ब्यूरो: यूपी विधानसभा की नौ सीटों पर होने वाले उपचुनाव में अब मुकाबला बीजेपी-सपा और बीएसपी के दरमियान ही सिमट गया है, कांग्रेस चुनाव मैदान से बाहर है। सभी दलों ने अपने भविष्य के जातीय समीकरणों को साधने के लिहाज से ही प्रत्याशियों के नाम तय किए हैं। आगामी विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल के तौर पर आंके जाने वाले इस उपचुनाव में प्रत्याशियों के चयन में सियासी दलों ने जो रणनीति अपनाई है उससे उनकी आने वाले दिनों की दशा और दिशा तय होगी।
टिकट बांटते वक्त सपा सुप्रीमो ने पीडीए फार्मूले पर ही अमल किया, सवर्णों से पूरी तरह दूरी बनाई
उपचुनाव के प्रत्याशियों के नाम तय करने के लिए समाजवादी पार्टी ने अपने पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक वाले पीडीए फार्मूले को ही कसौटी बनाया। सपा के उम्मीदवारों की फेहरिस्त पर गौर करें तो इसमें एक बिंद, एक कुर्मी, एक यादव सहित तीन ओबीसी बिरादरी के उम्मीदवार हैं। दो जाटव प्रत्याशी हैं जबकि चार मुस्लिम बिरादरी के प्रत्याशियों को उतार कर सपा ने मुसलमान वोटरों को पार्टी में उनकी अहमियत बताने की कोशिश की है। एक वक्त हुआ करता था जब महिलाओं की कम भागीदारी के मुद्दे को लेकर सपाई खेमे पर सवाल उठा करते थे। पर इस उपचुनाव में सर्वाधिक पांच सीटें महिलाओं को देकर अखिलेश यादव ने संदेश देने की कोशिश की है कि समाजवादी पार्टी आधी आबादी को सबसे ज्यादा तरजीह देती है। सामान्य सीट गाजियाबाद से अनुसूचित जाति का प्रत्याशी उतार कर सपा मुखिया ने नया प्रयोग किया है। सपा का टिकट पाए सिंह राज जाटव बीएसपी के मंडल कोऑर्डिनेटर रहे थे। निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर पार्षद का चुनाव भी जीत चुके थे। टिकट का ऐलान होने से ऐन पहले ही सपा मे शामिल हुए थे।
अधिकांश सपा प्रत्याशी दिग्गज सपा नेताओं के परिजन हैं, कई दलबदलुओं को भी टिकट मिला है
करहल सीट से सपा का टिकट पाए तेजप्रताप यादव सैफई परिवार के सदस्य हैं। सीसामऊ से नसीम सोलंकी इसी सीट से विधायक रहे इरफान सोलंकी की पत्नी हैं। भदोही के पूर्व सांसद रमेश बिंद की पुत्री मिर्जापुर की मझवां सीट से सपा प्रत्याशी हैं। जबकि सपा सांसद लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट से चुनावी मैदान में हैं। मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट से सपा प्रत्याशी सुम्बुल राणा बड़े सियासी घराने का हिस्सा हैं। वह बीएसपी नेता रहे मुनकाद अली की बेटी और पूर्व सांसद कादिर राणा की बहू हैं। अलीगढ़ की खैर सीट से सपा की ओर से चुनावी मैदान में चारू कैन हैं। जो साल 2022 का विधानसभा चुनाव बसपा के टिकट से लड़ीं पर हार गई थीं। ये पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष चौधरी तेजवीर सिंह गुड्डू की बहू हैं। कुंदरकी से सपा का टिकट पाए हाजी मोहम्मद रिजवान ने साल 2022 का विधानसभा बीएसपी प्रत्याशी के तौर पर लड़ा था पर तीसरे पायदान पर रह गए थे हालांकि इससे पहले साल 2002. 2012 और 2017 में वह सपा विधायक रहे थे।
बीजेपी ने पिछड़े और दलितों को तरजीह देने के साथ ही सवर्ण वोटरों को भी सहेजने की कोशिश की
सपा के पीडीए के मुकाबले के लिए बीजेपी ने जो कंबीनेशन तैयार किया है उसमें भी पीडीए ही है बस फर्क इतना ही कि सपा के फार्मूले में ‘ए’ का अर्थ अल्पसंख्यक है जबकि बीजेपी का ‘ए’ अगड़ों की भागीदारी का सूचक है। बीजेपी के आठ उम्मीदवारों में चार ओबीसी बिरादरी के हैं। जिनमें एक मौर्य, एक कुर्मी, एक निषाद और एक यादव प्रत्याशी है। जबकि अनुसूचित जाति का एक प्रत्याशी है दो ब्राह्मण और एक क्षत्रिय बिरादरी के चेहरे पर बीजेपी ने दांव लगाया है। वहीं, एनडीए की सहयोगी रालोद ने अपने हिस्से में आई मीरापुर सीट से ओबीसी कार्ड चलते हुए पूर्व विधायक मिथलेश पाल को चुनावी मैदान में उतारा है। मिथलेश पाल सपा से बीजेपी में आई थीं, अब रालोद उम्मीदवार हैं। मैनपुरी की करहल सीट पर बीजेपी ने सपा सांसद धर्मेन्द्र यादव के बहनोई अनुजेश यादव को टिकट दिया है। मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव पहले से ही बीजेपी में शामिल तो अब अनुजेश को टिकट देकर बीजेपी सैफई परिवार में अपनी पैठ का संदेश देना चाहती है। साथ ही यादव बिरादरी को भी जोड़ने का संदेश देने की भी कोशिश की गई है। हालांकि अनुजेश यादव को टिकट देने पर सपा मुखिया अखिलेश यादव तल्खी से भरे नजर आए। वह सार्वजनिक तौर से तंज कसने से नहीं चूके कि बीजेपी जब हारने लगती है तो नई तिकड़म लगाती है। बीजेपी तो परिवारवाद के खिलाफ थी, परंतु यह लोग रिश्तेदार वादी निकले।
बीएसपी ने टिकट वितरण में अपने सर्वजन फार्मूले पर फोकस किया
मायावती ने उपचुनाव के टिकट देते समय ओबीसी, दलित, सवर्ण और मुस्लिम वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित करने का प्रयास किया। पार्टी ने दो प्रत्याशी ओबीसी बिरादरी से तय किए। इनमें अंबेडकरनगर की कटहेरी सीट से अमित वर्मा, करहल से डा अवनीश शाक्य शामिल हैं। प्रयागराज की फूलपुर सीट से पूर्व में घोषित शिवबरन पासी का टिकट काटकर क्षत्रिय बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले जितेंद्र कुमार सिंह पर बीएसपी ने भरोसा जताया है। गाजियाबाद में वैश्य बिरादरी के परमानंद गर्ग को टिकट दिया। मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट से शाहनजर, कुंदरकी से रफत उल्ला उर्फ नेता छिद्दा के जरिए दो मुस्लिम चेहरों को मैदान मे उतारा है। बीएसपी ने ब्राह्णण बिरादरी के दो प्रत्याशी उतारे हैं। इनमें सीसामऊ सीट से वीरेन्द्र शुक्ला, मीरजापुर की मझवां से दीपक तिवारी शामिल हैं। खैर सुरक्षित सीट से डा पहल सिंह को चुनावी मैदान में उतारा गया है।
जनता तय करेगी कि जातीय दांव पेंचों के जरिए चुनावी वैतरणी कौन करेगा पार
सपा ने पिछड़े और दलित बिरादरी के साथ मुस्लिम वर्ग को साधने पर ही जोर दिया है। पार्टी ने फिलहाल उपचुनाव में बताने की कोशिश की है कि उसके पीडीए मे सवर्ण बिरादरी के लिए स्पेस नहीं है। वहीं, आम चुनाव में जातीय समीकरण गड़बड़ाने से मिले झटके के बाद बीजेपी इस बार खास एहतियात बरतते नजर आई। काडर कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने का जतन किया गया तो भगवा खेमे ने हिंदुओं की सभी जातियों को साथ लेकर चलने का संदेश देने की कोशिश की है। अमूमन उपचुनाव से किनारा कसने वाली बीएसपी इस बार मुस्तैदी से चुनावी मैदान में है। अपने सर्वजन फार्मूले को फिर से आजमा कर मायावती की पार्टी सियासी हाशिए से उबरने की कवायद कर रही है। जाहिर है सपा-बीएसपी हो या बीजेपी सभी दलों ने प्रत्याशी तय करते वक्त जातीय समीकरणों को भरपूर तवज्जो दी है। अब जनता किसके फार्मूले पर मुहर लगाएगी किसकी रणनीति को सफल बनाएगी सभी की निगाहें इसी ओर लगी हैं।