गोरखपुर: भारत को स्वच्छ बनाने के लिए सरकार लगातार लोगों को प्रेरित करती रहती है. वहीं भारत को स्वच्छ बनाने के लिए कई संस्थाएं और लोग आगे भी आए हैं. इन्हें में से एक हैं गोरखपुर के महेश शुक्ला. जिनका कहना है कि झाड़ू लगाना उनका पैशन है. इसलिए झाड़ू बाबा भी कहा जाता है.
क्या है गोरखपुर के झाड़ू बाबा की कहानी?
महेश शुक्ला मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर के रहने वाले हैं. साल 2008 से महेश ने अपने अभियान की शुरुआत की और अब 365 दिन ये सुबह कहीं न कहीं झाड़ू लगाते मिल जाते हैं. महेश शुक्ला की शाही मार्केट गोलघर में कंप्यूटर की दुकान है.
झाड़ू लगाने के लिए कैसे हुए प्रेरित?
महेश शुक्ला का कहना है कि वो गोरखनाथ मंदिर जाते हैं. वहां वो मंदिर के विस्तृत परिसर की बेहतरीन सफाई से बेहद प्रभावित हुए. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिबद्धता ने उन्हें स्वच्छता के लिए प्रेरित किया. जिसके बाद उन्होंने सबसे पहले अपनी गली की सफाई करने की ठानी. उन्होंने बताया कि
मैं जिस गली में रहता हूं वहां करीब 30-40 घर हैं और मेरे घर के बाजू में एक बिजली का पोल है. पूरी गली का कूड़ा लोग वहीं जमा कर देते थे. जिसके बाद भोजन की तलाश में जानवर उसे और बिखेर देते थे. जिससे की बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता था. लोगों को मना करने पर भी लोग मानते नहीं थे और विवाद की स्थिति पैदा हो जाती थी.
जिसके बाद उन्होंने घर के बाहर साफ सफाई करने का जिम्मा खुद उठाया, लेकिन झिझक होने के चलते देर रात और अल सुबह सफाई करना शुरू किया. फिर भी लोगों को पता चल गया और करीब 50 फीसद लोगों ने पोल के पास कूड़ा फेंकना बंद कर दिया. इससे उनका हौसला बढ़ गया.
गली में सुधार के बाद पार्क का रुख
गली साफ रहने लगी को उन्होंने मुख्य सड़क और पार्कों का रुख करना शुरू कर दिया. इसके बाद 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने. उन्होंने स्वच्छता अभियान शुरू किया. प्रतीकात्मक रूप से ही सही खुद कई जगह झाड़ू लगाते और सफाई करते दिखे. इसके बाद महेश शुक्ला की झिझक बिल्कुल खत्म हो गई और लोग भी महेश शुक्ला के काम की चर्चा करने लगे.
फिर जोरो शोरों से शुरू हुआ सफाई अभियान
झिझक दूर होने के बाद ड्रेस, ग्लव्स, कैप और लोगों से साथ देने की अपील के लिए एक माइक सिस्टम भी खरीदा और लगातार 6 महीने तक तय समय पर झाड़ू लगाने पहुंचा जाता. जिसके बाद लोगों ने भी सपोर्ट किया. अब महेश रविवार और गुरुवार को निर्धारित स्थान और बाकी दिन चिन्हित जगहों पर झाड़ू लगते हैं. इसके अलावा उनकी कार में झाड़ू और बाकी किट पड़ी रहती है. उनकी दिनचर्या झाड़ू से ही शुरू होती है. यही नहीं सफाई के लिहाज से वो श्रेष्ठतम शहरों में शुमार इंदौर का भी दौरा कर चुके हैं.
यहीं नहीं मुकेश शुक्ला को कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है. उनका लक्ष्य है कि उनका शहर भी इंदौर जैसा साफ-सुथरा बने.