sabha Election 2024: यहां जानें हाथरस लोकसभा सीट का इतिहास, इस बार किसका रहेगा जादू

Reported by: PTC News उत्तर प्रदेश Desk  |  Edited by: Rahul Rana  |  April 13th 2024 11:45 AM  |  Updated: April 13th 2024 11:45 AM

UP Lok Sabha Election 2024: यहां जानें हाथरस लोकसभा सीट का इतिहास, इस बार किसका रहेगा जादू

ब्यूरो: Gyanendra Shukla, Editor, UP: यूपी का ज्ञान में आज चर्चा करेंगे हाथरस संसदीय सीट की। यूपी की 17 सुरक्षित सीटों में ये भी अहम सीट शामिल है। बृज क्षेत्र के तहत आने वाला हाथरस अपनी साहित्यिक व सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ ही औद्योगिक कार्यों के लिए भी मशहूर है। उच्च गुणवत्ता की हींग और सुगंधित गुलाल उत्पादन के लिए देश भर में जाना जाता है। साहित्य व संगीत जगत की नामचीन हस्ती हास्य कवि काका हाथरसी का जन्म 18 सितंबर, 1906 को हाथरस जिले में हुआ था। छोटू बनमाली द्वारा रचित  'गोकुल महात्म्य' की एक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय देवाधिदेव शिव और मां पार्वती इसी रास्ते से होते हुए बृज पहुंचे थे। जिस स्थान पर देवी पार्वती ने विश्राम किया था उसे हाथरसी देवी कहा गया। माना जाता है कि इसी स्थान के कारण ही इस जगह

 हाथरस को हींग का शहर भी कहा जाता है

स्वाद के शौकीनों के लिए हींग के स्वाद का क्या कहने। हाथरस में हींग का कारोबार अति प्राचीन है। माना जाता है कि अफगानिस्तान से यहां हींग उत्पादन की कला आई। पिछले साल 31 मार्च को यहां की हींग को जीआई टैग यि ज्योग्राफिकल इंडिकेशन टैग हासिल हो गया। उम्मीद है कि अब यहां के सौ करोड़ से अधिक के हींग कारोबार को नया आयाम हासिल होगा।

हाथरस का सुगंधित गुलाल देश भर में है मशहूर

हाथरस में रंग गुलाल का भी बड़ा उत्पादन होता है। यहां के टेसू के फूलों से बने उच्च गुणवत्ता के हर्बल गुलाल की देश भर में मांग रहती है। मौजूदा वक्त में बीस से अधिक फैक्ट्रियों में गुलाल उत्पादन होता है। ये कारोबार तीस करोड़ से अधिक का है। यहां से गुलाल कई देशों में भेजा जाता है। यहां का बना गुलाल स्किन फ्रेंडली होता है इसलिए उसका कोई सानी नहीं है।

 चार साल पहले हाथरस कांड छाया रहा था सुर्खियों में

14 सितंबर, 2020 को यहां के बुलगढ़ी गांव में एक दलित युवती के संग गैंगरेप किए जाने की खबर सामने आई। बाद में पीड़िता की इलाज के दौरान मौत हो गई। इसके बाद इस मुद्दे को जातीय रंग दिया गया। सीबीआई जांच हुई। अदालत में चली विधिक कार्यवाही के बाद गैंगरेप के आरोप सही नहीं पाए गए। इस केस में संदीप सिंह को गैर इरादतन हत्या और एससी एसटी एक्ट का दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई गई जबकि आरोपी बनाए गए अन्य लोग बेकसूर पाए जाने पर बरी कर दिए गए।

चुनावी इतिहास के झरोखे से

हाथरस सुरक्षित संसदीय सीट पर सबसे पहले 1962 में लोकसभा चुनाव हुए थे। जिसमें कांग्रेस के नरदेव स्नातक और रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया से ज्योति स्वरूप को जीत हासिल हुई थी। 1967 और 1971 में भी कांग्रेस के खाते में जीत दर्ज हुई। लेकिन इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव में सत्ता विरोधी लहर में कांग्रेस हार गई और जनता पार्टी के रामप्रसाद देशमुख सांसद बन गए। 1980 में भी कांग्रेस यहां से हारी तब जनता  पार्टी के चंद्र प्रकाश सैलानी चुनाव जीते। 1984 में के पूर्ण चंद सांसद बने। तो 1989 के चुनाव में जनता दल के बंगाली सिंह को यहां जीत हासिल हुई।

नब्बे के दशक के बाद से ये सीट बीजेपी का गढ़ बन गई

1990 के बाद से लेकर अब तक यहां पर हुए 8 चुनाव में 7 बार बीजेपी को जीत मिली है। 1991 में बीजेपी के लाल बहादुर रावल यहां से सांसद चुने गए।  तो 1996, 1998, 1999 और 2004 में बीजेपी को शानदार जीत दिलाई कृष्ण लाल दिलेर ने। 2009 में ये सीट बीजेपी-आरएलडी गठबंधन के तहत आरएलडी को मिली और यहां से सारिका बघेल को जीत हासिल हुई।

2014 की मोदी लहर में बीजेपी का परचम फहराया

2014 के संसदीय चुनाव में बीजेपी के राजेश कुमार दिवाकर को 5,44,277 वोट मिले। बीएसपी के  मनोज कुमार सोनी को 2,17,891 वोट हासिल हुए। जबकि  सपा के दिग्गज नेता रामजी लाल सुमन के खाते में 1,80,891 वोट दर्ज हुए। तब इस संसदीय सीट पर जीत का मार्जिन 326386 रहा था।

पिछले आम चुनाव में भी बीजेपी का ही वर्चस्व कायम रहा

2019 के लोकसभा चुनाव में हाथरस सीट से बीजेपी ने राजवीर सिंह दिलेर को मैदान में उतारा थ। उनके सामने सपा-बीएसपी गठबंधन के तहत सपा के रामजीलाल सुमन मौजूद थे। तब  राजवीर सिंह दिलेर को 684,299 वोट मिले तो रामजी लाल सुमन को 4,24,091 वोट हासिल हुए।  कांग्रेस के प्रत्याशी त्रिलोकी राम 24 हजार वोटों का आंकड़ा  भी नहीं छू सके। तब  राजवीर दिलेर ने यह चुनावी मुकाबला 2,60,208 वोटों के मार्जिन से जीत लिया।

जातीय समीकरणों का गुणा गणित

इस संसदीय सीट के वोटरों की तादाद 18 लाख 64 हजार 320 है। यहां के चुनाव में मुस्लिम-जाट वोटर प्रभावी किरदार निभाते रहे हैं। डेढ़ लाख मुस्लिम तो दो लाख के करीब जाट वोटर हैं। हालांकि यहां जाटव समाज के वोटों की सर्वाधिक तादाद है। दो लाख 75 हजार जाटव, एक लाख के करीब  धनगर बिरादरी, 85 हजार कोरी, अस्सी हजार धोबी, चालीस हजार वाल्मिकी, एक लाख यादव, साठ हजार कुशवाहा, तीस हजार अहेरिया बिरादरी के वोटर हैं। सवा दो लाख क्षत्रिय तो एक लाख 60 हजार ब्राह्मण, सवा लाख वैश्य बिरादरी के वोटर भी हैं।

साल 2022 के विधानसभा चुनाव की तस्वीर

हाथरस जिले के तहत 5 विधानसभा सीटें आती हैं, अलीगढ़ की छर्रा व इगलास सुरक्षित तो हाथरस की सादाबाद, सिकंदराराऊ और हाथरस सुरक्षित विधानसभा सीट। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में इनमें से 4 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली तो एक सीट राष्ट्रीय लोक दल के खाते में गई थी। छर्रा से बीजेपी के रविंद्र पाल सिंह, इगलास से बीजेपी के राजकुमार सहयोगी, हाथरस सुरक्षित से बीजेपी की अंजुला माहौर, सादाबाद से रालोद के प्रदीप कुमार सिंह, सिकंदराराऊ से बीजेपी के ब्रजेन्द्र सिंह राणा विधायक हैं।

साल 2024 की चुनावी बिसात सज चुकी है

इस बार के आम चुनाव के लिए बीजेपी ने सिटिंग एमपी राजवीर सिंह दिलेर का टिकट काटकर उनकी जगह अनूप वाल्मीकि को मैदान में उतारा है। इंडी गठबंधन के तहत सपा की ओर से जसवीर वाल्मीकि ताल ठोंक रहे हैं। बीएसपी ने हेमबाबू धनगर पर दांव लगाया है। तीनों ही दलों के उम्मीदवार चुनावी मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे हैं। 

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