ब्यूरोः आम चुनाव के नतीजों के आने के बाद से उत्साहित समाजवादी पार्टी ने राष्ट्रीय दर्जा हासिल करने को मुख्य लक्ष्य बना लिया था। लेकिन जम्मू कश्मीर के चुनावी नतीजों ने पार्टी की इस मुहिम को करारा झटका दे दिया है। न तो पार्टी का खाता खुल सका और न ही पार्टी प्रत्याशियों की जमानत तक बच सकी। जाहिर है राष्ट्रीय फलक पर धमक कायम करने की पार्टी रणनीतिकारों की मुहिम फ्लॉप साबित हुई।
हरियाणा में सपा को कांग्रेसी पंजे का साथ नहीं मिला तो जम्मू-कश्मीर में दांव आजमाया
हरियाणा में कांग्रेस ने यूपी की सहयोगी पार्टी समाजवादी पार्टी के साथ सीटें साझा करने को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई तो सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बीजेपी को हराने के लिए बड़े दिल के साथ ‘त्याग-परित्याग’ की दलील देते हुए चुनावी मैदान पूरी तरह से छोड़ दिया। इसके बाद सपा ने जम्मू कश्मीर के चुनाव पर अपना फोकस जमा लिया था। पार्टी थिंक टैंक को उम्मीद थी कि यूपी में मुस्लिम वोटरों पर मजबूत पकड़ रखने वाली पार्टी अपनी छवि के जरिए यहां की मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर बेहतर प्रदर्शन कर लेगी।
साइकिल के बजाए लैपटॉप चुनाव चिन्ह मिला तो भी पार्टी ने उसे अपने पक्ष में भुनाना चाहा
अखिलेश यादव ने हिंदी और उर्दू में 'जम्मू कश्मीर की आवाम से समाजवादी पार्टी के वादे' नाम से अपील जारी की थी। जिसमें अग्निवीर, राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे 16 मुद्दे शामिल किए थे। चूंकि सपा क्षेत्रीय दल है लिहाजा उसे चुनाव चिन्ह साइकिल नहीं मिला पर उसके प्रत्याशियों को 'लैपटॉप' चुनाव निशान आवंटित किया गया। पार्टी को ये चुनाव चिन्ह भी मुफीद लगा था क्योंकि यूपी में सपाई शासन के दौरान छात्रों को लैपटॉप देना अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट था। यूपी में 27 लाख से ज्यादा लैपटॉप वितरित किए गए थे। पार्टी रणनीतिकार जम्मू-कश्मीर में साइकिल निशान न मिलने से मायूस तो हुए पर उन्हें उम्मीद थी कि यहां लैपटॉप भी कारगर साबित होगा।
सैफई परिवार के भीतर मनमुटाव की झलक दिखी स्टार प्रचारकों की फेहरिस्त में
घाटी मे चुनाव प्रचार के लिए समाजवादी पार्टी की ओर से यूपी के कई नेताओं को अलग-अलग सीटों के चुनाव प्रबंधन की बागडोर सौंपी गई थी। यहां के स्टार चुनाव प्रचारकों की लिस्ट आई तब भी सवाल उठे थे। दरअसल, चुनाव आयोग को सौंपी गई सपा के स्टार प्रचारकों में पार्टी मुखिया अखिलेश यादव के साथ ही सपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा, सांसद अवधेश प्रसाद, धर्मेन्द्र यादव, इकरा हसन, प्रिया सरोज, हरेंद्र मलिक, पुष्पेंद्र सरोज, राज्यसभा सदस्य जावेद अली, विधायक कमाल अख्तर, विधान परिषद सदस्य जासमीर अंसारी, पूर्व विधान परिषद सदस्य उदयवीर सिंह, राष्ट्रीय सचिव रामआसरे विश्वकर्मा के नाम थे लेकिन इस सूची में शिवपाल सिंह यादव का नाम शामिल नहीं था। हालांकि पार्टी के नेताओं की दलील थी कि यूपी के उपचुनाव में सक्रिय होने की वजह से ही उनका नाम शामिल नहीं किया गया। वैसे सपा मुखिया अखिलेश यादव खुद भी कश्मीर पहुंचकर चुनाव प्रचार करने नहीं पहुंचे। बस संगठन के जिन पदाधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई थी वही, पार्टी के पक्ष में वोटरों को लामबंद करने की कोशिश करते रहे। हालांकि नतीजों ने जता दिया कि ये कोशिशें नाकाम ही साबित हुईं।
सपा ने जम्मू-कश्मीर की इन सीटों पर उतारे थे अपने प्रत्याशी
हजरतबल से शाहिद हसन, बडगाम से मकबूल शाह, बीरवाह से निसार अहमद डार, हब्बा कदल से मोहम्मद फारूक खान, ईदगाह से मेहराजुद्दीन अहमद। जबकि बारामूला से मंजूर अहमद, बांदीपोरा गुलाम मुस्तफा, वगूरा क्रीरी से अब्दुल गनी डार, करनाह से सजवाल शाह, पट्टन से वसीम गुलजार, कुपवाड़ा से सबीहा बेगम, गुलमर्ग से हिलाल अहमद मल्ला, रफियाबाद से ताहिर सलमानी, त्रेहगाम से साजाद खान, लोलाब से शादाब साहीन को प्रत्याशी बनाया गया। इनके साथ ही बिश्नाह से तरसीम खुल्लर, विजयपुर से इंद्रजीत, उधमपुर पश्चिम से साहिल मन्हास, चेनानी से गीता मन्हास और नगरोटा से सतपाल को चुनाव मैदान में उतारा था।
सोलह सीटों पर तो सपा प्रत्याशी पांच सौ का आंकड़ा तक न छू सके
जम्मू-कश्मीर में कश्मीर क्षेत्र में 15 और जम्मू की पांच सीटों सहित कुल बीस सीटों पर प्रत्याशी उतराने वाली समाजवादी पार्टी को 8,300 वोट हासिल हुए जो कुल वोटों का महज 0.14 फीसदी है। यहां ज्यादातर सीटों पर सपा के प्रत्याशी नोटा से भी कम वोट पाए। सभी प्रत्याशियो की जमानत जब्त हो गई। सोलह सीटों पर तो पांच सौ वोटों का आंकड़ा छूने में ही सपा प्रत्याशियों के पसीने छूट गए। ईदगाह, हब्बाकदल, नागरोटा में सपा प्रत्याशी डेढ़ सौ से भी कम वोट पर ही सिमट गए। पार्टी को सर्वाधिक 1695 वोट बांदीपोरा में मिले। जबकि वगूरा क्रीरी में सपा को 366, पट्टन में 326 रफीयाबाद में 396 वोट ही मिल सके।
पिछले चुनावों में भी घाटी में सपाई साइकिल की रफ्तार कमजोर ही हुई साबित
साल 2008 में तत्कालीन सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने तमाम उम्मीदों से घाटी के चुनाव मैदान में उतरने का फैसला लिया था। 36 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ी सपा को 24,194 वोट मिले थे जो कुल वोटों का 0.61 फीसदी था। न तो पार्टी को कोई सीट मिल सकी न ही कोई प्रत्याशी अपनी जमानत बचा सका। साल 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में कश्मीर की सात विधानसभा सीटों पर सपा को 4,985 वोट मिले थे जो कि कुल वोटों का 0.10 फीसदी था। इस चुनाव मे भी पार्टी का खाता नहीं खुल सका, न ही किसी प्रत्याशी की जमानत बच सकी।
बहरहाल, मंगलवार को आए जम्मू-कश्मीर के चुनावी नतीजों ने सपाई खेमे को मायूस कर दिया है। अब राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार पाने के लिए पार्टी रणनीतिकार महाराष्ट्र और झारखंड मे होने वाले विधानसभा चुनावों पर ही फोकस करेंगे।