ब्यूरो: CM Yogi Cabinet: यूपी में हालिया संपन्न उपचुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद अब योगी 2.0 सरकार के मंत्रिमंडल के विस्तार के बाबत चर्चाओं ने तेजी पकड़ ली है। चूंकि जल्द ही बीजेपी में सांगठनिक स्तर पर व्यापक फेरबदल होने वाला है लिहाजा संगठन से जुड़े कद्दावर चेहरों को सरकार का हिस्सा बनने का मौका मिलेगा। दरअसल, यूपी में साल 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी सरकार और संगठन अपने कील कांटे दुरुस्त करने की मुहिम में जुट गए हैं। पार्टी रणनीतिकार मंत्रिमंडल विस्तार के जरिए भविष्य की चुनावी चुनौतियों के लिहाज से कई समीकरणों को साधने पर फोकस कर रहे हैं।
संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार योगी सरकार में मंत्रियों के लिए अभी चार पद और बचे हैं
योगी मंत्रिमंडल में इस वक्त मुख्यमंत्री, दो डिप्टी सीएम सहित कुल 56 मंत्री हैं। जिनमें 22 कैबिनेट मंत्री हैं। तो 14 राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और 20 राज्य मंत्री शामिल हैं। लोकसभा चुनाव में योगी सरकार में शामिल दो मंत्री जितिन प्रसाद और अनूप प्रधान चुनाव जीतकर सांसद बन गए। संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार किसी विधानसभा में विधायकों की कुल संख्या के 15 फीसदी मंत्री बनाए जा सकते हैं। चूंकि उत्तर प्रदेश विधानसभा में सदस्य संख्या 403 है। ऐसे में यहां मुख्यमंत्री सहित 60 मंत्री बनाए जा सकते हैं। लिहाजा अभी भी मंत्रिमंडल में चार जगह बची हुई हैं। अब इन्हीं को भरे जाने को लेकर कयास लगने लगे हैं।
इसी साल की शुरुआत में हुआ था योगी 2.0 सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार
बीते साल जुलाई महीने में ओमप्रकाश राजभर के नेतृत्व वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और सपा विधायक दारा सिंह चौहान के एनडीए में शामिल होने के बाद ही मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें लगने लगी थीं। हालांकि तमाम वजहों से इस प्रक्रिया में देरी हुई। पर लोकसभा चुनाव से ऐन पहले 5 मार्च, 2024 को मंत्रिमंडल विस्तार को अंजाम दिया गया। ओमप्रकाश राजभर, बीजेपी के विधान परिषद सदस्य व पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान, राष्ट्रीय लोकदल के विधायक अनिल कुमार और साहिबाबाद से सर्वाधिक मतों से जीतने वाले विधायक सुनील शर्मा को कैबिनेट मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। चूंकि अपना दल एस व निषाद पार्टी पहले से ही मंत्रिमंडल में शामिल थे। इस विस्तार के जरिए एनडीए के सहयोगी दलों सुभासपा व रालोद को भी मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी मिल गई। दरअसल, इस मंत्रिमंडल विस्तार के पीछे मंशा थी कि इससे जातीय-सामाजिक व क्षेत्रीय संतुलन सधेंगे और बीजेपी को चुनाव में बेहतर नतीजे पाने में मदद मिलेगी। पर चुनावी नतीजों से जाहिर हो गया कि इस कवायद का कोई लाभ सत्तारूढ़ दल को नहीं मिल सका।
योगी मंत्रिमंडल में जातीय समीकरणों को ख्याल रखा गया तो अब क्षेत्रीय संतुलन साधने की है दरकार
यूपी की योगी सरकार के मंत्रिमंडल को जातीय-सामाजिक नजरिए से परखा जाए तो इसमें बीजेपी के जातीय-सामाजिक समीकरणों का अक्स साफ नजर आता है। मंत्रिमंडल सर्वाधिक 23 सदस्य ओबीसी बिरादरियों से ताल्लुक रखते हैं। इनमें सभी प्रमुख ओबीसी वर्गों को प्रतिनिधित्व दिया गया है। इन ओबीसी मंत्रियों में 4 कुर्मी, 3 जाट, 2 राजभर, 2 निषाद, 2 लोधी, एक गुर्जर, एक प्रजापति, एक सैनी, एक कश्यप, एक पाल, एक मौर्य, एक यादव, एक तेली और नोनिया चौहान समाज से हैं। जबकि मंत्रिमंडल के 22 सदस्य सामान्य वर्ग से हैं। जिनमें 8 ब्राह्मण, 7 क्षत्रिय, 3 वैश्य, 2 भूमिहार, एक खत्री और एक कायस्थ बिरादरी से है। वहीं, 9 मंत्री अनुसूचित जाति व एक मंत्री अनुसूचित जनजाति से जुड़े हैं। जिनमें 4 जाटव, एक कोरी, एक खटीक, एक पासी, एक धोबी और एक वाल्मीकि समाज से ताल्लुक रखने वाले मंत्री हैं। पांच महिला विधायक बतौर मंत्री जिम्मेदारी संभाल रही हैं। जाहिर है योगी कैबिनेट में जातीय गुलदस्ते को कई आयामों को ध्यान में रखते हुए सजाया गया है। उपचुनाव वाली नौ सीटें सूबे के पश्चिम से लेकर पूर्वांचल तक जुड़ी हुई थीं। अब इन पर बेहतर नतीजे लाने के बाद संबंधित सीटों के निवासियों की क्षेत्रीय आकांक्षाएं भी बढ़ गई हैं। लिहाजा मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय संतुलन साधने का दबाव भी बढ़ गया है।
समीकरण व जरूरत के पैमाने के मुताबिक कई दिग्गज मंत्री बनने की रेस में हैं शामिल
कुंदरकी-कटेहरी सरीखी कठिन माने जा रही सीटों पर जीतने वाले विधायक मंत्री बनने की रेस में शामिल हैं। तो फूलपुर जीत के बाद प्रयागराज के कई नेताओं में मंत्री पद पाने की हसरत जग गई हैं। अभी तक इस क्षेत्र से डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और नंद गोपाल गुप्ता नंदी ही सरकार का हिस्सा हैं। अब यहां से दीपक पटेल, पीयूष रंजन निषाद, राजमणि कोल और गुरु प्रसाद मौर्य की दावेदारी मजबूत हो गई है। तो पूर्व मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह और हर्षवर्धन बाजपेयी भी मौका पाने की आस में हैं। मंत्री बनने वाले चेहरों की रेस में अनुजेश यादव भी शामिल हैं। जो करहल सीट से चुनाव हार भले गए हों लेकिन जिनकी उम्मीदवारी ने सैफई परिवार के इस गढ़ में सपा की जीत का मार्जिन घटा दिया। पिछली बार अखिलेश यादव ने ये सीट 67504 वोटों के अंतर से जीती थी पर इस बार ये अंतर 14 हजार वोटों तक सिमट गया। सूत्रों के मुताबिक अनुजेश यादव को मंत्री पद देकर उनके कद में इजाफा करके बीजेपी यादव वोटरों को बड़ा संदेश दे सकती है। वहीं, उपचुनाव लड़ने की इच्छुक निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद अब मंत्रिमंडल में एक और जगह पाने के ख्वाहिशमंद हैं। तो रालोद और सुभासपा भी मंत्रिमंडल में अपना कोटा बढ़वाने की पेशबंदी कर रहे हैं।
बीजेपी संगठन में जारी चुनावी प्रक्रिया के बाद कुछ दिग्गज चेहरे बन सकते हैं मंत्रिमंडल का हिस्सा
मौजूदा वक्त में बीजेपी में सांगठनिक चुनाव की प्रक्रिया तेज गति से जारी है। पार्टी में बूथ अध्यक्षों और बूथ कमेटियों के चुनाव हो रहे हैं। बूथों के गठन के बाद दिसंबर के पहले हफ्ते में मंडल के चुनाव होने हैं। इसके बाद जिला स्तर पर चुनाव होंगे। फिर प्रदेश स्तर पर संगठन में बदलाव किया जाएगा। माना जा रहा है कि सरकार में शामिल कुछ चेहरे वापस संगठन में भेजे जा सकते हैं। जबकि संगठन के कुछ दिग्गज चेहरे सरकार का हिस्सा बन सकते हैं। ऐसे संभावित चेहरों की फेहरिस्त में सबसे अव्वल पायदान पर भूपेन्द्र चौधरी का नाम शामिल है। चौधरी प्रदेश अध्यक्ष के पद पर तैनाती से पहले योगी मंत्रिमंडल का हिस्सा रह चुके हैं। अब उनका कार्यकाल खत्म होने वाला है ऐसे में उनके दोबारा मंत्री बनने को लेकर चर्चा होने लगी है।
सियासी विश्लेषक मानते हैं कि चूंकि बीजेपी अब मिशन-2027 की तैयारियों के मोड में आ चुकी है। उपचुनाव के नतीजों ने हताश पार्टी कैडर में उत्साह का संचार कर दिया है। ऐसे में पार्टी थिंक टैंक की निगाहें अब सांगठनिक परिवर्तन के साथ ही सरकार के फेरबदल की ओर भी टिक गई हैं। पार्टी रणनीतिकारों की कोशिश रहेगी कि उसकी नीतियों-आकांक्षाओं व अपेक्षाओं के अनुरुप ही आगे कदम बढ़ाए जाएं। चुनावी चुनौतियों के मद्देनजर तमाम जातीय-सामाजिक व क्षेत्रीय पहलुओं को परख करके ही कई चेहरे मंत्रिमंडल में जोड़े या हटाए जा सकते हैं।