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UP : क्या राजा भैया का पत्नी भानवी से होगा तलाक ?, 28 साल पहले हुई थी शादी

Reported by: PTC News उत्तर प्रदेश Desk  |  Edited by: Rahul Rana  |  April 12th 2023 03:11 PM  |  Updated: April 12th 2023 03:11 PM

UP : क्या राजा भैया का पत्नी भानवी से होगा तलाक ?, 28 साल पहले हुई थी शादी

ब्यूरो:  प्रतापगढ़ का राजघराना एक बार फिर सुर्खियों में है। लेकिन इस बार वजह विरासत में मिली रियासत और सियासत नहीं बल्कि रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और उनकी पत्नी भानवी सिंह के रिश्तों की खटास है।

दरअसल 28 सालों तक साथ रहने के बाद रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने अपनी पत्नी भानवी सिंह से अलग होने का फैसला कर लिया है। कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने दिल्ली के साकेत पारिवारिक न्यायालय में तलाक की अर्जी दाखिल की थी। जिस पर 10 अप्रैल 2023 को सुनवाई होनी थी।

लेकिन अब इस मामले में 23 मई को सुनवाई होगी। हालांकि कोर्ट ने राजा भईया की पत्नी को नोटिस जारी कर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। 

कौन हैं भानवी सिंह 

भानवी सिंह बस्ती राजघराने से संबध रखने वाली हैं। 10 जुलाई 1974 को उनका जन्म हुआ था। आपको बता दें कि भावनी बस्ती राजा के छोटे पुत्र कुवंर रवि प्रताप सिंह की बेटी है। कुवंर रवि प्रताप की चार बेटियों में से भानवी तीसरे नंबर पर है। साल 1995 में भावनी सिंह और राजा भैया की शादी हुई थी। जिसके बाद उनके दो बेटियां और दो जुड़वां बेटे हैं। 

राजा भईया और उनकी पत्नी भानवी सिंह का दाम्पत्य जीवन में बंधा रिश्ता अब टूट की कगार पर है। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो राजा भईया और उनकी पत्नी के बीच कई सालों से सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था। राजा भईया की पत्नी भानवी सिंह और उनके भाई अक्षय प्रताप सिंह की कानूनी कलह की आंच राजा भईया के रिश्ते तक आ गई। देवर-भाभी की लड़ाई में रघुराज प्रताप सिंह ने अपने भाई अक्षय प्रताप सिंह का पक्ष लिया। तो बात तलाक तक पहुंच गई। राजा भईया की पत्नी भानवी सिंह ने अक्षय प्रताप सिंह के खिलाफ दिल्ली में धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज कराई थी। जिसके बाद रघुराज प्रताप सिंह ने खुद को अपने भाई के साथ खड़ा बताया था। 

गौरतलब है कि रघुराज प्रताप सिंह यूपी की सियासत का वो नाम है। जिससे बगावत कोई नहीं करना चाहता। क्योंकि प्रतापगढ़ के कुंडा में किले की बादशाहत आज भी कायम है। आज भी उस किले में दरबार लगता है। राजशाही खत्म हो गई तो क्या हुआ। यहां तो वही होता है, जो किला कहता है। यहां का किला ही कोर्ट है, वही जज, वही वकील, और उसकी ही दलील सुनी जाती है। जिसको भी न्याय चाहिए। वह आज भी अर्जी लगाता है। यहां तारीख पर तारीख नहीं मिलती । बल्कि तुरंत न्याय मिलता है। लेकिन कुंडा के किले में दरबार लगाने वाले राजकुमार को भी पत्नी से हुए विवाद के बाद अदालत की शरण में जाना पड़ा है। 

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