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यूपी के माफिया का कानूनी खर्चा देने से पंजाब सरकार का इनकार, सीएम बोले- कांग्रेस के मंत्रियों से होगी वसूली

bhagwant mann tweet ब्यूरो: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के गुरुवार को किये गए एक ट्वीट ने पंजाब और यूपी में एक नया मुद्दा छेड़ दिया है. पंजाब सीएम के ट्वीट ने पूर्व की कांग्रेस सरकार पर न केवल निशाना साधा बल्कि सरकार पर कई सवाल खड़े किए.

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Shagun Kochhar
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यूपी के माफिया का कानूनी खर्चा देने से पंजाब सरकार का इनकार, सीएम बोले- कांग्रेस के मंत्रियों से होगी वसूली

ब्यूरो: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के गुरुवार को किये गए एक ट्वीट ने पंजाब और यूपी में एक नया मुद्दा छेड़ दिया है. पंजाब सीएम के ट्वीट ने पूर्व की कांग्रेस सरकार पर न केवल निशाना साधा बल्कि सरकार पर कई सवाल खड़े किए.

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सीएम भगवंत मान ने लिखा...

ट्वीट में सीएम भगवंत मान ने लिखा कि यूपी के अपराधी को आराम और सुविधाओं के साथ रोपड़ जेल में रखा गया था.. 48 बार वारंट जारी होने के बावजूद पेश नहीं किया गया...इसके बाद महंगे वकील पर 55 लाख खर्च हुए... ये लाखों रुपये लोगों के दिए गए टैक्स से आए थे. जिसके भुगतान की मैंने फाइल वापस कर दी है...जिन मंत्रियों के आदेश पर ये फैसला किया गया, उनसे खर्चा वसूलने की प्रथा के बारे में विचार किया जा रहा है.

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क्या है मामला?

ये पूरा मामला जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी से जुड़ा हुआ है. दरअसल, जनवरी 2019 में मुख्तार अंसारी पंजाब की जेल में बंद था. सीएम भगवंत मान ने आरोप लगाया है कि उस समय की पंजाब सरकार यानी कांग्रेस की सरकार में यूपी के अपराधी को वीआईपी ट्रीटमेंट दिया गया. साथ ही साथ मुख्तार के लिए 48 वारंट भी जारी किए गए, लेकिन पेशी नहीं करवाई गई.



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यूपी पुलिस पहुंची सुप्रीम कोर्ट

वहीं पंजाब सरकार को बार बार स्मरण पत्र देने के बाद भी मुख्तार को यूपी पुलिस को नहीं सौंपा गया. जिसके बाद उत्तर प्रदेश की पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के पास मामला ले जाने का फैसला किया. वहीं मामला उच्च न्यायालय पहुंचने के बाद पंजाब सरकार ने अपनी पैरवी के लिए हर पेशी के 11 लाख रुपये लेने वाले एक वकील को रखा. वहीं वकील ने 5 बार सुप्रीम कोर्ट में पेश होकर मामले में कानूनी लड़ाई लड़ी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ और 2021 में अंसारी को यूपी जेल लाया गया.



सीएम ने लौटाई फाइल

वहीं अब इस लाखों रुपये के कानूनी खर्च को सीएम भगवंत मान ने देने से मना कर दिया है. इस संबंध में मुख्यमंत्री कार्यालय ने करीब 55 लाख रुपये का भुगतान की फाइल को लौटा दी है. अब देखने वाली बात होगी की ये मामला क्या नया मोड़ लेता है.

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