वाराणसी: फिल्में, सिनेमा सबसे ज्यादा युवाओं पर असर डालती हैं. वहीं अच्छी फिल्में युवाओं को प्रेरित भी करती है और जीवन की राह भी दिखाने का दम रखती हैं. इसी तरह से आमिर खान की सूपर हिट फिल्म दंगल ने वाराणसी की लड़कियों की जिंदगी बदल दी है.
फिल्म के बाद लड़कियों के लिए खुले उम्मीद के दरवाजे
दरअसल, इस फिल्म के बाद वाराणसी के 450 साल पुराने अखाड़े को लड़कियों के लिए खोल दिया गया है. पहले इस अखाड़े में लड़कियों को एंट्री नहीं मिलती थी, लेकिन फिल्म के बाद लड़कियों को अखाड़े में एंट्री मिली और उन्होंने भी मिट्टी में अपना पसीना बहाया और कुश्ती के अखाड़े में लड़कों को चित किया. इस फैसले का परिणास ये निकला की 6 साल में आधा दर्जन से अधिक लड़कियों ने यहां प्रैक्टिस कर नेशनल और स्टेट लेवल में कई मेडल जीते है.
पुरुषों के साथ प्रैक्टिस करती है महिलाएं
इस अखाड़े में आज हर रोज पुरुष पहलवानों के साथ महिला पहलवान भी प्रैक्टिस करती है. कशिश यादव ने यही कुश्ती के दांव-पेंच सीख नेशनल में मेडल हासिल किया है. कशिश के अलावा पलक, आस्था सहित अन्य महिला पहलवानों ने भी यहां प्रैक्टिस कर मेडल जीते हैं. बता दें, गोस्वामी तुलसीदास ने इस अखाड़े की स्थापना की थी.
खिलाड़ी ने साझा किया अनुभव
खिलाड़ी कशिश यादव ने बताया कि पहले जब उन्होंने इस अखाड़े में प्रैक्टिस शुरू की थी तब सब उनका मजाक उड़ाते थे, लेकिन आज मेडल जीतने के बाद सभी वाहवाही करते हैं. बताया जाता है कि 6 साल पहले संकट मोचन मंदिर के महंत विशम्भर नाथ मिश्र की पहल के बाद महिलाओं को यहां एंट्री मिली थी और तभी से महिलाएं यहां कुश्ती लड़ रही हैं.