लखनऊ: बाढ़ से निपटने को जून में ही योगी सरकार 'सुकून' देने को तत्पर है। बाढ़ से निपटने की सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं या अंतिम दौर में हैं। पिछले दिनों सीएम योगी ने खुद इसकी समीक्षा कर 15 जून तक सारी तैयारियों को पूरा करने का निर्देश दिया था। इसके बाद मातहतों ने बाढ़ से निपटने की तैयारियों में काफी तेजी भी ला दी। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित 73 जनपदों में स्टीयरिंग ग्रुप की बैठक भी संपन्न कर ली गई है। लखनऊ में केंद्रीय व जनपदों में 50 बाढ़ नियंत्रण कक्षों की स्थापना की जा चुकी है। 15 जून से बाढ़ की संपूर्ण अवधि (संभावित अक्टूबर) तक यह कक्ष क्रियाशील रहेंगे।
51 बाढ़ नियंत्रण कक्षों की स्थापना, 2022-23 में 282 परियोजनाएं हुईं पूरी
बाढ़ से निपटने के लिए योगी सरकार ने सारी व्यवस्था पहले ही कर ली है। लखनऊ में केंद्रीय व 50 जनपदों में बाढ़ नियंत्रण कक्षों की स्थापना हो चुकी है। 15 जून से यह सतत क्रियाशील हो जाएंगे। आमजन की सुरक्षा को शीर्ष पर रखते हुए 2022-23 में इससे जुड़ीं 282 परियोजनाएं और योगी सरकार के कार्यकाल में कुल 982 बाढ़ परियोजनाएं पूरी की गईं। वर्तमान में 265 नई परियोजनाएं, 07 ड्रेजिंग संबंधी परियोजना और पूर्व से संचालित 140 परियोजनाओं सहित कुल 412 परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। 325 से अधिक परियोजनाओं का 50फीसदी कार्य पूरा हो चुका है। उत्तर प्रदेश पुलिस रेडियो मुख्यालय लखनऊ द्वारा बाढ़ सूचनाओं के त्वरित आदान-प्रदान हेतु महत्वपूर्ण 113 बेतार केंद्र भी बाढ़ अवधि में सतत क्रियाशील रहेंगे।
24 अति व 16 संवेदनशील जिलों पर भी विशेष नजर
बाढ़ की दृष्टि से 24 अति संवेदनशील जिलों पर भी सीएम योगी की नजर है। इन जिलों में महाराजगंज, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, गोरखपुर, बस्ती, बहराइच, बिजनौर, सिद्धार्थनगर, गाजीपुर, गोंडा, बलिया, देवरिया, सीतापुर, बलरामपुर, अयोध्या, मऊ, फर्रुखाबाद, श्रावस्ती, बदायूं, अंबेडकरनगर, आजमगढ़, संतकबीर नगर, पीलीभीत और बाराबंकी हैं। जबकि सहारनपुर, शामली, अलीगढ़, बरेली, हमीरपुर, गौतमबुद्ध नगर, रामपुर, प्रयागराज, बुलन्दशहर, मुरादाबाद, हरदोई, वाराणसी, उन्नाव, लखनऊ, शाहजहांपुर व कासगंज समेत 16 जिले संवेदनशील हैं। इन क्षेत्रों में बाढ़ की आपात स्थिति हेतु पर्याप्त रिजर्व स्टॉक का एकत्रीकरण करने का निर्देश सीएम ने दिया है। इन स्थलों पर प्रकाश व आवश्यक उपकरणों का भी प्रबंध किया जा रहा है। सभी 780 बाढ़ सुरक्षा समितियां गठित कर ली गई हैं। अति संवेदनशील तथा संवेदनशील तटबंधों का जिलाधिकारी निरीक्षण कर इसे दुरुस्त भी करा रहे हैं।
मॉनसून पूर्व कई तटबंधों पर कार्य किया जा चुका पूर्ण
मॉनसून के पहले ही कई तटबंधों पर कार्य पूरा किया जा चुका है। फर्रुखाबाद में कोसी नदी पर निर्मित कडक्का तटबंध, सिद्धार्थनगर में बूढ़ी राप्ती पर अशोगवा-नगवां तटबंध, मदरहवा-अशोगवा बांध व लखनापार बैदौला तटबंध के क्षतिग्रस्त भाग का मरम्मत कार्य पूर्ण कर लिया गया है। मऊ में सरयू नदी पर चिउटी डाड़ तटबंध, बदायूं में गंगा नदी पर जौरी नागपाल तटबंध, गंगा-महावां तटबंध, उसहैत तटबंध, उसावां तटबंध और आजमगढ़ में सरयू नदी पर निर्मित महुला गढ़वाल व जोकहरा तटबंध का कार्य पूर्ण। जोकहरा में क्षतिग्रस्त भाग का मरम्मत पूरा कर लिया गया। संतकबीरनगर समेत अन्य जिलों में भी कई कार्यों को मानसून पूर्व कर लिया गया। अतिसंवेदनशील तटबंधों पर प्रभारी अधिकारी व सहायक अभियंता भी नामित किए जा चुके हैं।
जनप्रतिनिधियों संग मौके पर निरीक्षण का निर्देश
सीएम ने पिछले दिनों वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में अतिसंवेदनशील और संवेदनशील प्रकृति वाले जिलों में जिलाधिकारियों को सांसद, विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष, महापौर, नगरीय निकाय के चेयरमैन/अध्यक्ष की उपस्थिति में बाढ़ से पहले निरीक्षण का निर्देश दिया था। आपदा प्रबंधन के लिए जिलों की अपनी कार्ययोजना होनी चाहिए। एनडीआरएफ/एसडीआरएफ के सहयोग से युवाओं को प्रशिक्षित किया जाए। जिलाधिकारी और जनप्रतिनिधियों के साथ संवेदनशील स्थलों का भौतिक निरीक्षण जरूर करें। समस्त अतिसंवेदनशील तटबंधों पर नामित प्रभारी अधिकारी 24×7 अलर्ट मोड पर हैं। तटबंधों पर क्षेत्रीय अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा लगातार निरीक्षण एवं सतत निगरानी की जाती रहे। आपदा प्रबंधन मित्र, सिविल डिफेंस के स्वयंसेवकों की आवश्यकतानुसार सहायता लेकर इन्हें विधिवत प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।