Thursday 21st of November 2024

UP: कुंभ में अपनों से बिछड़ना बीते दिनों की बात, तकनीक के साथ नई कहानी लिखेगी योगी सरकार

Reported by: PTC News उत्तर प्रदेश Desk  |  Edited by: Rahul Rana  |  October 16th 2024 03:28 PM  |  Updated: October 16th 2024 03:28 PM

UP: कुंभ में अपनों से बिछड़ना बीते दिनों की बात, तकनीक के साथ नई कहानी लिखेगी योगी सरकार

ब्यूरो:  भारतीय सिनेमा में कुंभ मेला का जिक्र होते ही हमारे दिमाग में सबसे पहले वही क्लासिक कहानियां आती हैं, जहां भाई-भाई, मां-बेटा या प्रेमी-प्रेमिका भीड़ में एक-दूसरे से बिछड़ जाते थे। यह बिछड़ने का दृश्य बॉलीवुड की कई पुरानी फिल्मों में बड़े भावनात्मक मोड़ के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। योगी सरकार ‘फिल्मी महाकुंभ’ में लोगों के खोने और फिर सालों बाद मिलने की इस धारणा को तोड़ने की पूरी तैयारी कर ली है। अब कुंभ मेले में हर व्यक्ति का ध्यान रखा जाएगा, कोई भी अब अपनों से नहीं बिछड़ेगा और ऐसा हुआ भी तो वह जल्द से जल्द अपने परिवार से मिल सकेगा। 

प्रयागराज मेला प्राधिकरण और पुलिस विभाग ने मिलकर इस बार के महाकुंभ मेले में एक उच्च तकनीक से युक्त खोया-पाया पंजीकरण प्रणाली से तीर्थयात्रियों को सुरक्षित करेगा। यह नई पहल सुरक्षा, जिम्मेदारी और तकनीक का अद्भुत संगम है, जो महाकुंभ मेला को सुरक्षित और सुखद अनुभव बना देगी।

योगी सरकार की पहल अब उस ‘फिल्मी ड्रामे’ को हकीकत से दूर ले जाकर सुरक्षा और पुनर्मिलन की नई कहानी लिखने को तैयार है। कुंभ मेले में आने वाले करोड़ों तीर्थयात्रियों को अब भीड़ में खोने का डर नहीं रहेगा, क्योंकि सरकार की यह नई प्रणाली खोए हुए तीर्थयात्रियों को सुरक्षित और शीघ्र उनके परिजनों से मिलाने का भरोसा देगी। 

अब नहीं होंगे ‘कुंभ के मेले में बिछड़ने’ वाले दृश्य

भारतीय सिनेमा में कुंभ मेले की भीड़ से अलग हुए लोगों की कहानियां एक स्थायी कथानक रही हैं। फिल्मों में गंभीर संवाद हो या हास्य, कहीं न कहीं कुंभ मेले में बिछड़ने वाले डायलॉग सुनने को मिल ही जाते हैं। चाहे वो 1943 में आई फिल्म ‘तकदीर’ हो या 70 के दशक में आई फिल्म ‘मेला’। इनमें भाइयों का मेले में बिछड़ने की कहानी सिनेमा के पर्दे पर वर्षों तक दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी। इन कहानियों का मुख्य आधार यही था कि भीड़ में खो जाने के बाद, अपने प्रियजनों को खोज पाना लगभग असंभव होता था।

लेकिन अब इस हाई-टेक खोया-पाया केंद्र की बदौलत, महाकुंभ मेले में ऐसा ‘फिल्मी’ बिछड़ने वाला दृश्य शायद ही देखने को मिले। इन केंद्रों में खोए हुए व्यक्तियों का डिजिटल पंजीकरण होगा, जिससे उनके परिवार या मित्र आसानी से उन्हें खोज सकेंगे। साथ ही सभी लापता व्यक्तियों के लिए केंद्रों पर उद्घोषणा की जायेगी। पहले जहां एक मेला कई परिवारों के लिए बिछड़ने और असहाय खोज की दुखभरी गाथा लेकर आता था, अब वही मेला उनके पुनर्मिलन की एक नई कहानी लिखने जा रहा है।

तकनीक के साथ नई कहानी

महाकुंभ 2025 में शामिल होने वाले तीर्थयात्रियों के लिए सरकार ने ऐसे डिजिटल खोया-पाया केंद्रों की स्थापना करेगा जो खोए हुए व्यक्तियों को उनके परिजनों से मिलाने के लिए तकनीक का सहारा लेते हैं। इसमें हर खोए हुए व्यक्ति का पंजीकरण तुरंत किया जाएगा और उसकी जानकारी को अन्य केंद्रों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक और एक्स (पहले ट्वीटर) पर भी प्रसारित किया जाएगा। यह व्यवस्था महाकुंभ मेले को न केवल सुरक्षित बनाएगी, बल्कि परिवारों को जल्दी और आसानी से अपने प्रियजनों से जोड़ने का काम करेगी।

जहां फिल्मी कहानियों में खोए हुए व्यक्तियों को ढूंढने में सालों लग जाते थे, वहीं अब 12 घंटे के भीतर अगर कोई अपने खोए हुए सदस्य का दावा नहीं करता है, तो पुलिस हस्तक्षेप करके उन्हें सुरक्षित ठिकाने तक पहुंचाएगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी व्यक्ति लंबे समय तक खोया हुआ महसूस न करे, और वह जल्द से जल्द अपने परिवार से मिल सके।

तीर्थयात्रियों के लिए नई सुरक्षा व्यवस्था

पुरानी फिल्मों में, कुंभ मेले में बिछड़ने के बाद अक्सर परिवारों का मिलन संयोग पर आधारित होता था—किसी चमत्कार या किस्मत के भरोसे। लेकिन अब योगी सरकार की इस नई पहल के तहत हर खोए हुए व्यक्ति की पहचान और सुरक्षा की जिम्मेदारी खोया-पाया केंद्र और पुलिस की होगी।

खासतौर पर बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है। किसी भी वयस्क को बच्चे या महिला का दावा करने पर पहले उनकी पहचान की पुष्टि करनी होगी। अगर कोई संदेह होता है तो तत्काल पुलिस को सूचित किया जाएगा ताकि बच्चा या महिला सुरक्षित हाथों में जाए। यह व्यवस्था उन फिल्मी कहानियों को पूरी तरह बदल देती है, जहां खोए हुए बच्चे को गलत हाथों में सौंप दिया जाता था और उसके जीवन में नाटकीय बदलाव आते थे।

पहचान प्रमाणित करने पर ही प्रशासन सौंपेगा खोया व्यक्ति 

अब, जब कोई व्यक्ति कुंभ मेले में खोता है तो उसे सुरक्षित, व्यवस्थित और जिम्मेदार प्रणाली के तहत उसका ख्याल रखा जाएगा। किसी भी वयस्क को बच्चे या महिला को ले जाने से पहले सुनिश्चित करना होगा कि वह उसे पहचानते हैं और उनकी पहचान प्रमाणित है। इससे पहले की कहानियों में जहां बिछड़ने का दर्द और फिर मिलने की खुशी का एक लंबा सफर होता था, अब सरकार की इस पहल ने इस प्रक्रिया को सरल, तेज और सुरक्षित बना दिया है।

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