Wednesday 29th of January 2025

आईएएस-आईपीएस नौकरी: मोहभंग का सिलसिला!

Reported by: Gyanendra Kumar Shukla  |  Edited by: Md Saif  |  January 27th 2025 01:42 PM  |  Updated: January 27th 2025 01:42 PM

आईएएस-आईपीएस नौकरी: मोहभंग का सिलसिला!

ब्यूरो: UP: यूपी में एक महीने के भीतर एक आईएएस और एक आईपीएस अफसर की वीआरएस की अर्जी मंजूर हो गई। पिछले साल के आखिरी हफ्ते में आईएएस रविन्द्र पाल सिंह के वीआरएस को हरी झंडी मिली थी तो अब साल 2008 बैच की यूपी कैडर की आईपीएस अलंकृता सिंह ने भी पुलिस सेवा को अलविदा कह दिया है। उनकी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की गुजारिश को सरकार ने मंजूरी दे दी है। जिस तरह से उच्च पदस्थ प्रशासनिक सेवाओं से अफसरों का मोहभंग हो रहा है उसने कई गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए हैं।

   

बिना मंजूरी विदेश जाने की वजह से सेवा से निलंबित कर दी गई थीं अलंकृता सिंह

जमशेदपुर (झारखंड) की निवासी अलंकृता सिंह की अंतिम तैनाती एसपी महिला व बाल सुरक्षा संगठन (1090) के पद पर हुई थी। उसी दौरान वह बिना विभागीय अनुमति के विदेश चली गईं। 19 अक्टूबर, 2021 की रात महिला व बाल सुरक्षा संगठन एडीजी को व्हाट्सएप कॉल कर जानकारी दी कि वह लंदन में हैं। बिना किसी प्रकार का अवकाश स्वीकृत हुए कार्यस्थल से अनुपस्थित रहने और बिना शासकीय अनुमति के विदेश यात्रा पर जाने के आरोप में उन्हें अप्रैल, 2022 में निलंबित कर दिया गया था। बीते दिनों उन्होंने अपना त्यागपत्र भेजा था, जिले योगी सरकार ने मंजूर कर लिया है। अब उनकी पत्रावली गृह मंत्रालय भेजी जाएगी। उनके त्यागपत्र पर राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद उनकी सेवाएं भारतीय पुलिस सेवा से समाप्त हो जाएंगी।

   

कई अहम पदों पर रहीं अलंकृता सिंह के आईएएस पति ने भी प्रशासनिक सेवा से किनारा कस लिया था

अलंकृता सिंह एसपी सुल्तानपुर सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर तैनात रहीं। 2017 में वह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गई थीं। तब 16 मार्च 2017 को उन्हें मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन में उप निदेशक के पद पर तैनाती मिली थी। 25 अप्रैल 2021 तक इस पद पर रहने के बाद उन्हें मूल कैडर यूपी में वापस भेज दिया गया था। इनके पति विद्या भूषण भी साल 2008 के यूपी कैडर के आईएएस अफसर थे। अमेठी, प्रतापगढ़ और इटावा सहित कई जिलों में डीएम के पद पर रहे। बाद में वाराणसी में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के एमडी बने। इसी तैनाती के दौरान उन्होंने वीआरएस के लिए आवेदन किया, जिसे मार्च, 2023 में मंजूरी मिल गई। इसके बाद वह लंदन चले गए। अलंकृता सिंह भी अपने पति के साथ ही लंदन में रह रही हैं। दोनों एक विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।

पिछले साल दिसंबर में आईएएस रविन्द्र पाल सिंह ने नौकरी से नाता तोड़ लिया था

26 दिसंबर, 2024 को यूपी सरकार ने साल 2014 बैच के आईएएस अधिकारी रविन्द्र पाल सिंह के वीआरएस पर मुहर लगा दी थी। विशेष सचिव भाषा के पद पर कार्यरत रविन्द्र पाल सिंह पीसीएस से प्रोन्नत होकर 13 अक्टूबर, 2021 को आईएएस बने थे। पहले उन्हें 2015 का बैच आवंटित हुआ था। लेकिन बाद में हाईकोर्ट के आदेश के बाद स्टेट कोटे के जिन सात अफसरों को 2014 बैच मिला था उनमें वह भी शामिल थे। उनकी सेवावधि 2035 तक थी। उनकी पत्नी निधि श्रीवास्तव भी साल 2014 की आईएएस अफसर हैं। सिंह ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देकर वीआरएस की अर्जी दी थी। केंद्र के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) से अनुमति मिलने के बाद प्रदेश सरकार ने इसे मंजूर करते हुए अधिसूचना जारी कर दी।

 

सूबे में नौकरशाहों के नौकरी से मोहभंग होने का सिलसिला लगातार जारी

पिछले साल 19 जून को यूपी कैडर के साल 1995 बैच के आईएएस अफसर मोहम्मद मुस्तफा ने वीआरएस लेकर नौकरशाही से किनारा कस लिया था। वह साल 2020 में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस यूपी आए थे। श्रम विभाग में कमिश्नर बने फिर सितंबर, 2021 में प्रमुख सचिव सार्वजनिक उद्यम के पद पर तैनाती मिली। तीन वर्ष यहां सेवा करने के बाद नौकरी से मन उचाट हो गया। बीते कुछ वर्षों में आधा दर्जन से अधिक आईएएस अफसर नौकरी छोड़ चुके हैं। ऐसे अफसरों की फेहरिस्त में सबसे सीनियर रही हैं, 1987 बैच की आईएएस रेणुका कुमार, 1988 बैच की जुथिका पाटणकर। 2003 बैच के विकास गोठलवाल, 2003 बैच के आईएएस रिग्जियान सैंफिल और 2008 बैच के आईएएस विद्या भूषण ने उच्च पदस्थ सरकारी नौकरी से नाता तोड़ लिया। साल 2005 बैच के आईएएस जी श्रीनिवासुलु भी वीआरएस का आवेदन भेज चुके हैं। वित्त विभाग व राजस्व विभाग में विशेष सचिव के पद पर तैनात रह चुके हैं। साल  2016 से 2020 तक इंटर कैडर डेप्यूटेशन में आंध्र-प्रदेश में भी रहे। अभी सचिव कार्यक्रम एवं कार्यान्वयन विभाग के पद पर आसीन हैं।

 

फिल्मी दुनिया और सियासत की पारी में उतरने वाले आईएएस का मामला है दिलचस्प

अभिषेक सिहं साल 2011 बैच के आईएएस अफसर हुआ करते थे। इनकी पत्नी दुर्गा शक्ति नागपाल साल 2008 बैच की आईएएस अफसर हैं। पांच साल पहले अभिषेक ने मशहूर गायक बी प्राक के जरिए ग्लैमर जगत में प्रवेश किया। जुबिन नौटियाल के एल्बम, वेब सीरीज दिल्ली क्राइम सीजन-2, शॉर्ट मूवी चार पंद्रह, सिंगर हार्डी संधू, सनी लियोनी के एल्बम में नजर आए। गुजरात विधानसभा चुनाव में बतौर प्रेक्षक भेजे गए तो चश्मा लगाए फोटो वायरल हुआ। जिसके बाद निर्वाचन आयोग ने ड्यूटी से हटा दिया, निलंबित कर दिए गए। अक्टूबर, 2023 में इन्होंने आईएएस की नौकरी से इस्तीफा देकर जौनपुर संसदीय क्षेत्र में सक्रिय हो गए। क्षेत्र की जनता के लिए अयोध्या तक मुफ्त बस यात्रा का ऐलान किया तो कई सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजन कर डाले। पर चुनाव में टिकट नहीं मिला तो नौकरी में वापसी की कवायद की। पर इनके इस्तीफे को सरकार ने मंजूरी देकर इनकी सेवाएं समाप्त कर दीं।

सीएम योगी के पसंदीदा अफसर ने आईएएस की नौकरी छोड़ी, राज्य निर्वाचन आयुक्त का ओहदा मिला 

नौकरशाह रहे राज प्रताप सिंह पिछले साल 6 मार्च को राज्य निर्वाचन आयुक्त बनाए गए थे। साल 1983 बैच के आईएएस सिंह अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में पीएमओ में तैनात रहे थे। यूपी में कृषि उत्पादन आयुक्त, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा, अपर मुख्य सचिव खनन रहे। विद्युत नियामक आयोग में चेयरमैन, विश्व बैंक में सलाहकार भी रहे। सरकारी नौकरी से उकता कर 30 जून, 2018 को वीआरएस ले लिया था।

   

आईएएस से मोहभंग होने का सिलसिला है पुराना, ऐसे अफसरों की लंबी है फेहरिस्त

एक दौर में यूपी के चर्चित अफसर हुआ करते थे राजीव अग्रवाल। 1993 बैच के आईएएस अग्रवाल मुजफ्फरनगर के डीएम रहे, लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के पद पर भी कार्यरत रहे। फिर इन्होंने आईएएस की नौकरी से नाता तोड़कर कारपोरेट जगत का दामन थाम लिया। उबर कंपनी में पब्लिक पॉलिसी हेड बने फिर फेसबुक के भारत में पब्लिक पॉलिसी निदेशक बने। कानपुर के पुलिस कमिश्नर के पद पर रहे आईपीएस अफसर असीम अरुण  नौकरी छोड़कर सियासत में उतर गए। योगी सरकार में समाज कल्याण मंत्री हैं। प्रवर्तन निदेशालय में डिप्टी डायरेक्टर रहे राजेश्वर सिंह नौकरी छोड़कर बीजेपी विधायक बन गए। गुजरात कैडर के आईएएस रहे ए के शर्मा ने नौकरी से किनारा कसा और अब यूपी में कैबिनेट मंत्री हैं।

 

केंद्रीय सेवाओं के अफसरों के वीआरएस लेने की प्रक्रिया समझते हैं

यूपी कैडर में आईएएस के कुल 621 पद हैं।  जिनमे से 433 पदों पर सीधी भर्ती के अफसर हैं।  स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति यानी वीआरएस लेने वाले अफसरों की बड़ी तादाद सीधी भर्ती वाले अफसरों की ही है। अखिल भारतीय सेवाओं यानी आईएएस, आईपीएस और आईएफएस से संबंधित किसी अफसर का इस्तीफा अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति लाभ) नियम, 1958 के नियम 5(1) और 5(1)(ए) द्वारा अमल में लाया जाता है। आईएएस के संबंध में केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) और आईपीएस के संबंध में गृह मंत्रालय निर्णय लेते हैं।  नियमों के मुताबिक वीआरएस आवेदन करने के बाद मंजूरी मिलने में  चार महीने या अधिक का समय लग जाता है। इसके लिए संबंधित अफसर के बावत कई विभागों से एनओसी मांगी जाती है। सारी क्लीयरेंस के मिलने के ही बाद वीआरएस को हरी झंडी मिल पाती है।

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