Lucknow: किसान अच्छी तरह जानते हैं कि "खेत का पानी खेत में" रखना कितना जरूरी है। इसका मकसद है खेत में लंबे समय तक नमी बनाए रखना, तेज बारिश में उपजाऊ मिट्टी का कटाव रोकना, और खेती के बाद बचे पानी को भूजल के रूप में संरक्षित कर तालाबों, कुओं और पोखरों का जलस्तर बनाए रखना। यही इस कहावत का मूल मंत्र है।
खेत का पानी संरक्षित करने के लिए मौसम के अनुसार कुछ जरूरी कृषि कार्य किए जाते हैं। इनमें खेत की मजबूत मेड़बंदी, गर्मियों में गहरी जुताई और खेत का समतलीकरण शामिल हैं। महाकवि घाघ ने कहा था, "जितना गहरा जोतें खेत, उतना अच्छा फल देत बीज।" मेड़बंदी और गहरी जुताई के बाद समतलीकरण सबसे महत्वपूर्ण है, जिसे अक्सर किसान नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन 'लेजर लैंड लेवलर' जैसी आधुनिक मशीन ने इस काम को आसान और प्रभावी बना दिया है।
योगी सरकार इस मशीन पर 50% या अधिकतम दो लाख रुपये तक की सब्सिडी दे रही है। साथ ही, रबी और खरीफ मौसम में आयोजित होने वाली गोष्ठियों और कृषि कार्यक्रमों में विशेषज्ञ किसानों को इसके फायदे समझा रहे हैं। इस मशीन से समतल किया गया खेत फुटबॉल के मैदान जैसा एकसमान हो जाता है। इससे सिंचाई में आधा पानी खर्च होता है, मेड़ों और नालियों की संख्या कम होने से खेत का क्षेत्रफल 3-6% तक बढ़ जाता है। आधुनिक कृषि यंत्रों (जैसे सीड ड्रिल, रेज्ड बेड) का उपयोग आसान होने से कम लागत में फसल की पैदावार बढ़ती है। उदाहरण के लिए, धान की उपज 61%, गन्ना और गेहूं की उपज क्रमशः 40% तक बढ़ सकती है।
लेजर लैंड लेवलर कैसे काम करता है?
यह मशीन जीपीएस तकनीक से संचालित होती है। इसमें लगी लेजर बीम ट्रैक्टर के उपकरण तक पहुंचती है, जिससे चालक को खेत की ऊंचाई-निचाई का पता चलता है। ट्रैक्टर के पीछे लगा बकेट ऊंची जगह से मिट्टी हटाकर निचली जगहों को भरता है। प्रगतिशील किसान राममणि पांडेय बताते हैं कि मशीन को सही तरीके से सेट करना सबसे जरूरी है। एक बार खेत का चक्कर लगाने के बाद चालक को ऊंची-निचली जगहों का अंदाजा हो जाता है, फिर मिट्टी को समतल करना आसान हो जाता है।
समतल खेत के फायदे:
कम पानी, ज्यादा नमी: समतल खेत में कम समय और पानी में एकसमान सिंचाई होती है, जिससे बीज एक साथ अंकुरित होते हैं और फसल एकसमान पकती है।
आसान बुआई: जीरो सीड ड्रिल और रेज्ड बेड से लाइन में बुआई आसान होती है, जिससे कीट, रोग और खरपतवार नियंत्रण में सुविधा होती है।
संसाधन बचत: धान-गेहूं के 20 लाख हेक्टेयर खेतों को इस तकनीक से समतल करने पर तीन साल में 15 मिलियन हेक्टेयर पानी, 20,000 लाख लीटर डीजल और 500 किलो ग्रीनहाउस गैस की बचत हो सकती है।
एकसमान पौधों का विकास:
यूरिया का बेहतर उपयोग किसानों की पसंदीदा खाद यूरिया सस्ती और प्रभावी है, लेकिन असमतल खेत में यह निचली जगहों की ओर बह जाती है, जिससे पौधों को एकसमान पोषण नहीं मिलता। समतल खेत में यूरिया और अन्य पोषक तत्व पूरे खेत में बराबर बंटते हैं, जिससे पौधों का विकास एकसमान होता है।
गंगा के मैदानी क्षेत्रों के लिए वरदान:
उत्तर प्रदेश में गंगा का सबसे बड़ा बहाव क्षेत्र (बिजनौर से बलिया) है, जहां धान-गेहूं मुख्य फसलें हैं। इस क्षेत्र में उर्वर मिट्टी, पानी और श्रम की उपलब्धता के कारण उपज बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं। केंद्र सरकार भी मानती है कि दूसरी हरित क्रांति यहीं से शुरू होगी। लेकिन जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा असर भी इसी क्षेत्र पर पड़ेगा।
गोरखपुर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. डीके सिंह के अनुसार, 2050 तक पानी की कमी से भारत में खाद्यान्न उत्पादन 28% तक घट सकता है। ग्लेशियरों के पिघलने से हिमालय से निकलने वाली नदियों में पानी की कमी होगी, जिससे कम संसाधनों में ज्यादा उपज की चुनौती बढ़ेगी।
योगी सरकार के प्रयास:
योगी सरकार आधुनिक कृषि यंत्रों, संसाधनों के बेहतर उपयोग और किसानों के प्रशिक्षण पर जोर दे रही है। विश्व बैंक की मदद से चल रही यूपी एग्रीज योजना, ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी सिंचाई तकनीकों को प्रोत्साहन, ड्रोन का उपयोग और सिंचाई क्षमता का विस्तार इसके उदाहरण हैं। यह तकनीक और सरकारी सहयोग मिलकर गंगा के मैदानी क्षेत्रों में खेती को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं, साथ ही जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने में भी मदद करेंगे।